GST Reforms: पश्मीना से लेकर खुबानी तक सब सस्ता, जीएसटी दरों में कटौती के बाद बदल रहा लद्दाख

GST Reforms: लद्दाख में हालिया जीएसटी कटौती ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है. पश्मीना, नमदा कालीन, खुबानी, याक डेयरी और लकड़ी शिल्प जैसे उत्पादों पर टैक्स घटने से कारीगरों, किसानों और छोटे उद्यमों को राहत मिली है. पर्यटन, जैविक खेती और पारंपरिक हस्तकला को प्रोत्साहन मिलने से लद्दाख की आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक विरासत को मजबूती मिली है. यह सुधार क्षेत्र के सतत विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित हो रहा है.

By KumarVishwat Sen | October 22, 2025 3:51 PM

GST Reforms: इस नवरात्रि से लागू जीएसटी कटौती ने देश के हर वर्ग को किसी न किसी रूप में राहत पहुंचाने का काम किया है. केंद्र सरकार की ओर से विभिन्न उत्पादों और सेवाओं पर टैक्स दरों में की गई कटौती का सीधा प्रभाव अब लद्दाख की समृद्ध लेकिन सीमित अर्थव्यवस्था पर भी दिखाई देने लगा है. इन सुधारों से न केवल किसानों, कारीगरों और छोटे उद्यमों को राहत मिलेगी, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत और आजीविका सृजन को भी नई दिशा मिलेगी. लद्दाख जैसे पहाड़ी और सीमांत क्षेत्र में पश्मीना, खुबानी, नमदा कालीन, ऊनी वस्त्र, लकड़ी शिल्प और होमस्टे पर्यटन जैसे परंपरागत उद्योगों की रीढ़ छोटे कारीगर और किसान हैं. अब जीएसटी में की गई कटौती से इन्हें नई प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलने की उम्मीद है. सबसे बड़ी बात है कि जीएसटी दरों में कटौती के बाद पश्मीना से लेकर खुबानी तक के सामान सस्ते हुए हैं, जिससे किसानों और कारीगरों की कमाई बढ़ने की उम्मीद है.

पश्मीना पर 5% जीएसटी

लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में उत्पादित पश्मीना ऊन दुनिया भर में अपनी गर्माहट, कोमलता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. यहां के 10,000 से अधिक खानाबदोश चरवाहे इस ऊन के उत्पादन में लगे हैं. पहले पश्मीना पर 12% जीएसटी लागू था, जिसे अब घटाकर 5% कर दिया गया है. इस कदम से असली लद्दाखी पश्मीना को आयातित और मशीन-निर्मित विकल्पों के मुकाबले नई प्रतिस्पर्धात्मकता मिलेगी. सरकार का मानना है कि इससे चरवाहों और बुनकरों की कमाई स्थिर होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में लद्दाखी शॉल और स्टोल की मांग में बढ़ोतरी होगी. यह सुधार हाथ से बुनाई और ऊन प्रोसेसिंग जैसे पारंपरिक शिल्पों के पुनरुद्धार में भी मदद करेगा, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार और महिलाओं की भागीदारी दोनों बढ़ेंगी.

ऊन और नमदा कालीन उद्योग को राहत

लेह और कारगिल के हाथ से बुने ऊनी कपड़े, नमदा कालीन और ऊनी शिल्पकला लद्दाख की पहचान हैं. याक और भेड़ के ऊन से बनने वाले इन वस्त्रों पर पहले 12% जीएसटी लगता था, जिसे घटाकर अब 5% कर दिया गया है. प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के इस फैसले से 10,000 से अधिक कारीगरों और सहकारी समितियों को लाभ मिलेगा. उत्पादन लागत घटने से पारंपरिक बुनाई कला को बढ़ावा मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय ऊन उत्पादों की स्थिति मजबूत होगी.

