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Judge vs Magistrate: जज और मजिस्ट्रेट में किसकी सैलरी ज्यादा, देखें काम में क्या है अंतर

Judge vs Magistrate: भारतीय न्याय प्रणाली मुख्यत तीन स्तरों में बंटी होती है. सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट), उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) और अधीनस्थ न्यायालय (लोअर कोर्ट). प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए यहां हम जानेंगे कि जज और मजिस्ट्रेट में क्या फर्क होता है, इनके अधिकार क्या हैं और इनकी सैलरी कितनी होती है.

By Ravi Mallick | June 23, 2025 2:36 PM
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Judge vs Magistrate: जब भी हम न्यायपालिका की बात करते हैं, तो हमारे मन में जज, मजिस्ट्रेट, वकील और मुकदमों जैसे शब्द सामने आते हैं. आमतौर पर लोग जज और मजिस्ट्रेट को लेकर भ्रमित रहते हैं, जबकि दोनों के कार्य और पद की प्रकृति अलग-अलग होती है. यहां हम जानेंगे कि जज और मजिस्ट्रेट में क्या फर्क (Difference Between Judge and Magistrate) होता है, इनके अधिकार क्या हैं और इनकी सैलरी कितनी होती है.

Judge vs Magistrate: क्या है अंतर?

भारतीय न्याय प्रणाली मुख्यत तीन स्तरों में बंटी होती है – सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट), उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) और अधीनस्थ न्यायालय (लोअर कोर्ट). जिला स्तर पर जो न्यायिक प्रक्रिया होती है, उसमें जज और मजिस्ट्रेट की अहम भूमिका होती है. हालांकि कई बार लोग दोनों को समान समझ लेते हैं, लेकिन इनमें जिम्मेदारियों और अधिकारों का स्पष्ट अंतर होता है. क्रिमिनल रूल्स ऑफ प्रैक्टिस एंड सर्कूलर ऑर्डर 1990 के अनुसार दिए गए अंतर को नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके चेक कर सकते हैं.

Difference Between Judge and Magistrate

मजिस्ट्रेट का काम

मजिस्ट्रेट की श्रेणियों में कार्यपालक मजिस्ट्रेट, मुख्य महानगरीय मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट, द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) शामिल होते हैं. किसी जिले में सबसे ऊंचा मजिस्ट्रेट सीजेएम होता है.

मजिस्ट्रेट को सीमित अधिकार प्राप्त होते हैं. ये गंभीर मामलों में मृत्यु या आजीवन कारावास की सजा नहीं सुना सकते. इनका मुख्य कार्य राजस्व वसूली, जिला प्रशासन की निगरानी और कानून व्यवस्था बनाए रखना होता है.

जज का काम

दूसरी ओर, जज का कार्यक्षेत्र व्यापक होता है. जब कोई जज सिविल मामलों की सुनवाई करता है तो वह ‘डिस्ट्रिक्ट जज’ कहलाता है और जब वही आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है तो उसे ‘सेशन जज’ कहा जाता है. जजों के भी कई स्तर होते हैं जैसे कि डिस्ट्रिक्ट जज, हाईकोर्ट जज और सुप्रीम कोर्ट जज. इनका कार्य न्यायिक प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से संचालित करना होता है.

जज बनने के लिए उम्मीदवार को न्यायिक सेवा परीक्षा पास करनी होती है. उत्तर प्रदेश पीसीएस ज्यूडिशियल के अंतर्गत पे लेवल 9 के अनुसार एक सिविल जज को 56,100 रुपये मूल वेतन मिलता है, जबकि कुल वेतन लगभग 70 हजार रुपये तक होता है. इसके अलावा आवास, परिवहन, चिकित्सा, बच्चों की शिक्षा और महंगाई भत्ते जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं.

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नोट: जज और मजिस्ट्रेट की सैलरी की जानकारी रिपोर्ट्स और रिसर्च के आधार पर की गई है. इसकी आधिकारिक पुष्टि के लिए Judicial Service की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं.

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