‘सजना अनाड़ी’ से अभिनय की प्रेरणा लेकर थियेटर की दुनिया में छा गये रांची के रंगकर्मी ऋषिकेश लाल

Jharkhand Foundation Day|Ranchi Ke Rangkarmi|वर्ष 2003 में ऋषिकेश लाल नये उत्सही युवाओं के साथ ‘युवा नाट्य संगीत अकादमी’ की स्थापना की. आरा में आयोजित ‘भिखारी ठाकुर रंग माहोत्सव’ में नाटक ‘पुनर्जन्म’ का मंचन किया. दर्शकों ने इसकी काफी सराहना की. इसके बाद नाटक के निर्देशन का सिलसिला चल पड़ा.

By Mithilesh Jha | November 12, 2022 8:03 PM

Jharkhand Foundation Day|Ranchi Ke Rangkarmi|ऋषिकेश लाल रांची के जाने-माने रंगकर्मी हैं. बचपन से ही कला एवं संस्कृति में उनकी रुचि थी. अपने दादा स्वर्गीय कृष्ण नारायण लाल के साथ कार्यक्रमों में जाया करते थे. इनका पारिवारिक माहौल नृत्य-संगीत का था. सन् 2000 में एक फिल्म आयी थी, जिसका नाम था- ‘सजना आनाड़ी’. इस फिल्म को देखने के बाद अभिनय के प्रति उनकी रुचि जगी. उन्होंने ‘सजना अनाड़ी’ फिल्म के मुख्य कलाकार शेखर वत्स से मुलाकात की. उनसे अपने मन की बात कही.

इस तरह नाटक की दुनिया में आये ऋषिकेश लाल

शेखर वत्स ने उनकी मुलाकात जितेंद्र वाढेर उर्फ जीतू भैया से करायी. जीतू भैया ने प्रो अजय मलकानी से उन्हें मिलवाया. ऋषिकेश लाल ने प्रो अजय मलकानी के सान्निध्य में अभिनय की बारीकियां सीखनी शुरू कर दी. यहीं से उनकी अभिनय यात्रा की शुरुआत हुई. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, संगीत नाटक आकदमी (नयी दिल्ली), ईस्ट जोन कल्चर सेंटर (कलकत्ता), कला-संस्कृति, खेल कूद विभाग झारखंड सरकार से प्रशिक्षण प्राप्त किया.

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जाने-माने रंगकर्मियों की निगरानी में लिया प्रशिक्षण

उन्होंने अजय मलकानी, रतन थियाम, सतीश आनंद, आलोक चटर्जी, प्रवीर गुहा, उषा गांगुली, सत्यब्रत राउत, वी रामामूर्ति जैसे भारत के नामचीन निर्देशकों, प्रशिक्षकों के सान्निध्य में प्रशिक्षण लिया. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) की ओर से आयोजित ‘भारत रंग महोत्सव 2001’ में नाटक ‘उलगुलान का अंत नहीं’ एवं वर्ष 2003 में ‘क्या छूट रहा है’ नाटक का मंचन किया.

ऋषिकेश लाल ने की ‘युवा नाट्य संगीत अकादमी’ की स्थापना

वर्ष 2003 में ऋषिकेश लाल नये उत्सही युवाओं के साथ ‘युवा नाट्य संगीत अकादमी’ की स्थापना की. आरा में आयोजित ‘भिखारी ठाकुर रंग माहोत्सव’ में नाटक ‘पुनर्जन्म’ का मंचन किया. दर्शकों ने इसकी काफी सराहना की. इसके बाद नाटक के निर्देशन का सिलसिला चल पड़ा. वर्ष 2008 में रांची के अपर बाजार में मेघदूत नामक प्रेक्षागृह का निर्माण कराया. रंगकर्मियों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने की वजह से कुछ ही वर्षों में इसे बंद करना पड़ा.

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कांति कृष्ण कला भवन में लगातार 52 सप्ताह तक हुआ नाटकों का मंचन

वर्ष 2014 में विश्व रंगमंच दिवस (27 मार्च) पर ऋषिकेश लाल ने ‘छोटानागपुर नाट्य माहोत्सव’ की शुरुआत की. यह आयोजन आज भी जारी है. वर्ष 2015 में 27 मार्च को कांति कृष्ण कला भवन के नाम से एक प्रेक्षाग्रह रांची को मिला. इसकी स्थापना ऋषिकेश लाल ने ही की. इस प्रेक्षागृह में सल भर देश के अलग-अलग राज्यों के नटककारों ने लगातार 52 सप्ताह तक (हर रविवार) नाटकों का मंचन किया.

दुनिया के रंगमंच पर मुझे मिली मेरी भूमिका: ऋषिकेश लाल

ऋषिकेश लाल ने करीब 40 नाटकों का निर्देशन किया है. पूरे भारत में आयोजित होने वाले कई नाट्य प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार भी जीत चुके हैं. इनके नाटकों को भी कई श्रेणियों में पुरस्कृत किया जा चुका है. ऋषिकेश कहते हैं कि दुनिया एक रंगमंच है और हम सभी इसके पात्र हैं. मुझे मेरी भूमिका मिल चुकी है और मैं अपने सभी गुरुजनों और शुभचिंतकों के सहयोग से इसे बखूबी निभाने की कोशिश कर रहा हूं.

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