खाली क्लासरूम और बंद बस्ते, 5000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में एक भी स्टूडेंट नहीं
Government School: भारत में सरकारी स्कूलों को शिक्षा की रीढ़ माना जाता है. लेकिन हाल ही में सामने आए सरकारी आंकड़ों ने एक चौंकाने वाली तस्वीर दिखाई है. देशभर में हजारों ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां एक भी छात्र नहीं पढ़ रहा है. यह जानकारी शिक्षा मंत्रालय ने संसद में साझा की है. इससे साफ है कि शिक्षा व्यवस्था में कहीं न कहीं बड़ी चूक हो रही है.
Government School: भारत में सरकारी स्कूलों को गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों के लिए सबसे बड़ा सहारा माना जाता है. लेकिन हाल में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि हालात अच्छे नहीं हैं. देशभर में 5 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल (Government School) ऐसे हैं जहां एक भी छात्र पढ़ने नहीं आता. ये आंकड़े शिक्षा मंत्रालय ने संसद में पेश किए हैं, जो वाकई चिंता बढ़ाने वाले हैं.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल 10.13 लाख सरकारी स्कूल हैं. इनमें से 5,149 स्कूलों (Government School) में साल 2024-25 के दौरान एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हुआ. यानी स्कूल की इमारत खड़ी है, शिक्षक भी तैनात हैं, लेकिन क्लासरूम पूरी तरह खाली हैं. यह स्थिति दिखाती है कि लोग सरकारी स्कूलों से धीरे धीरे दूरी बना रहे हैं.
Government School: दो राज्यों में 70 फीसदी सीटें खाली
इन खाली पड़े स्कूलों (Government School) में से करीब 70 प्रतिशत सिर्फ दो राज्यों तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में हैं. इन राज्यों में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल सामने आए हैं जहां एक भी छात्र नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि यहां सरकारी स्कूलों पर लोगों का भरोसा काफी हद तक कमजोर हो गया है. कई अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं.
PTI ने शेयर की रिपोर्ट
सिर्फ पूरी तरह खाली स्कूल ही समस्या नहीं हैं. ऐसे सरकारी स्कूलों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है जहां 10 से भी कम छात्र पढ़ते हैं. साल 2022-23 में ऐसे स्कूलों की संख्या 52,309 थी. वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 65,054 हो गई. यानी दो साल में करीब 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अब ये स्कूल देश के कुल सरकारी स्कूलों का 6.42 प्रतिशत हिस्सा बन चुके हैं.
लोकसभा में उठा सवाल
लोकसभा में सांसद कार्ति पी चिदंबरम और अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने इस मुद्दे पर सवाल उठाया था. इसके जवाब में सरकार ने लिखित रूप में ये आंकड़े साझा किए. सरकार का कहना है कि कई जगह स्कूलों का मर्जर किया गया है और कुछ इलाकों में आबादी कम होने की वजह से बच्चों की संख्या घटी है. हालांकि जानकार मानते हैं कि सिर्फ यही वजह नहीं है.
सरकारी स्कूलों में छात्रों की कमी एक गंभीर समस्या है. इससे साफ होता है कि शिक्षा की गुणवत्ता, स्कूलों की सुविधाएं और लोगों का भरोसा कमजोर हुआ है. अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हालात और खराब हो सकते हैं.
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