Gita Updesh: अकेलापन आपको निगल रहा है? अपनाएं गीता के ये 3 उपदेश

Gita Updesh: आज के दौर में अमूमन हर इंसान अकेलेपन का शिकार होता जा रहा है. वह किसी न किसी बातों से दुखी रहता है. मन में नकारात्मक विचार उठते रहते हैं. यही वजह है कि मन पर काबू रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि मन पर काबू पाने वाला इंसान हर अच्छी-बुरी स्थितियों को बहुत ही अच्छे ढंग से मैनेज कर लेता है.

By Shashank Baranwal | April 2, 2025 7:34 AM

Gita Updesh: मन बहुत चंचल होता है. यह पल-पल बदलता रहता है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान कब दुखी हो जाए पता ही नहीं चलता है. आज के दौर में अमूमन हर इंसान अकेलेपन का शिकार होता जा रहा है. वह किसी न किसी बातों से दुखी रहता है. मन में नकारात्मक विचार उठते रहते हैं. यही वजह है कि मन पर काबू रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि मन पर काबू पाने वाला इंसान हर अच्छी-बुरी स्थितियों को बहुत ही अच्छे ढंग से मैनेज कर लेता है. ऐसे में अगर आप भी अकेलापन के शिकार हो रहे हैं, खुद को बहुत ही अकेला महसूस करते हैं, तो गीता में बताई कुछ बातों को जरूर याद रखें. स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश को अर्जुन को कुरुक्षेत्र की रणभूमि में सुनाया था. ये उपदेश आपकी मुश्किल राहों को आसान बनाएगी. इसके अलावा, इसमें बताई गई अनमोल बातें जीवन जीने की कला भी सिखाएंगी.

स्वयं पर विश्वास रखें

भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास और स्वयं पर विश्वास नहीं रहता है, वही व्यक्ति खुद को इस दुनिया में अकेला महसूस करता है. ऐसे में व्यक्ति को हमेशा अपने ऊपर विश्वास बनाए रखना चाहिए. गीता में लिखा है कि ‘उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्’ इसका शाब्दिक अर्थ है कि खुद को ऊंचा उठाने का प्रयास करना चाहिए, न कि नीचा गिराने की कोशिश. इस दुनिया में सबसे बड़ी शक्ति इंसान स्वयं खुद होता है. अगर खुद पर विश्वास हो तो व्यक्ति हर तरह के मानसिक झंझावतों से उबर जाता है.

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खुद पर विश्वास बनाए रखें

गीता उपदेश में बताया गया है कि मनुष्य के जीवन में सुख-दुख, सफलता-असफलता एक चक्र की भांति होता है. यह स्थायी नहीं होता है. एक समय के बाद यह बदल भी जाता है. अगर आज के समय में दुख मिल रहा है, तो एक समय के बाद सुख भी मिलेगा. एक सूक्ति में बताया गया है कि ‘मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः’ जिसका शाब्दिक अर्थ सुख-दुख, सफलता-असफलता, सब कुछ अस्थायी है. ऐसे में मनुष्य को व्यर्थ की चिंताओं में मन को फंसाने के बजाय, धैर्य बनाकर रखना चाहिए.

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भगवान की शरण में जाएं

श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब भी व्यक्ति को खुद को अकेला और कमजोर महसूस करने लगे, तो उसे भगवान की शरण में जाना चाहिए. श्रीमद्भगवद्गीता में लिखा भी है कि ‘सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज’ जिसका शाब्दिक अर्थ अगर कभी खुद को कमजोर या अकेला महसूस करें, तो भगवान कृष्ण की शरण में जाएँ, वे आपको संभाल लेंगे. कहा भी जाता है कि जब दुनिया में कोई साथ नहीं दे तो एक व्यक्ति जरूर देता है, वो कोई और नहीं भगवान होते हैं.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह से इनकी पुष्टि नहीं करता है.