पांच प्रकार का होता है Skin TB, घाव नहीं भरे तो हो जाएं सतर्क, जानें जांच एवं उपचार के बारे में

TB skin symptoms & treatment छाती में होनेवाले टीबी के दुनिया भर में जितने मामले हर साल सामने आते हैं, उनमें से 23 फीसदी भारत में ही होते हैं. यहां हर साल कोई सवा दो लाख मरीज इस बीमारी की चपेट में आकर जान से हाथ धो रहे हैं.

By SumitKumar Verma | March 24, 2020 11:12 AM

डॉ क्रांति


एचओडी, स्किन एंड वीडी डिपार्टमेंट, आइजीआइएमएस, पटना

छाती में होनेवाले टीबी के दुनिया भर में जितने मामले हर साल सामने आते हैं, उनमें से 23 फीसदी भारत में ही होते हैं. यहां हर साल कोई सवा दो लाख मरीज इस बीमारी की चपेट में आकर जान से हाथ धो रहे हैं.

टीबी पर नियंत्रण के लिए चलायी गयी विभिन्न परियोजनाओं की वजह से वर्ष 1990 से 2013 के दौरान इस पर अंकुश लगाने में कुछ हद तक कामयाबी जरूरी मिली थी. लेकिन इसके प्रसार और भयावह आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए यह कामयाबी नाकाफी ही लगती है. हालांकि कुछ लोगों में भ्रांति होती है कि टीबी सिर्फ छाती में ही होता है. असल में टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. यह हड्डियों और त्वचा में भी हो सकता है.

जांच एवं उपचार

आमतौर पर इस रोग की पहचान इसके लक्षणों के आधार पर ही हो जाती है. मगर इसकी पुष्टि के लिए स्किन बायोप्सी की जाती है. इसके अलावा ट्यूबरक्यूलिन स्किन टेस्ट, छाती एक्स-रे, स्पटम कल्चर आदि जांच भी की जाती है.

उपरोक्त चार टीबी में से तीन में रिफािम्पसिन, आइसो नियासिड एवं पायरोजीनामाइड नामक दवाएं दी जाती हैं. ट्यूबरक्यूलॉइड में फेक्सोफोनाडाइन सुबह-शाम दिया जाता है. अत: यदि आपको डायबिटीज नहीं है और त्वचा का घाव नहीं भर रहा हो, तो यह स्किन टीबी का लक्षण हो सकता है. यह फैलने के बाद गंभीर रूप धारण कर सकता है. अत: इसे समय रहते पहचानें और डॉक्टर से तुरंत उपचार कराना शुरू करें.

पांच प्रकार का होता है स्किन टीबी


यह रोग त्वचा में भी हो सकता है. इसे स्किन टीबी भी कहते हैं. यह पांच प्रकार का होता है –
लूपस वल्गारिस

हाल ही में हमारे पास एक मरीज इलाज कराने के लिए आया. उस मरीज ने बताया कि कहीं पर चोट लगने पर अगर छिल गया हो, तो वह घाव नहीं भर पा रहा है. ऐसे ही 2-3 महीना गुजर गया. घाव मुलायम और लाल रंग का था, जो बीच में भरता जा रहा था और बाहर की ओर फैलता भी जा रहा था. इसमें दर्द, हल्की खुजली हो सकती है और चोट लगने पर खून निकल सकता है. यही लूपस वल्गारिस है.

स्क्रोफूलोडरमा

यह सेकेंडरी टीबी है. अंदर की हड्डी या लिंफ नोड में टीबी होने के बाद वह फट कर त्वचा (खास कर गरदन) के बाहर पानी/मवाद रिसते रहनेवाले घाव के रूप में दिखता है.

ट्यूबरक्यूलोसिस भेरुकोसा क्यूटीस

इसमें चोट या खरोंचवाली जगह पर घाव न भरने, त्वचा का मोटा व रूखड़ा होने की शिकायत हो सकती है. इसके फैलने पर आस-पास की त्वचा पर दाने निकल जाते हैं.

पेरीओरिफीसीयल टीबी

मरीज के पेट में भी टीबी हो सकता है. इसके कीटाणु मल के साथ बाहर आते हैं.

ट्यूबरक्यूलाइड

इसमें टीबी नहीं बल्कि उसकी एलर्जी के चलते पेट, पीठ और पैर में दाने निकलते हैं.

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