RBI Policy: रिजर्व बैंक रेपो रेट पर क्या लेगी फैसला, महंगा होगा कर्ज या मिलेगी राहत, जानें एक्सपर्ट की राय

RBI Policy: शीर्ष बैंक के द्वारा पॉलिसी रिव्यू में लगातार प्रमुख ब्याज दरों को यथावत रखा जा सकता है. एक्सपर्ट्स की माने तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के प्रधान दरों में बढ़ोतरी के बावजूद घरेलू मुद्रास्फीति आरबीआई के सहनशील दायरे में बनी हुई है.

By Prabhat Khabar Print Desk | July 30, 2023 7:34 PM

RBI Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के द्वारा मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक 8-10 अगस्त होनी है. इस छह सदस्यीय कमिटी के बैठक की अध्यक्षता रिजर्व बैंक के गवर्नर के द्वारा की जाएगी. संभावना जतायी जा रही है कि शीर्ष बैंक के द्वारा पॉलिसी रिव्यू में लगातार प्रमुख ब्याज दरों को यथावत रखा जा सकता है. एक्सपर्ट्स की माने तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के प्रधान दरों में बढ़ोतरी के बावजूद घरेलू मुद्रास्फीति आरबीआई के सहनशील दायरे में बनी हुई है. आरबीआई ने पिछले साल मई से ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू की थी, हालांकि इस साल फरवरी के बाद से रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है. अप्रैल और जून में पिछली दो द्विमासिक नीति समीक्षाओं में इसमें बदलाव नहीं किया गया.

10 अगस्त RBI करेगी नीतिगत निर्णय की घोषणा

आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 8-10 अगस्त को होगी. दो दिनों की बैठक के बाद 10 अगस्त को एक प्रेस कॉफ्रेंस में गवर्नर शक्तिकांत दास नीतिगत निर्णय की घोषणा करेंगे. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई दरों पर यथास्थिति बनाए रखेगा. इसका कारण यह है कि मुद्रास्फीति इस समय पांच प्रतिशत से कम चल रही है, लेकिन आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ने के साथ इसमें कुछ बढ़ोतरी का जोखिम होगा. वहीं, कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि चूंकि 2,000 रुपये के नोट को वापस लेने की घोषणा के बाद नकदी की स्थिति अनुकूल हो गई है, इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई मौजूदा रुख पर कायम रहेगा. उन्होंने कहा कि सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि घरेलू मुद्रास्फीति का रुख कैसा रहता है.

बढ़ सकती है खुदरा महंगाई दर

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सब्जियों की कीमतों में उछाल से जुलाई 2023 में सीपीआई या खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर जाने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि ऐसे में रेपो दर पर यथास्थिति बनी रहने के साथ एमपीसी की काफी तीखी टिप्पणी देखने को मिल सकती है.

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क्या है रेपो रेट

रेपो रेट (Repo Rate) एक आर्थिक शब्द है जो वित्तीय बाजार में उपयोग होता है. यह शब्द भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य भारतीय बैंकों द्वारा व्यापार बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से उधार लेने के लिए आवश्यक रिपोर्टेबल संलग्नक (Collateral) के विरुद्ध उचित ब्याज दर का नाम है. RBI रेपो रेट को बदलते हैं ताकि वित्तीय बाजार में रुपये की उपलब्धता और उधार लेने की दर पर प्रभाव पड़े. अगर रेपो रेट बढ़ाई जाती है तो वित्तीय संस्थानों को RBI को ज्यादा ब्याज देने की जरूरत होती है, जिससे वित्तीय संस्थानों को उधार लेने में अधिक खर्च होता है और उसे अपने ग्राहकों को भी उधार देने में अधिक खर्च होता है. इससे ऋण लेने में कठिनाई होती है और दर द्वारा उधार लेने की संभावना कम हो जाती है. वहीं, अगर रेपो रेट को घटाया जाता है तो वित्तीय संस्थानों को RBI को कम ब्याज देने की जरूरत होती है, जिससे उधार लेने की दर कम होती है और उधार लेने के लिए अधिक आकर्षक होता है. इससे ऋण लेने में आसानी होती है और वित्तीय संस्थान ग्राहकों को भी उधार देने के लिए उपलब्ध होता है. इसलिए, रेपो रेट बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसके बदलने से बाजार के ब्याज दरों और ऋण उपलब्धता पर प्रभाव पड़ता है.

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