Coolie Movie Review:कंफ्यूजिंग कहानी रजनीकांत के पावरहाउस व्यक्तित्व के साथ नहीं कर पायी न्याय

रजनीकांत स्टारर फिल्म कुली द पावरहाउस देखने की प्लानिंग है तो इससे पहले पढ़ लें रह रिव्यु

By Urmila Kori | August 14, 2025 11:17 PM

फिल्म – कुली द पावरहाउस
निर्देशक -लोकेश कनकराज
कलाकार- रजनीकांत,नागार्जुन,सौबिन शाहिर, श्रुति हासन,रचिता राम,उपेंद्र,आमिर खान और अन्य
प्लेटफॉर्म -सिनेमाघर
रेटिंग -दो

coolie movie review :भारतीय सिनेमा के थलाइवा यानी रजनीकांत की आज रिलीज हुई फिल्म कुली द पावरहाउस इंडस्ट्री में उनके अभिनय करियर के 50 साल पूरे होने का जश्न मनाती है. इस फिल्म के निर्देशन से लोकेश कनकराज का नाम जुड़ा हुआ है ,जो कैथी, मास्टर और विक्रम जैसी फिल्मों के लिए खास पहचान रखते हैं। जिससे उम्मीदें बढ़ गयी थी कि इस बार परदे पर रजनीकांत का जादू सर चढ़कर बोलने वाला है,लेकिन लोकेश की कमजोर कहानी वाली फिल्म रजनीकांत के पावरहाउस व्यक्तित्व के साथ न्याय नहीं कर पायी है.

कमजोर है बदले की यह कहानी

फिल्म की कहानी विशाखापत्तनम के एक बंदरगाह से शुरू होती है. उस जगह पर सायमन (नागार्जुन ) का कब्जा है. जहाँ से वह सोने ,महंगी घड़ियों से लेकर इंसानी ऑर्गन पार्ट्स की भी तस्करी दुनिया भर में करता है..कानून सबूत जुटाने में सालों से जुटा हुआ है.कई अंडर कवर एजेंट आये लेकिन सायमन के खिलाफ सबूत नहीं जुटा पाए और उनके खुद के कोई सबूत भी नहीं मिले। सायमन के लिए पोर्ट पर डर और आतंक के माहौल को वर्कर्स यानी कुलियों के बीच क्रूर और सनकी दयाल (शोबिन शाहिर )बनाकर रखता है.पोर्ट से कहानी देवा मेन्शन नाम के एक होटल में पहुंचती है. उसका मालिक देवा (रजनीकांत )है. उसके 30 साल पुराने दोस्त (सत्याराज )की मौत की खबर उस तक पहुँचती है. वह उसकी तीनों बेटियों की जिम्मेदारी लेने का फैसला करता है लेकिन यह जिम्मेदारी और उसके दोस्त की मौत किस तरह से उसे पोर्ट, दयाल और सायमन से जोड़ देती है.यही आगे की कहानी है. इसके साथ ही देवा का अपराध से जुड़ा अतीत भी सामने आता है.

फिल्म की खूबियां और खामियां

फिल्म की कहानी की बात करें तो यह मूल रूप से एक बदले की कहानी है.देवा का अपने दोस्त के मौत का बदला लेने की कहानी, लेकिन इसमें ढेर सारे किरदारों के ट्विस्ट एंड टर्न सब प्लॉट्स के साथ जोड़ दिए गए हैं. इंसान के शरीर को राख कर देने वाली कुर्सी है,दयाल ही पुलिस का एजेंट है.सायमन और देवा की दुश्मनी पुरानी है. सायमन के बेटे की भी अपनी एक प्रेम कहानी है.सायमन के बेटे की प्रेमिका का दयाल से कनेक्शन है. दयाल और से जुड़े ट्विस्ट को छोड़ दें तो सभी सब प्लॉट्स फिल्म की मूल कहानी को कमजोर ही बनाते हैं..फिल्म का फर्स्ट हाफ स्लो है.किरदारों को स्थापित करने में काफी समय ले लिया गया है.सेकेंड हाफ में कहानी थोड़े बहुत सवालों के जवाब देती है। लेकिन कई सारे सवाल अधूरे भी रह गए हैं.श्रुति हसन का किरदार शुरुआत में रजनीकांत के किरदार से नफरत करता हुआ नजर आता है.उसकी वजह क्या थी. इसे फिल्म में दिखाया नहीं गया है.देवा के किरदार ने शराब से क्यों दूरी बना ली थी.फ्लैशबैक में दिखाया गया दृश्य अधूरा सा रह गया है. देवा के दोस्त ने कभी उसकी बेटी के बारे में उसे क्यों नहीं बताया. देवा की पत्नी सिलेंडर ब्लास्ट में मरी थी.बस इसका जिक्र भर ही फिल्म में हुआ है.सिंडिकेट की जानकारी रखने वाली फाइल्स को चुराने के लिए उस शख्स को किसने भेजा था. लेखन टीम बदले की इस मूल कहानी को कुछ अलग दिखाने के चक्कर में कन्फ्यूजिंग बना गए हैं.कहानी ही नहीं फिल्म की लम्बाई भी अखरती है. रजनीकांत की इस फिल्म फिल्म में सितारों का जमावड़ा है.पैन इंडिया बनाने के लिए हिंदी से आमिर ,मलयालम से सौबिन साहिर,तेलुगु से नागार्जुन और कन्नड़ से उपेंद्र फिल्म से जोड़े गए हैं लेकिन सौबिन साहिर के अलावा और कोई नाम याद नहीं रह जाता है.बस सभी फिल्म की लम्बाई को बढ़ाते हैं.फिल्म का क्लाइमेक्स भी कमजोर रह गया है.तकनीकी पक्ष की बात करें तो फिल्म में वीएफएक्स का इस्तेमाल कर रजनीकांत और सत्याराज के युवा अवस्था को बखूबी दर्शाया गया है. बीजीएम की भी तारीफ बनती है. गीत संगीत कहानी के अनुरूप है.सिनेमेटोग्राफी भी विषय के साथ न्याय करती है.

रजनीकांत और सौबिन साहिर का पावरफुल परफॉरमेंस

अभिनय की बात करें तो यह रजनीकांत की फिल्म है और उन्होंने अपने पूरे स्वैग ,स्टाइल,डांस मूव्स ,हाई वोल्टेज एक्शन और वन लाइनर के साथ अपने किरदार को हर फ्रेम में जिया है.उनका करिश्माई व्यक्तित्व ही है, जो कमजोर और कन्फ्यूजिंग कहानी से दर्शक जुड़े रहते हैं. रजनीकांत के बाद सौबिन साहिर की तारीफ बनती है.सोबिन साहिर ने अपनी भूमिका से परदे पर अच्छा रोमांच जोड़ा है.नागार्जुन अपनी भूमिका में जंचे हैं. उपेंद्र को फिल्म में करने को कुछ खास नहीं था.आमिर खान का कैमियो भी प्रभावी नहीं बन पाया है.अभिनेत्रियों में रचिता राम का काम अच्छा बन पड़ा है .श्रुति हासन का किरदार बेहद कमजोर रह गया है.बाकी के किरदारों को भी करने को कुछ ख़ास नहीं था.