Engineering में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स की गैर-अनिवार्यता पर AICTE का यू टर्न, अब ऐसे लागू होगा नया नियम

एआईसीटीई (AICTE) ने शुक्रवार को कहा कि भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में महत्वपूर्ण विषय बने रहेंगे और राज्य सरकार या संस्थानों के लिए इन पाठ्यक्रमों की पेशकश करना अनिवार्य नहीं है. लेकिन, अब एआईसीटीई ने यू-टर्न ले लिया है. एआईसीटीई ने कहा कि इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित महत्वपूर्ण विषय बने रहेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2021 7:57 PM

एआईसीटीई (AICTE) ने शुक्रवार को कहा कि भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में महत्वपूर्ण विषय बने रहेंगे और राज्य सरकार या संस्थानों के लिए इन पाठ्यक्रमों की पेशकश करना अनिवार्य नहीं है. लेकिन, अब एआईसीटीई ने यू-टर्न ले लिया है. एआईसीटीई ने कहा कि इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित महत्वपूर्ण विषय बने रहेंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, एआईसीटीई के चेयरपर्सन अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल या एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग जैसे स्ट्रीम में शामिल होने वाले छात्रों के पास 12 वीं कक्षा में इन विषयों का अध्ययन नहीं करने का विकल्प होगा.

सहस्रबुद्धे ने कहा, “मैकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे इंजीनियरिंग की कुछ स्ट्रीम के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित महत्वपूर्ण विषय बने रहेंगे, ऐसा नहीं है कि ये विषय अपनी प्रासंगिकता खो देंगे. हालांकि, टेक्सटाइल इंजीनियरिंग, कृषि जैसी स्ट्रीम के लिए अथवा जैव प्रौद्योगिकी के लिए छात्रों के पास एक विकल्प होगा.”

संशोधित नियमों में एआईसीटीई ने 14 विषयों – भौतिकी, गणित, रसायन विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, जीव विज्ञान, इनफॉर्मेटिक्स प्रैक्टिस, जैव प्रौद्योगिकी, तकनीकी व्यावसायिक विषय, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, व्यावसायिक अध्ययन, अंत्रप्रेन्योरशिप विषयों को सूची में शामिल किया था.

चेयरपर्सन ने वर्तमान अनिवार्य प्राथमिकता को लेकर कही ये बात

चेयरपर्सन ने कहा कि राज्यों या संस्थानों के लिए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पीसीएम की अपनी वर्तमान अनिवार्य प्राथमिकता को बदलना अनिवार्य नहीं है.

मातृभाषा में अपने पाठ्यक्रम को लेकर कही ये बात

मातृभाषा में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की पेशकश करने पर, एआईसीटीई ने हाल ही में अपने सर्वेक्षण का हवाला दिया जहां मौजूदा दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष के इंजीनियरिंग छात्रों में से 42 प्रतिशत ने कहा कि वे अपनी मातृभाषा में अपने पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाना पसंद करेंगे.

Posted By: Shaurya Punj

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