Success Story: 10वीं में फेल हुए लेकिन जिंदगी में पाई टॉप रैंक, DSP अभिषेक चौबे की कहानी हर युवा के लिए है प्रेरणा
Success Story: गाजीपुर के अभिषेक चौबे 10वीं कक्षा में असफल हुए, लेकिन हार मानने के बजाय उन्होंने संघर्ष को अपनी ताकत बना लिया. निरंतर मेहनत और अटूट लगन के दम पर वर्ष 2023 में उन्होंने बिहार पुलिस में डिप्टी एसपी का पद हासिल किया. अभिषेक की यह यात्रा हर युवा के लिए प्रेरणा है कि असफलता अंत नहीं, बल्कि सफलता की नई शुरुआत होती है.
Success Story: कभी-कभी जिंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी वहीं से शुरू होती है जहां से हम सबसे कमजोर महसूस करते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के अभिषेक चौबे के साथ, जो 10वीं की परीक्षा में फेल हो गए थे. लेकिन यही असफलता उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी ताकत बन गई. कई बार असफलताओं का सामना करने के बावजूद अभिषेक ने हार नहीं मानी. उन्होंने खुद पर भरोसा रखा, दिन-रात मेहनत की और अपने सपनों को जिंदा रखा. बिहार पुलिस में डिप्टी एसपी बनकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर लगन सच्ची हो और इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल नामुमकिन नहीं होती. अभिषेक का यह सफर न सिर्फ एक नौकरी पाने की कहानी है, बल्कि हर उस युवा के लिए उम्मीद की किरण है जो कभी असफलता से टूट गया हो.
साल 2022 में मिली पहली बड़ी सफलता
अभिषेक की मेहनत रंग लाने लगी जब साल 2022 के अंत में उन्होंने लोक सेवा आयोग की अंकेक्षण अधिकारी (Audit Officer) की परीक्षा पास की. यह उनके करियर की पहली बड़ी सरकारी उपलब्धि थी. इस पद पर काम करते हुए उन्होंने समाज कल्याण विभाग द्वारा चलाए जा रहे सिविल सेवा कोचिंग कार्यक्रम में मुख्य फैकल्टी के रूप में भी काम किया. यहां उन्होंने न केवल खुद को मजबूत किया बल्कि कई युवाओं को सही दिशा देकर उनके सपनों को भी पंख दिए। वे केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक प्रेरक बन चुके थे.
पुलिस सेवा में चयन और नई शुरुआत
अक्टूबर 2023 में अभिषेक को वह सफलता मिली जिसका उन्होंने वर्षों से सपना देखा था. बिहार पुलिस सेवा में चयन के बाद उन्हें डिप्टी एसपी के रूप में मुंगेर जिले में नियुक्त किया गया. उन्होंने सिविल सेवा के हर इंटरव्यू में पुलिस सेवा को अपनी पहली प्राथमिकता दी थी. बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर में उन्होंने साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक साइंस, ट्रैफिक प्रबंधन और नए आपराधिक कानून जैसे आधुनिक विषयों की ट्रेनिंग ली. साथ ही, तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स ट्रेनिंग सेंटर में नक्सल विरोधी अभियानों से जुड़ा गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी जिम्मेदारियों के लिए खुद को पूरी तरह तैयार किया.
समाजसेवा की भावना, सिर्फ वर्दी तक सीमित नहीं
डिप्टी एसपी बनने के बावजूद अभिषेक ने समाजसेवा को अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाए रखा है. वे अब तक 30 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं, जो खुद में एक मिसाल है. कोरोनाकाल के दौरान जब हर कोई अपने घरों में सुरक्षित रहने की कोशिश कर रहा था, तब अभिषेक जरूरतमंदों तक राशन, दवाइयां और सहायता पहुंचाने में जुटे थे. उन्होंने अपने संसाधनों से अधिकतम मदद दी और कई परिवारों को राहत पहुंचाई. उनके इस समर्पण ने यह साबित किया कि वर्दी पहनने से पहले वे एक संवेदनशील और जिम्मेदार इंसान हैं.
मुश्किलों से सीखा, हिम्मत से जीता
अभिषेक की कहानी हर उस इंसान को आगे बढ़ने की हिम्मत देती है जो जीवन की कठिनाइयों से हार मान चुका है. परिवार की जिम्मेदारियों के बीच, आर्थिक और मानसिक चुनौतियों से लड़ते हुए उन्होंने यह दिखा दिया कि जब तक आपके भीतर जुनून है, तब तक हार आपको रोक नहीं सकती. उनकी जिंदगी यह सिखाती है कि असफलता सिर्फ एक पड़ाव है, मंजिल नहीं. आत्मविश्वास और मेहनत के साथ अगर आगे बढ़ते रहें, तो सफलता जरूर मिलती है.
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