Independence Day 2025: क्या इस बार भारत मनाएगा 78वां या 79वां स्वतंत्रता दिवस? जानें सही जवाब और दूर करें कंफ्यूजन

Independence Day 2025: इस साल भारत अपना कौन सा स्वतंत्रता दिवस दिवस मनाने वाला है 78 या 79? इस आर्टिकल को जब पूरा पढ़ लेंगे तो आपके दिमाग में चल रहा कंफ्यूजन पूरी तरह से दूर हो जाएगा.

By Saurabh Poddar | August 12, 2025 11:42 AM

Independence Day 2025: हर साल 15 अगस्त का दिन भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को सभी भारतीय काफी उत्साह और प्राउड के साथ सेलिब्रेट करते हैं. इसी दिन साल 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी. कुछ ही दिनों में 15 अगस्त आने वाला है और ऐसे में कई लोगों के दिमाग में यह कंफ्यूजन है कि आखिर इस साल भारत अपना 78 या 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. अगर आपके दिमाग में भी यह सवाल है तो इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपका कंफ्यूजन पूरी तरह से दूर हो जाएगा.

कितने साल हो गए आजादी को?

जब आप पहली बार कैलकुलेट करते हैं तो इसका जवाब काफी आसान और सिंपल सा लगता है. इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है. जवाब पाने के लिए आपको 2025 से 1947 को घटा देना है. जब आप ऐसा करते हैं तो इसका जवाब निकलकर आता है 78. अब आप संतुष्ट हो गए होंगे? लेकिन बता दें इसका जवाब कुछ और ही है. जब बात आती है स्वतंत्रता दिवस की गिनती करने की तो इसका तरीका अलग होता है. इसके लिए आपको साल 1947 के आजादी दिवस को पहले स्वतंत्रता दिवस के तौर पर गिनना होगा क्योंकि इसी दिन भारत ने अपना पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया था. इसके बाद जितने भी स्वतंत्रता दिवस आए वे एक के बाद एक जुड़ते चलते गए. आसान शब्दों में कहें तो 1948 में जो स्वतंत्रता दिवस मनाया गया वह भारत का दूसरा स्वतंत्रता दिवस था. इस हिसाब से अगर देखा जाए तो भारत 2025 में अपना 78वां नहीं बल्कि 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाने वाला है.

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क्यों है 15 अगस्त का दिन खास?

15 अगस्त का दिन सभी भारतीयों के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि यह दिन हमें बलिदान, परिश्रम और हिम्मत को दर्शाता है. यह खास दिन इस बात को दर्शाता है कि किस तरह से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों और देश के प्रति प्रेम की वजह से आज हम आजादी की सांस ले पा रहे हैं. इस दिन हमें सिर्फ आजादी का जश्न नहीं मनाना चाहिए बल्कि सभी बलिदानों और संघर्षों को भी याद करना चाहिए. अगर आज हम खुलकर और चैन की सांस ले रहे हैं तो उसके पीछे कारण यहीं बलिदान और संघर्ष है.