दर्द को बनाया ताकत, बिना कोचिंग UPSC क्रैक कर अफसर बनीं अंजलि, आज लाखों युवाओं की प्रेरणा

Anjali Sondhiya Success Story in Hindi: मध्य प्रदेश की अंजलि सोंधिया ने साबित कर दिया कि हिम्मत और मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है. पिता को खोने के दुख को ताकत बनाकर उन्होंने पहले ही प्रयास में UPSC IFS परीक्षा 2024 पास की और पूरे देश में 9वीं रैंक हासिल की. उनकी यह सफलता युवाओं के लिए बड़ी प्रेरणा है.

By Shubham | September 23, 2025 12:35 PM

Anjali Sondhiya Success Story in Hindi: कभी-कभी जीवन की कठिनाइयां ही इंसान की सबसे बड़ी ताकत बन जाती हैं. ऐसा ही हुआ मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की अंजलि सोंधिया (Anjali Sondhiya) के साथ. पिता को खोने के दर्द को उन्होंने अपनी शक्ति बनाया और पहले ही प्रयास में UPSC भारतीय वन सेवा (IFS) परीक्षा 2024 पास करके देशभर में 9वीं रैंक हासिल की. उनकी यह यात्रा न सिर्फ प्रेरणादायक है बल्कि उन सभी युवाओं के लिए मिसाल है जो सीमित साधनों में भी बड़े सपने देखते हैं. आइए जानें Anjali Sondhiya की सक्सेस जर्नी के बारे में.

मध्य प्रदेश की बेटी अंजलि का संघर्ष (Success Story in Hindi)

अंजलि सोंधिया (Anjali Sondhiya) राजगढ़ जिले के छोटे से गांव चंदरपुरा की रहने वाली हैं. उनके पिता स्व. सुरेश सोंधिया किसान थे, जिनका बीमारी के कारण कुछ वर्ष पहले निधन हो गया. पिता का सपना था कि बेटी अफसर बने. अंजलि ने इस सपने को अपना लक्ष्य बनाया और कड़ी मेहनत से उसे सच कर दिखाया.

बिना कोचिंग के हासिल की सफलता (UPSC Success Story in Hindi)

अंजलि ने UPSC IFS परीक्षा की तैयारी बिना किसी कोचिंग के की. उन्होंने इंटरनेट और ऑनलाइन संसाधनों की मदद से पढ़ाई की. इस दौरान उनकी मां ने हर कदम पर साथ दिया और पढ़ाई के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया. अंजलि मानती हैं कि अनुशासन और निरंतरता ही सफलता की कुंजी है.

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सफलता का पल (UPSC Success Story in Hindi)

IFS परीक्षा 2024 का परिणाम जब जारी हुआ तो कुल 143 उम्मीदवार सफल हुए. अंजलि जब अपना नाम ढूंढ रही थीं तो उन्हें पहले ही पेज पर अपना नाम 9वीं रैंक के साथ दिखाई दिया. यह पल उनके परिवार के लिए गर्व और खुशी से भरा हुआ था.

दूसरों को हौंसला देती है ये कहानी (IFS Topper Anjali Sondhiya)

अंजलि सोंधिया की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कठिनाइयां इंसान की राह नहीं रोक सकतीं. यदि आत्मविश्वास और समर्पण हो तो बिना कोचिंग और सीमित साधनों में भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है. उनकी उपलब्धि युवाओं को यह संदेश देती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, सपनों को सच किया जा सकता है.