CBSE Counseling 2025: सीबीएसई ने लॉन्च किया हब-एंड-स्पोक मॉडल, हर छात्र तक पहुंचेगी काउंसलिंग सुविधा

CBSE Counseling 2025: सीबीएसई ने 2025-26 सत्र से काउंसलिंग हब और स्पोक मॉडल लागू किया है. इसका उद्देश्य छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, सहकर्मी सीखने और समय पर मनोसामाजिक सहयोग उपलब्ध कराना है. इस पहल से स्कूलों में सहयोगी नेटवर्क मजबूत होगा और सेवाओं की गुणवत्ता पर निगरानी रखी जाएगी.

By Pushpanjali | August 29, 2025 3:26 PM

CBSE Counseling 2025: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2025-26 शैक्षणिक सत्र से छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को मजबूत करने के लिए नई पहल की है. बोर्ड ने काउंसलिंग हब और स्पोक स्कूल मॉडल की शुरुआत की है. इस मॉडल का उद्देश्य स्कूलों में सहयोगी नेटवर्क बनाकर परामर्श सेवाओं की पहुंच बढ़ाना और बच्चों को समय पर मनोसामाजिक सहयोग उपलब्ध कराना है.

किसे भेजी गई जानकारी

बोर्ड ने हब और स्पोक स्कूलों की सूची जारी करते हुए इसकी अधिसूचना कई संस्थानों को भेजी है. इनमें केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, सैनिक स्कूल, ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन, राज्य शिक्षा निदेशालय, ए.डब्ल्यू.ई.एस. और केंद्रीय तिब्बती स्कूल प्रशासन शामिल हैं.

मॉडल का मकसद

यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के विचारों पर आधारित है. इसका लक्ष्य है—

  • छात्रों तक परामर्श सेवाओं की सहज पहुंच
  • स्कूलों की संस्थागत क्षमता में वृद्धि
  • बच्चों में सहकर्मी सीखने और कल्याण को बढ़ावा देना

भूमिकाएं और जिम्मेदारी

इस मॉडल में सबसे अहम भूमिका स्कूल के प्रधानाचार्य की होगी. वे संपूर्ण व्यवस्था की देखरेख करेंगे. उनके मार्गदर्शन में काउंसलर और स्वास्थ्य शिक्षक छात्रों की मदद करेंगे. साथ ही, हब स्कूलों के काउंसलर हर महीने स्पोक स्कूलों के काउंसलरों के साथ मिलकर तय गतिविधियां संचालित करेंगे. इससे बच्चों को निरंतर सहायता मिलेगी.

रिपोर्टिंग प्रणाली

पहल को प्रभावी बनाने के लिए रिपोर्टिंग की एक स्पष्ट व्यवस्था तय की गई है. स्पोक स्कूल हर महीने अपनी रिपोर्ट हब स्कूल को भेजेंगे. इसके बाद हब स्कूल सभी रिपोर्टों को संकलित कर हर महीने की 5 तारीख तक गूगल फॉर्म के माध्यम से सीबीएसई को प्रेषित करेंगे. इस तरह परामर्श सेवाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर नियमित निगरानी संभव होगी.

यह कदम छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है और शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव ला सकता है.

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