पुलिस वर्दी में भगवान! भारत के इस मंदिर की अनोखी परंपरा, जानें क्या है इसके पीछे का कारण
Unique Temples of India: वाराणसी के बाबा काल भैरव मंदिर में भगवान को पुलिस की वर्दी पहनाने की अनोखी परंपरा है. काशी के रक्षक माने जाने वाले बाबा का यह रूप न सिर्फ धार्मिक मान्यता से जुड़ा है, बल्कि पुलिस के प्रति सम्मान और शहर की सुरक्षा का प्रतीक भी है.
Unique Temples of India: भारत में आस्था और परंपराओं का मेल देखने को कई जगह मिलता है, लेकिन वाराणसी में स्थित बाबा काल भैरव मंदिर की बात ही अलग है. यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शहर की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था का प्रतीक भी है. मान्यता है कि बाबा काल भैरव काशी के रक्षक और कोतवाल हैं, जो बुरी शक्तियों और अपराधियों से शहर की रक्षा करते हैं. यही कारण है कि यहां एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, विशेष अवसरों पर बाबा को पुलिस की वर्दी पहनाई जाती है. यह दृश्य भक्तों के लिए भावनाओं और आस्था का अद्भुत संगम बन जाता है.
काशी के रक्षक और कोतवाल
वाराणसी, जिसे काशी भी कहा जाता है, दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है. यहां स्थित बाबा काल भैरव को काशी का कोतवाल माना जाता है. मान्यता है कि बाबा शहर की रक्षा करते हैं और यहां आने वाले हर व्यक्ति को उनकी अनुमति लेनी होती है.
वर्दी पहनाने की परंपरा
इस मंदिर में विशेष अवसरों पर बाबा को पुलिस की टोपी, छाती पर बिल्ला, बाएं हाथ में चांदी का डंडा और पूरी वर्दी पहनाई जाती है. यह परंपरा कोरोना महामारी के दौरान शुरू हुई, जब स्थानीय लोगों और पुजारियों ने बाबा से शहर की सुरक्षा और महामारी से मुक्ति की प्रार्थना की थी.
पुलिस के प्रति सम्मान का प्रतीक
वर्दी पहनाने की यह अनोखी पहल सिर्फ धार्मिक भावना ही नहीं दर्शाती, बल्कि पुलिस कर्मियों के अथक प्रयासों के प्रति आभार और सम्मान का प्रतीक भी है. तब से यह परंपरा समय-समय पर निभाई जाती है, खास मौकों और संकट की घड़ी में.
भक्तों की उमड़ती भीड़
बाबा काल भैरव के इस अनोखे रूप को देखने के लिए मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. श्रद्धालुओं का मानना है कि पुलिस की वर्दी में बाबा एक संदेश देते हैं कि वे काशी के रक्षक हैं और गलत काम करने वालों को दंडित करते हैं.
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