Teachers Day Special: स्मार्ट क्लास, ऑनलाइन लर्निंग और AI टूल्स ने बदली शिक्षकों की जिम्मेदारियां
Teachers Day Special: अब शिक्षक स्मार्ट बोर्ड, ई-कंटेंट और वर्चुअल क्लासरूम जैसी तकनीक का इस्तेमाल करना सीख रहे हैं. तकनीक के इस दौर में पढ़ाने का तरीका भी बदला है और शिक्षकों का जीवन भी. शिक्षक अब पारंपरिक सिस्टम तक सीमित नहीं हैं बल्कि नए टूल्स से भी अवगत हो रहे हैं. आइए, जानते हैं कि ऐसे में शिक्षकों की जिम्मेदारी कितनी बदली है.
Teachers Day Special: आज के डिजिटल युग में शिक्षा ग्रहण करने का तरीका तेजी से बदल रहा है. जहां पहले शिक्षक पारंपरिक तरीके से बच्चों को पढ़ाते थे. वहीं अब पढ़ाने के तरीके में काफी बदलाव आया है. शिक्षक अब स्मार्ट क्लास, ऑनलाइन लर्निंग और एआई टूल्स आदि के अनुसार अपने पढ़ाने के तरीके में बदलाव कर रहे हैं. आइए, जानते हैं स्मार्ट क्लास, ऑनलाइन लर्निंग (Online Learning) और AI टूल्स ने शिक्षकों की जिम्मेदारी कैसे बदली.
Teachers Day Special: तकनीक के साथ तालमेल
अब शिक्षक स्मार्ट बोर्ड, ई-कंटेंट और वर्चुअल क्लासरूम जैसी तकनीक का इस्तेमाल करना सीख रहे हैं. यह सिर्फ पढ़ाने तक सीमित नहीं, बल्कि छात्रों की रुचि जगाने और उन्हें इंटरएक्टिव तरीके से पढ़ाने का भी काम है.
Teachers Day Special: ऑनलाइन लर्निंग की चुनौती
ऑनलाइन क्लासेज ने शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाया है, लेकिन इसके साथ ही शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ गई है कि वे छात्रों की एंगेजमेंट बनाए रखें. स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित कराना, असाइनमेंट्स को समय पर जांचना और डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल करके स्टूडेंट्स की प्रगति पर नजर रखना अब उनके काम का अहम हिस्सा बन गया है.
Teachers Day Special: AI टूल्स से नई संभावनाएं
AI ने शिक्षा को पर्सनलाइज्ड बनाया है. अब शिक्षक स्टूडेंट्स की लर्निंग पैटर्न को समझकर उन्हें उसी हिसाब से गाइड कर सकते हैं. जैसे किसी बच्चे को मैथ्स में ज्यादा मदद चाहिए तो एआई टूल्स (AI Tools) से उसके लिए खास प्रैक्टिस तैयार की जा सकती है. यहां शिक्षक की जिम्मेदारी सिर्फ पढ़ाने की नहीं, बल्कि इन तकनीकी साधनों को सही दिशा में इस्तेमाल करने की भी है.
Teachers Day Special: शिक्षक अब मार्गदर्शक के रूप में रह गए हैं बस
बदलते दौर में शिक्षकों की भूमिका और जिम्मेदारी कैसे बदली इसे लेकर कथक नृत्यांगना, संगीत शिक्षायतन की संस्थापक और असिस्टेंट प्रोफेसर (PWC) यामिनी शर्मा कहती हैं, “स्मार्ट क्लास और ऑनलाइन लर्निंग आज के समय की मांग हैं. स्मार्ट क्लास निश्चित तौर पर अकैडमिक पाठ्यक्रम को समझने के स्रोत के रूप में एक बेहतर आयाम के रूप में स्थित है और ऑनलाइन लर्निंग एक अलग परिपेक्ष है. ऑनलाइन शिक्षा और एआई टूल के इस दौर में बच्चों की नजर में शिक्षक अब ज्ञान का स्रोत कम होते जा रहे हैं और मार्गदर्शक की भूमिका में ज्यादा हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में शिक्षकों की जिम्मेदारी (Responsibility Of Teachers) अब बढ़ गई है. उनका समय सिर्फ पढ़ाने में नहीं जाता बल्कि वे ये भी देखते हैं कि किन-किन संसाधनों को पढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है. यामिनी शर्मा आगे कहती हैं, “मैं अपने अनुभवों को अपने छात्रों से ज्यादा साझा करती हूं क्योंकि आजकल तो पहले से ही इंटरनेट पर कई उदाहरण मौजूद हैं. चूंकि मैं प्रादर्श और दृश्य कला से जुड़ी हुई तो सांस्कृतिक पहलुओं को मैं स्मार्ट क्लास और ऑनलाइन को कम सहज पाती हूं. ऑनलाइन के माध्यम से सांस्कृतिक मूल्यों परंपराओं के बारे में संसाधनों के सैद्धांतिक पक्ष के बारे में बता पाना सरल हो सकता है. लेकिन प्रायोगिक तथ्यों को स्पष्ट करना कठिन है. उन्हें हम केवल डिस्प्ले कर सकते हैं. सजग, जागरूक, जिज्ञासु बना सकते है. कलाकार बनने से वे अछूते रह जाते हैं.”
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