नेपाल के इकलौते अरबपति, जिनके प्रोडक्ट की दुनिया दीवानी, भूकंप में बहाया था पानी की तरह पैसा

Wai Wai Noodles Owner: वाई-वाई नूडल्स के मालिक बिनोद चौधरी का प्रोडक्ट भारत के हर कोने में लोकप्रिय है. साधारण परिवार में जन्मे बिनोद नेपाल के इकलौते अरबपति हैं और उनकी संपत्ति हजारों करोड़ रुपये में आंकी जाती है.

By Abhishek Pandey | February 16, 2025 1:08 PM

Wai Wai Noodles Owner Binod Chaudhary: नेपाल, जिसे हिमालय की गोद कहा जाता है, वहां के एक उद्योगपति ने न केवल अपने देश बल्कि पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. हम बात कर रहे हैं नेपाल के इकलौते अरबपति बिनोद चौधरी की, जिनका नाम दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल हो चुका है. उनके प्रोडक्ट्स आज दुनियाभर में मशहूर हैं और उनकी कारोबारी सूझबूझ की मिसाल दी जाती है.

कैसे बना नेपाल का पहला अरबपति

बिनोद चौधरी का जन्म 14 अप्रैल 1955 को नेपाल के एक व्यापारी परिवार में हुआ था. उनके दादा भारत से नेपाल आए थे और उनके पिता लक्ष्मी दास चौधरी ने कारोबार की नींव रखी थी. बिनोद ने अपने परिवार के कारोबार को और आगे बढ़ाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे पहचान दिलाई. उनका सबसे प्रसिद्ध ब्रांड “वाई-वाई नूडल्स” (Wai Wai Noodles) है, जिसे नेपाल और भारत समेत 35 से ज्यादा देशों में पसंद किया जाता है. नेपाल से शुरू हुई यह कंपनी आज वैश्विक ब्रांड बन चुकी है और इसका मार्केट भारत, चीन, अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका तक फैला हुआ है.

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कारोबारी साम्राज्य और सफलता की कहानी

चौधरी ग्रुप (CG Group) के मालिक बिनोद चौधरी के पास आज 1.5 अरब डॉलर (लगभग 12,500 करोड़ रुपये) की संपत्ति है. उनके व्यापार में नूडल्स के अलावा होटल, सीमेंट, बैंकिंग, हाइड्रोपावर और टेक्सटाइल सेक्टर भी शामिल हैं. वे न केवल नेपाल बल्कि दुनियाभर में होटल चेन और रियल एस्टेट में भी निवेश कर चुके हैं. उनके पास ताज समूह (Taj Group) के साथ पार्टनरशिप में कई लक्जरी होटल हैं, और उन्होंने दुनिया के कई देशों में रिसॉर्ट्स भी विकसित किए हैं.

भूकंप में बहाया था पानी की तरह पैसा

2015 में नेपाल में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और लाखों बेघर हो गए थे. उस समय बिनोद चौधरी ने मदद के लिए अपनी तिजोरी खोल दी. उन्होंने 4 मिलियन डॉलर (करीब 30 करोड़ रुपये) राहत कार्यों में खर्च किए और हजारों घर बनवाने में मदद की. उन्होंने सिर्फ पैसे ही नहीं दिए, बल्कि अपनी कंपनी के संसाधनों को भी राहत कार्यों में झोंक दिया. उन्होंने भूकंप पीड़ितों के लिए अस्थायी घर बनाए और नेपाल के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई.

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