ट्रंप की एक और धमकी- भारत-चीन पर 100% टैरिफ लगाए यूरोपीय यूनियन
Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन पर 100% टैरिफ लगाने के लिए यूरोपीय यूनियन पर दबाव बनाया है. ट्रंप का मानना है कि इस कदम से रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा और यूक्रेन युद्ध समाप्त करने में मदद मिलेगी. इससे पहले अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर कुल 50% तक का टैरिफ लगाया था. इस बीच भारत ने रूसी तेल की खरीद बढ़ाकर अपने ऊर्जा हितों को प्राथमिकता दी है.
Trump Tariff: भारत पर 50% तक भारी टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब यूरोपीय यूनियन पर भारत-चीन पर 100% टैरिफ लागू करने का दबाव बना रहे हैं. इसके पीछे उनका तर्क यह है कि इस कदम से रूस पर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए आर्थिक दबाव बढ़ाया जा सके. फाइनेंशियल टाइम्स ने बुधवार को अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने मंगलवार को वॉशिंगटन में वरिष्ठ अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों की एक बैठक में टैरिफ बढ़ाने का अपील की है. इस बैठक में रूस पर युद्ध का आर्थिक भार बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की गई.
भारत-चीन पर टैरिफ लगाने को तैयार यूरोपीय यूनियन
‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा कि अमेरिका यूरोपीय यूनियन भारत और चीन पर लगाए गए किसी भी टैरिफ को समान रूप से लागू करने के लिए तैयार है. यह खबर ऐसे समय में आई है, जब ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर भारत-अमेरिका संबंधों के सकारात्मक दृष्टिकोण पर चर्चा की और द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के प्रयासों का जिक्र किया.
भारत-अमेरिका के रिश्ते में उठापटक जारी
भारत और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ समय से उठापटक के दौर से गुजर रहे हैं. ट्रंप ने भारतीय उत्पादों के आयात पर टैरिफ को बढ़ाकर 25% करने के अलावा रूसी तेल की खरीद जारी रखने के एवज में 25% का अतिरिक्त जुर्माना भी लगा दिया है. इस तरह भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में कुल 50% टैरिफ लगने लगा है. इस तनाव के बीच दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर जारी बातचीत भी रुक गई है. अमेरिकी दल को छठे दौर की वार्ता के लिए 25 अगस्त को भारत आना था, लेकिन वह दौरा स्थगित हो गया और अब तक नई तारीखों की घोषणा नहीं हुई है.
सोशल मीडिया पर मोदी-ट्रंप की वार्ता
ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर ऐसे संकेत दिए हैं कि संबंधों को पटरी पर लाने के लिए कुछ प्रयास किए जाएंगे. हालांकि, व्यापार सलाहकार पीटर नवारो जैसे ट्रंप प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणियां की हैं. भारत ने इन सभी आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए कहा है कि उसने अपने राष्ट्रीय हित और बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए रूस से सस्ता तेल खरीदा है.
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भारत ने बढ़ाई रूसी तेल खरीद
साल 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे. ऐसे में रियायती कीमत पर उपलब्ध कच्चे तेल की भारत ने खरीद बढ़ा दी. वित्त वर्ष 2019-20 में भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी केवल 1.7% थी, जो 2024-25 में बढ़कर 35.1% तक पहुंच गई और रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया.
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