फिल्‍म देखने से पहले जानें कैसी है अर्जुन-श्रद्धा की ”हाफ गर्लफ्रेंड”, पढें रिव्यू…

II उर्मिला कोरी II फिल्म: हाफ गर्लफ्रेंड निर्माता: बालाजी टेलिफिल्म्स, मोहित सूरी, चेतन भगत निर्देशक: मोहित सूरी कलाकार: अर्जुन कपूर, श्रद्धा कपूर, विक्रांत, रिया और अन्य रेटिंग: दो लेखक चेतन भगत किताब ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ का फिल्मी रुपांतरण मोहित सूरी की यह फिल्म है. यह फिल्म प्यार और कभी न हारने वाले जज्बे इन दो इमोशंस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 19, 2017 2:28 PM

II उर्मिला कोरी II

फिल्म: हाफ गर्लफ्रेंड
निर्माता: बालाजी टेलिफिल्म्स, मोहित सूरी, चेतन भगत
निर्देशक: मोहित सूरी
कलाकार: अर्जुन कपूर, श्रद्धा कपूर, विक्रांत, रिया और अन्य
रेटिंग: दो

लेखक चेतन भगत किताब ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ का फिल्मी रुपांतरण मोहित सूरी की यह फिल्म है. यह फिल्म प्यार और कभी न हारने वाले जज्बे इन दो इमोशंस को कहानी में समाहित करने की असफल कोशिश साबित होती है. फिल्म की कहानी कमजोर है. जिससे कोई भी इमोशन परदे पर सही ढंग से परिभाषित नहीं हो पाया है. फिल्म की कहानी के बात करें तो यह दो अलग अलग सोसाइटीज के लोगों के बीच की प्यार की कहानी है. माधव झा बिहार के सिमराउ से आता है तो रिया सोमानी दिल्ली के हाई क्लास सोसाइटीज से.

माधव जहां हिंदी में सहज हैं वही रिया अंग्रेजी में बात करती हैं लेकिन बॉस्केटबॉल खेल से दोनों को लगाव उनको एक दूसरे का दोस्त बना देता है. फिर जो होता आया है माधव रिया को प्यार करने लगता है. रिया के माता-पिता की शादी अच्छी नहीं चल रही है. वह परेशान है और कंफ्यूज भी माधव के प्यार को हां नहीं कह पाती है. इसी बीच रिया अपनी माता-पिता की मर्जी से शादी करने का फैसला ले लेती है. यह बात अखरती है जब रिया अपने माता-पिता के बीच हो रहे रोज के झगड़ों से परेशान है तो वह उनकी पसंद के लड़के से क्यों शादी करने को तैयार हो जाती है.

रिया, माधव को पसंद करती है तो ऐसे में वह उसके प्यार को अपनाने से क्यों इंकार कर देती है. रिया और माधव एक बार फिर मिलते हैं. रिया की शादी टूट चुकी है. क्या माधव अपने प्यार का एहसास रिया को करवा पाएगा. इसी के इर्द गिर्द फिल्म के आगे की कहानी घूमती है. फिल्म अपने नाम की तरह ही अधपकी है. स्क्रीनप्ले बहुत साधारण है. लवस्टोरी फिल्म होते होते हुए इसके इमोशन जोड़ने में नाकामयाब रहते हैं. कहानी को अलग बनाने की कोशिश की गयी है लेकिन वह आपको बोङिाल बना देती है.

अभिनय की बात करें तो अर्जुन कपूर ने बिहारी किरदार माधव को परदे पर जीने की भरपूर कोशिश की है. उनकी मेहनत तारीफ के काबिल हैं. हां उनके एक्सप्रेशन में दोहराव नजर आता है. श्रद्धा कपूर का अभिनय फिल्म में औसत है. विक्रांत मैसी एक दोस्त के किरदार को बखूबी निभा जाते हैं. रिया चक्रवर्ती अपनी केमियो की भूमिका में अलग रंग भरती है. बाकी के किरदार औसत हैं. फिल्म के गीत संगीत की बात करें तो यह एक म्यूजिकल लवस्टोरी है.

फिल्म के सिचुएशन और मूड़ दोनों को गाने के जरिए कई बार परिभाषित किया गया है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि एक समय के बाद वह आपको बोर करने लगते हैं. कहानी में गानों का बार बार दोहराव है. हां अरिजीत सिंह की आवाज में गाया गया मैं फिर भी तुमको चाहूंगा. दिल को सुकून दे जाता है. फिल्म की सिनेमाटोग्राफी खूबसूरत है. फिल्म में दिल्ली और न्यूयॉर्क की खूबसूरत जगहों को कैमरे में कैद किया गया है.

हां पटना के नाम पर स्क्रीन पर जो जगह नजर आती है. वह पटना कम बनारस से ज्यादा मिलती जुलती है. यह बात अखरती है. इंडिया गेट के टॉप पर अपने घर की छत की तरह हर दूसरे सीन में श्रद्धा और अजरुन का पहुंचना अखरता है. बिल गेट्स के चेहरे को डिजिटल फोटोग्राफी के जरिए किसी दूसरे के चेहरे पर चिपका अखरता है. कुलमिलाकर ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ निराश करती है.

Next Article

Exit mobile version