स्वस्थ धरती और सतत खेती की ओर बड़ा कदम, पतंजलि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सम्मेलन

Patanjali University: हरिद्वार स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘गुणवत्तापूर्ण जड़ी-बूटियों की सतत खेती’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ. यह कार्यक्रम आयुष मंत्रालय, नाबार्ड, पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टिट्यूट और भरुवा एग्री साइंस के संयुक्त प्रयास से आयोजित हुआ. सम्मेलन में आचार्य बालकृष्ण ने जैविक खेती अपनाने का संदेश दिया, जबकि स्वामी रामदेव ने औषधीय जड़ी-बूटियों की आधुनिक कृषि-प्रौद्योगिकी विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया.

By Ravi Mallick | October 30, 2025 12:48 PM

Patanjali University: हरिद्वार में पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम भारत सरकार के आयुष मंत्रालय, पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, आरसीएससीएनआर-1 और भरुवा एग्री साइंस के संयुक्त प्रयास से आयोजित हुआ. इस सम्मेलन को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) का सहयोग प्राप्त था. कार्यक्रम का विषय था- “मृदा स्वास्थ्य परीक्षण एवं प्रबंधन द्वारा गुणवत्तापूर्ण जड़ी-बूटियों की सतत खेती”.

इस वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य था- स्वस्थ धरा, स्थायी कृषि और दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना. इसका मकसद औषधीय पौधों की खेती को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ाना और उसे वैश्विक स्तर पर मजबूत करना था. आज जब मिट्टी की गुणवत्ता लगातार घट रही है, तब मृदा परीक्षण और जैविक तरीकों से खेती करना समय की मांग बन चुका है.

ऑर्गेनिक खेती की ओर कदम

पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण ने कार्यक्रम में कहा कि हमें कृत्रिम और रासायनिक खेती से दूर होकर जैविक खेती अपनानी चाहिए. उन्होंने बताया कि प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर की जाने वाली खेती न केवल भूमि को उपजाऊ रखती है बल्कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होती है. उनके अनुसार, गुणवत्तापूर्ण जड़ी-बूटियों की खेती तभी संभव है जब किसान मिट्टी के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगे.

योगगुरु स्वामी रामदेव ने अपने संबोधन में कहा कि औषधीय जड़ी-बूटियों की आधुनिक कृषि-प्रौद्योगिकी विकसित करना आज की आवश्यकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर भारत को वैश्विक हर्बल मार्केट में अग्रणी बनना है तो हमें अनुसंधान और तकनीक को खेती से जोड़ना होगा. स्वामी रामदेव ने यह भी कहा कि पतंजलि के माध्यम से देश के किसानों को प्राकृतिक खेती की दिशा में प्रशिक्षित किया जाएगा.

Patanjali University में दो दिनों तक चली वर्कशॉप

पतंजलि यूनिवर्सिटी (Patanjali University) दो दिनों तक चली इस वर्कशॉप में देशभर के वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों, जड़ी-बूटी उत्पादकों और छात्रों ने हिस्सा लिया. सभी ने मिलकर मृदा संरक्षण, जैविक खाद, और औषधीय पौधों की गुणवत्ता सुधारने के उपायों पर चर्चा की. सम्मेलन ने यह संदेश दिया कि सतत खेती केवल पर्यावरण संरक्षण का माध्यम नहीं है, बल्कि यह किसानों की आमदनी बढ़ाने का भी सशक्त साधन बन सकती है.

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