Indian Railways : चीनी कंपनी के 470 करोड़ का ठेका रद्द होने के बाद रेलवे का अधूरा काम पूरा कर सकता है बिड़ला ग्रुप

Indian Railways news : भारतीय रेलवे द्वारा सिग्नलिंग और दूरसंचार कार्य पर खराब प्रगति के लिए चीनी कंपनी के 470 करोड़ रुपये के अनुबंध को समाप्त करने के कुछ दिनों बाद भारत की एक कंपनी ने अधूरे काम को पूरा करने की इच्छा जाहिर की है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में केके बिड़ला ग्रुप ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) पर अधूरे सिग्नलिंग और टेलीकम्यूनिकेशन के काम को पूरा करने में दिलचस्पी दिखायी है. भारत की सबसे पुरानी रेलवे इंजीनियरिंग कंपनियों में से एक टेक्समको रेल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड और केके बिड़ला ग्रुप द्वारा प्रबंधित कंपनी ने डीएफसी प्रोजेक्ट के निष्पादन के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DFCCIL) को एक पत्र लिखा है, जिसमें अधूरे काम को पूरा करने का प्रस्ताव है.

By Prabhat Khabar Print Desk | July 21, 2020 8:26 PM

Indian Railways news : भारतीय रेलवे द्वारा सिग्नलिंग और दूरसंचार कार्य पर खराब प्रगति के लिए चीनी कंपनी के 470 करोड़ रुपये के अनुबंध को समाप्त करने के कुछ दिनों बाद भारत की एक कंपनी ने अधूरे काम को पूरा करने की इच्छा जाहिर की है. अंग्रेजी के एक अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में केके बिड़ला ग्रुप ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) पर अधूरे सिग्नलिंग और टेलीकम्यूनिकेशन के काम को पूरा करने में दिलचस्पी दिखायी है. भारत की सबसे पुरानी रेलवे इंजीनियरिंग कंपनियों में से एक टेक्समको रेल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड और केके बिड़ला ग्रुप द्वारा प्रबंधित कंपनी ने डीएफसी प्रोजेक्ट के निष्पादन के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DFCCIL) को एक पत्र लिखा है, जिसमें अधूरे काम को पूरा करने का प्रस्ताव है.

अखबार की रिपोर्ट में कालिंदी रेल निर्माण का प्रतिनिधित्व करने वाली कंपनी के मुख्य कार्यकारी (प्रोजेक्ट्स) एमएस मनोहर ने कहा कि यह फर्म समझती है कि चीनी कंपनी के अनुबंध की अचानक समाप्ति के बाद परियोजा की उसी राशि में मौजूदा समय में काम काफी हद तक पटरी पर वापस आ जाएगा. टेक्समाको रेल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड की एक शाखा कालिंदी रेल निर्माण ने तकनीकी रूप से अनुमोदित के रूप में अर्हता प्राप्त की थी और वर्ष 2016 के निविदा में दूसरी सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि परियोजना के लिए निर्धारित दरों में चीनी कंपनी के सामने इस दौड़ में यह कंपनी पिछड़ गयी थी. फिर, इसने जापान की प्रमुख सिग्नलिंग कंपनी क्योसन के साथ साझेदारी की. कंपनी के प्रस्ताव में कहा गया है कि वह परियोजना के समग्र और राष्ट्रीय हित में (अनुबंध) पैकेज लेने की संभावना तलाशने के लिए तैयार है.

कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, इस तरह के कदम उठाने का प्रस्ताव राष्ट्रीय हित में था. हालांकि, अधूरा काम इस बात पर निर्भर करेगा कि पहले से काम कर हरी चीनी कंपनी का सिग्नलिंग सिस्टम अन्य प्रणालियों के साथ कितना अनुकूल है. कंपनी के कार्यकारी ने आगे कहा कि हिताची की साझेदारी में टेक्समाको पहले से ही पश्चिमी डीएफसी में रेवाड़ी से वड़ोदरा तक सबसे बड़ा सिग्नलिंग कार्य कर रही है.

डीएफसीसीआईएल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आमतौर पर मानसून के दौरान कोई काम नहीं होता है. अधिकारी ने कहा कि डीएफसीसीआईएल इस समय का उपयोग औपचारिकताओं को खत्म करने के लिए करना चाहता है, ताकि बरसात का मौसम खत्म होते ही काम शुरू हो सके.

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि निविदा के शेष कार्य को राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा और नए लोगों का चयन करने के लिए फिर से बोली प्रक्रिया शुरू होगी. बता दें कि 470 करोड़ रुपये के अनुबंध को खोने के बाद चीनी कंपनी ने डीएफसीसीआईएल के खिलाफ को दिल्ली हाईकोर्ट में केस दर्ज किया है.

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Posted By : Vishwat Sen

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