Mutual Fund में जल्दी लगा दें पैसा, रिटेल इन्वेस्टर्स की एंट्री से बदलेगी तस्वीर
Mutual Fund: भारत में रिटेल इन्वेस्टर्स की बढ़ती भागीदारी से म्यूचुअल फंड उद्योग में अगले 10 सालों में तेज उछाल देखने को मिल सकता है. बेन एंड कंपनी और ग्रो की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2035 तक एयूएम 300 लाख करोड़ रुपये और प्रत्यक्ष इक्विटी 250 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. डिजिटल प्लेटफॉर्म, बढ़ती वित्तीय साक्षरता और लंबी अवधि के निवेश की ओर झुकाव इस बदलाव को गति दे रहे हैं. रिटेल निवेश भारत की 10 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की राह में अहम भूमिका निभाएगा.
Mutual Fund: भारत में म्यूचुअल फंड योजनाओं के प्रति रिटेल इन्वेस्टर्स की बढ़ती दिलचस्पी आने वाले वर्षों में वित्तीय बाजार के ढांचे को पूरी तरह बदल सकती है. एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2035 तक म्यूचुअल फंड उद्योग के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 300 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है. साथ ही, इसी अवधि में प्रत्यक्ष इक्विटी शेयरधारिता के 250 लाख करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है. यह वृद्धि भारतीय परिवारों के तेजी से बदलते निवेश व्यवहार का प्रत्यक्ष संकेत मानी जा रही है.
रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी बनेगी असली ड्राइवर
सलाहकार कंपनी बेन एंड कंपनी और निवेश मंच ग्रो की ओर से जारी हाउ इंडिया इन्वेस्ट्स रिपोर्ट बताती है कि एयूएम में यह मजबूत उछाल मुख्य रूप से रिटेल इन्वेस्टर्स की बढ़ती भागीदारी से संचालित है. डिजिटल प्लेटफॉर्मों के विस्तार, निवेश प्रक्रियाओं के सरल होने और निवेश विकल्पों की बेहतर समझ के कारण लाखों नए इन्वेस्टर्स म्यूचुअल फंड की ओर आकर्षित हो रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि अगले 10 साल में भारत में म्यूचुअल फंड की पहुंच 10% से बढ़कर 20% होने की संभावना है. यानी दोगुनी संख्या में परिवार इस संपत्ति वर्ग को अपनी दीर्घकालिक वित्तीय योजना का हिस्सा बनाने लगेंगे.
डिजिटल इंडिया ने बढ़ाई निवेश की रफ्तार
डिजिटल इकोसिस्टम के विस्तार ने भारतीय निवेशकों की आदतों को गहराई से प्रभावित किया है. ग्रो, जेरोधा जैसे प्लेटफॉर्मों ने निवेश की प्रक्रिया को इतना आसान बना दिया है कि आज छोटे शहरों और कस्बों से भी बड़ी संख्या में लोग म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में हिस्सा ले रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, म्यूचुअल फंड उद्योग की अगली वृद्धि लहर का नेतृत्व डिजिटल सक्षमता, बढ़ती घरेलू स्वीकृति, सहायक विनियमन और मजबूत निवेशक विश्वास करेंगे. यह बदलाव भारत को वैश्विक निवेश बाजारों में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा.
इक्विटी निवेश में बदलाव
रिपोर्ट में इन्वेस्टर्स की सोच में बदलाव पर जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि पहले जहां यूथ ट्रेडिंग और सट्टेबाजी आधारित लेनदेन करते थे. वहीं, अब वे लॉन्गटर्म इन्वेस्टमेंट की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. डिजिटल पहुंच में वृद्धि, बाजारों का स्थिर प्रदर्शन और वित्तीय साक्षरता ने लोगों को प्रत्यक्ष इक्विटी निवेश के महत्व को समझने में मदद की है. यही वजह है कि 2035 तक इक्विटी हिस्सेदारी में तेजी से वृद्धि की उम्मीद की जा रही है.
पहले बचत से पहले निवेश की ओर सफर
बेन इंडिया के पार्टनर और वित्तीय सेवा प्रमुख सौरभ त्रेहान बताते हैं कि भारतीय परिवार पारंपरिक बचत मॉडल से धीरे-धीरे निवेश-उन्मुख दृष्टिकोण को अपना रहे हैं. म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार हाल के वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले परिसंपत्ति वर्ग बने हैं. ग्रो के सह-संस्थापक हर्ष जैन भी मानते हैं कि भारतीयों में पहले निवेश की नई मानसिकता आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम है.
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भारत की अर्थव्यवस्था में रिटेल इन्वेस्टर्स की भूमिका अहम
रिपोर्ट में भारत की 10,000 अरब डॉलर (10 ट्रिलियन डॉलर) की अर्थव्यवस्था बनने की यात्रा में रिटेल इन्वेस्टमेंट की भूमिका को बेहद अहम बताया गया है. इस बढ़ते इन्वेस्टमेंट कल्चर से जहां लाखों निवेशकों की वित्तीय स्थिरता मजबूत होगी. वहीं, वित्तीय बाजारों में पूंजी प्रवाह बढ़ने से सात लाख से अधिक नई नौकरियों के सृजन की संभावना भी बताई गई है.
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