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Google Summer of Code 2025: Coding से करोड़ों का सपना…19 की उम्र में GSoC में किया कमाल

Google Summer of Code 2025 में भारत के 19 वर्षीय छात्र ने कमाल कर दिया. GSoC में चयन के बाद अब वह एक इंटरनेशनल ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट पर काम करेगा और लाखों की कमाई करेगा. यह सफर हर कोडर के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को उड़ान देना चाहता है.

By Shubham | June 14, 2025 5:45 PM
Google Summer of Code 2025: Coding से करोड़ों का सपना…19 की उम्र में GSoC में किया कमाल

Google Summer of Code 2025: हर टेक छात्र का सपना होता है कि वह किसी ग्लोबल ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट का हिस्सा बने. ऐसा ही एक सुनहरा मौका मिला है भारत के गोपी किशन (Gopi kishan Bishnoi) को. इस छात्र को Google Summer of Code (GSoC) 2025 के लिए चुना गया है. यह छात्र अब Mifos Initiative के साथ जुड़कर एक महत्वपूर्ण वेब ऐप पर काम करेगा. बेहद कम उम्र में ही यह छात्र न सिर्फ लाखों की कमाई कर रहा है बल्कि दुनियाभर के डेवलपर्स के साथ काम करने का अनुभव भी ले रहा है. आइए जानते हैं Gopi kishan Bishnoi की सफलता (Success Story) की कहानी.

GSoC 2025 क्या है? (Google Summer of Code 2025)

Gopi kishan Bishnoi की लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, Google Summer of Code एक इंटरनेशनल प्रोग्राम है, जिसमें गूगल हर साल हजारों ओपन-सोर्स कंट्रीब्यूटर्स को मेंटरशिप और स्टाइपेंड के साथ प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका देता है. यह कार्यक्रम जून से सितंबर तक चलता है और छात्रों को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में गहरा अनुभव प्रदान करता है.

Mifos Initiative क्या है? (Google Summer of Code 2025)

Mifos Initiative एक ओपन-सोर्स फिनटेक प्लेटफॉर्म है जो कम आय वर्ग के लोगों को डिजिटल वित्तीय सेवाएं प्रदान करने में सहायता करता है. इसका मकसद फाइनेंशियल इन्क्लूजन को बढ़ावा देना है. GSoC 2025 के तहत भारतीय छात्र इस संस्था के Mifos X Web App की यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने पर काम करेगा.

इतना मिलेगा स्टाइपेंड (Google Summer of Code 2025)

गोपी ने अपने चयन का श्रेय अपने मेंटर्स को दिया है और उनके मेंटर्स ने इस सफर में उन्हें हमेशा प्रेरित किया. Google Summer of Code 2025 में गोपी को महीने के 2 से 2.5 लाख रुपये का स्टाइपेंड मिलेगा.

प्रेरणादायक है यह सफर (Success Story of Gopi kishan Bishnoi)

GSoC 2025 में चयन किसी भी टेक छात्र के लिए गौरव की बात है. यह दिखाता है कि अगर सही मेहनत, मार्गदर्शन और जुनून हो, तो भारत से बैठकर भी कोई ग्लोबल प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकता है.

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