NCERT मॉड्यूल में बंटवारे का दर्द, जिन्ना कांग्रेस और माउंटबेटन दोषी
NCERT Partition Horrors: नई शिक्षा नीति 2020 के आने के बाद एनसीईआरटी लगातार अपने सिलेबस में बदलाव करता नजर आ रहा है. इस कड़ी में NCERT की तरफ से नया स्पेशल मॉड्यूल जारी किया गया है. एनसीआईरटी का स्पेशल मॉड्यूल आजादी के समय बंटवारे के दर्द को बयान करने वाला है. इस मॉड्यूल का नाम NCERT Partition Horrors रखा गया है.
NCERT Partition Horrors: नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के लागू होने के बाद से एनसीईआरटी लगातार अपने सिलेबस में बदलाव कर रहा है. इसी क्रम में अब एक नया स्पेशल मॉड्यूल जारी किया गया है जिसका नाम NCERT Partition Horrors रखा गया है. यह मॉड्यूल आजादी के समय हुए बंटवारे के दर्द और उससे जुड़ी त्रासदियों को विस्तार से बताता है. भारत का बंटवारा आजादी की सबसे कड़वी यादों में से एक है जिसने लाखों लोगों को उजाड़ दिया और करोड़ों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी.
NCERT Partition Horrors जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन जिम्मेदार
इस स्पेशल मॉड्यूल में बंटवारे की पूरी प्रक्रिया के लिए तीन बड़े नामों को जिम्मेदार बताया गया है. पहला नाम मोहम्मद अली जिन्ना का है जिन्होंने पाकिस्तान की मांग को अड़ा कर रखा. दूसरा नाम कांग्रेस का है जिसने हालात के आगे झुकते हुए विभाजन को स्वीकार कर लिया. तीसरा नाम लॉर्ड माउंटबेटन का है जिन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को जल्दबाजी में अंजाम दिया. अब तक बंटवारे की कहानी को अक्सर सिर्फ ‘जिन्ना की जिद’ तक सीमित किया जाता था लेकिन एनसीईआरटी ने इसे व्यापक दृष्टिकोण से समझाने की कोशिश की है.
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NCERT Partition Horrors में गृहयुद्ध का जिक्र
एनसीईआरटी मॉड्यूल यह भी बताता है कि विभाजन जरूरी नहीं था लेकिन गलत विचारों और हालात ने भारत और पाकिस्तान को अलग कर दिया. कांग्रेस ने गृहयुद्ध और व्यापक संघर्ष से बचने के लिए इसे स्वीकार किया. जवाहरलाल नेहरू ने इसे ‘बहुत खराब परिस्थिति’ में भी गृहयुद्ध से बेहतर माना. महात्मा गांधी ने इसका विरोध किया लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से. वहीं, सरदार पटेल ने इसे ‘कड़वा इलाज’ कहा. इससे साफ होता है कि विभाजन एक मजबूरी थी लेकिन इसकी चोटें पीढ़ियों तक महसूस की गईं.
मॉड्यूल के अनुसार, बंटवारे की प्रक्रिया को जिस जल्दबाजी में पूरा किया गया उसने हालात को और बिगाड़ दिया. पहले यह योजना जून 1948 की थी लेकिन इसे आगे बढ़ाकर 15 अगस्त 1947 कर दिया गया. रेडक्लिफ लाइन की योजना अधूरी थी और लाखों लोग नहीं समझ पाए कि उनका गांव किस देश में शामिल हो गया. इस लापरवाही और असमंजस ने हिंसा और त्रासदी को और बढ़ा दिया. एनसीईआरटी ने इसे विभाजन की सबसे बड़ी भूलों में से एक बताया है.
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