General Knowledge: जब रोम जल रहा था, क्या सच में बांसुरी बजा रहा था नीरो? जानें इस मशहूर कहावत के पीछे की सच्चाई
General Knowledge: रोमन सम्राट नीरो को लेकर मशहूर कहावत है कि जब रोम जल रहा था, वह बांसुरी बजा रहा था. जानिए, क्या यह कहानी सच है या सिर्फ एक ऐतिहासिक गलतफहमी, और क्यों इतिहासकार नीरो के समय के वाद्य यंत्र की ओर इशारा करते हैं.
General Knowledge: रोम के कुख्यात शासकों की बात हो तो सम्राट नीरो का नाम सबसे पहले आता है. इतिहास में उसे एक क्रूर और निर्दयी राजा के रूप में याद किया जाता है. कहा जाता है कि नीरो ने अपनी मां, सौतेले भाई और पत्नियों तक की हत्या करवा दी थी. वह अपने महल में मनमर्जी से जीवन जीता था, लेकिन रोम के मामलों में उसकी गहरी दिलचस्पी रहती थी. मनोरंजन के क्षेत्र में भी उसकी सोच अलग थी और उसे ही सर्कस की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है.
नीरो को संगीत और गीतों का बेहद शौक था. वह स्वयं ‘लाइरे’ नामक वाद्य यंत्र बजाता था. 64 ईस्वी में रोम में लगी भयंकर आग के साथ उसका नाम हमेशा के लिए जुड़ गया. कहा जाता है कि जब रोम जल रहा था, वह बांसुरी बजा रहा था. लेकिन क्या यह सच है?
कौन था नीरो?
54 ईस्वी में महज 16 साल की उम्र में नीरो रोमन साम्राज्य का शासक बना. उसकी मां ने महल की साजिशों और जोड़-तोड़ से उसे सत्ता तक पहुंचाया. साम्राज्य स्पेन से लेकर ब्रिटेन और सीरिया तक फैला हुआ था. शुरुआत में उसकी मां सबसे करीबी सलाहकार थी, लेकिन बाद में नीरो ने सत्ता के नशे में अपनी मां, पत्नी और सौतेले भाई की हत्या करवा दी.
आग और बांसुरी वाली कहावत
64 ईस्वी में रोम में भीषण आग लगी, जिसने शहर का बड़ा हिस्सा खाक कर दिया. प्रचलित कहावत के अनुसार, आग के दौरान नीरो बांसुरी बजा रहा था. कई इतिहासकारों का मानना है कि आग खुद नीरो ने लगवाई थी, ताकि अपने सपनों का ‘गोल्डन हाउस’ बनवा सके. दूसरी और तीसरी शताब्दी के स्रोत भी इस दावे की पुष्टि करते हैं.
क्या सच में नीरो बजा रहा था बांसुरी?
इतिहासकार मैथ्यू बताते हैं कि बांसुरी का अविष्कार तो सातवीं शताब्दी में हुआ था, यानी नीरो के समय मौजूद ही नहीं थी. हालांकि उस समय एक वाद्य यंत्र ‘लाइरे’ (Lyre) होता था, जिसे नीरो खुद बजाता था. इसलिए संभव है कि बांसुरी वाली कहावत दरअसल ‘लाइरे’ बजाने की घटना का गलत रूप हो.
रोम का पुनर्निर्माण
आग से रोम लगभग खत्म हो गया था, लेकिन बाद में नीरो ने इसका पुनर्निर्माण भी करवाया. इसके बावजूद आग लगाने और अपनी निर्दयता की कहानियों के कारण इतिहास में उसकी छवि हमेशा एक क्रूर शासक की रही.
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