लॉकडाउन में पंचायत सीरीज से घर बैठे देखें गांव की जिंदगी

Panchayat web series : लॉकडाउन के बाद से लगभग सभी चैनलों के धारावाहिक आगे की शूटिंग न हो पाने के कारण बंद हैं या रिवाइंड कर दिखाये जा रहे हैं. ऐसे में आप कुछ नया देखने चाहते हैं तो अमेजन प्राइम वीडियो की सीरीज ‘पंचयात’ देख सकते हैं.

By दिल्ली ब्यूरो | April 17, 2020 11:39 AM

लॉकडाउन के बाद से लगभग सभी चैनलों के धारावाहिक आगे की शूटिंग न हो पाने के कारण बंद हैं या रिवाइंड कर दिखाये जा रहे हैं. ऐसे में आप कुछ नया देखने चाहते हैं तो अमेजन प्राइम वीडियो की सीरीज ‘पंचयात’ देख सकते हैं. अब आप कहेंगे कि ‘पंचायत’ में ऐसा क्या है?

आप अगर गांव की पृष्ठभूमि से हैं, तो आपको यह सीरीज आपके गांव के किस्सों-यादों में ले जायेगी. आप शहर में पले-बढ़े हैं और कभी भारत के गांवों से नजदीक से वाबस्ता नहीं रहे हैं, तो आप इसके जरिये घर बैठे गांव को देख व जान सकेंगे. मतलब थोड़ा गांव का फील ले सकेंगे.

प्राइम वीडियो में पंचायत सीरीज के कुल आठ एपिसोड हैं. इस सीरीज के निर्देशक दीपक मिश्रा हैं और लेखक चंदन कुमार. इसका निर्माण टीवीएफ ने किया है.

उत्तर भारत के गांव अमूमन मिलते-जुलते यानी एक से ही होते हैं. आप इसमें देखेंगे बलिया जिले की फुलेरा ग्राम पंचायत और वहां रहने वाले अनेक किरदारों के साथ पंचायत भवन में नये-नये नियुक्त हुए सचिव अभिषेक त्रिपाठी को. सचिव जी की भूमिका निभा रहे हैं जितेंद्र कुमार. उनकी यह पहली नौकरी है, तनख्वाह है बीस हजार. वह गांव आना नहीं चाहते थे, लेकिन हाथ आयी नौकरी छोड़ने का विकल्प भी नहीं था उनके पास, सो दोस्त के समझाने पर सब झोला झंडी बांध, मोटर साइकिल को भी बस के लाद कर रियल इंडिया देखने यानी नौकरी करने आ गये हैं फुलेरा.

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गांव में उनका सामना होता है प्रधान ब्रिज भूषण दुबे (रघुवीर यादव) से, जो कि असल में प्रधानपति हैं और असली प्रधान हैं उनकी पत्नी मंजू देवी (नीना गुप्ता). नीना बहुत कम दिखी हैं, लेकिन जितना दिखी हैं, बहुत अच्छी लगी हैं अपनी भूमिका में. उप प्रधान हैं प्रहलाद पांडे (फैसल मालिक) और पंचायत सहायक हैं विकास (चंदन राय). विकास ने बहुत प्रभावी काम किया है. साथ हैं बहुत सारे सपोर्टिंग एक्टर, जिन्होंने छोटी-छोटी भूमिकाओं में भी मुख्य कलाकारों की ही तरह अपने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी है.

सीरीज का हर एपीसोड एक नयी कहानी या कहें एक नयी चुनौती के साथ शुरू होता है, जो कि असल में अक्सर सचिव जी के सामने ही पेश आती है. ये चुनौतियां आपको बतायेंगी कि गांव की जिंदगी जितनी आसान दिखती है, असल में उतनी होती नहीं. लेकिन गांव वाले अपनी अजब-गजब तौर-तरीकों और सोच के बीच असल में होते भोले और मिलनसार ही हैं. लॉकडाउन के दौर में यह सीरीज आपको गांव की जिंदगी से तो आपको रूबरू करायेगी ही, साथ-साथ बहुत हंसायेगी भी.

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