लकड़ी शिल्प और फर्नीचर उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त

लद्दाख की पारंपरिक बढ़ईगीरी जटिल नक्काशी और धार्मिक वेदियों, खिड़की फ्रेम, फर्नीचर निर्माण के लिए प्रसिद्ध है. यहां के अधिकांश शिल्पकार हाशिए पर रहने वाले समुदायों से आते हैं. अब 12% से घटाकर 5% जीएसटी दर किए जाने से ये उत्पाद न केवल किफायती बनेंगे, बल्कि बाजार में उनकी मांग और बिक्री दोनों में बढ़ोतरी होगी. इससे लद्दाख की कलात्मक विरासत को संरक्षित करते हुए कारीगरों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा.

थंगका चित्रकला को मिला नया प्रोत्साहन

लद्दाख की थंगका पेंटिंग्स बौद्ध धार्मिक स्क्रॉल कला का हिस्सा हैं, जो अक्सर लेह, हेमिस और अलची मठों में बनती हैं. ध्यान और सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाली इन कलाकृतियों पर भी जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% किया गया है. यह बदलाव कलाकारों के लिए वरदान साबित होगा. इससे थंगका कला अधिक सुलभ और आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनेगी. साथ ही, लुप्तप्राय पारंपरिक कलाओं के संरक्षण को बल मिलेगा.

खुबानी किसानों को मिला बड़ा लाभ

लद्दाख खासकर कारगिल, लेह और नुब्रा घाटी, भारत के सबसे बड़े खुबानी उत्पादक क्षेत्रों में गिना जाता है. यहां के लगभग 6,000 से अधिक किसान परिवार खुबानी की खेती और प्रोसेसिंग से जुड़े हैं. जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% करने से न केवल सूखी खुबानी, जैम और तेल जैसे उत्पाद सस्ते होंगे, बल्कि उनकी बाजार प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी. इससे किसानों को बेहतर दाम और प्रोसेसिंग यूनिट्स को अधिक अवसर मिलेंगे. कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम से खुबानी आधारित उद्यमों के लिए निर्यात संभावनाएं भी बढ़ेंगी और ग्रामीण महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों को नए रोज़गार अवसर मिलेंगे.

सी बकथॉर्न और जैविक उत्पादों को बढ़ावा

नुब्रा और चांगथांग क्षेत्रों में उगाया जाने वाला सी बकथॉर्न (लेह बेरी) अपने औषधीय और पौष्टिक गुणों के लिए प्रसिद्ध है. महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूह इन जामुनों की कटाई और प्रोसेसिंग में अग्रणी भूमिका निभाते हैं. जीएसटी दर को घटाकर 5% करने से इनके उत्पाद अब अधिक बाजार योग्य और सुलभ बन गए हैं. इससे स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण इकाइयों में निवेश बढ़ेगा और महिला उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलेगा.

इसी तरह, शाम घाटी और कारगिल में बढ़ती जैविक खेती पर जीएसटी कटौती का असर स्पष्ट दिख रहा है. किसानों को अब हर्बल चाय, सूखी सब्जियां, जैविक मसाले आदि की बिक्री पर टैक्स बोझ में राहत मिली है. यह सुधार लागत घटाकर लाभप्रदता बढ़ाने में सहायक होगा.

याक डेयरी और ऊन उद्योग में आत्मनिर्भरता की दिशा

लद्दाख के याक डेयरी उत्पाद, जैसे पनीर और दूध, पारंपरिक खानाबदोश समुदायों की पहचान हैं. पहले इन उत्पादों पर भी 12% टैक्स लागू था. अब 5% की दर से ये उत्पाद स्थानीय उपभोक्ताओं और बाजार दोनों के लिए अधिक किफायती हो गए हैं. इससे दूरस्थ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. ऊन उत्पादकों और डेयरी सहकारी समितियों के लिए यह सुधार लंबे समय तक टिकाऊ अर्थव्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम है.

पर्यटन और होमस्टे सेक्टर को नई उड़ान

लद्दाख का पर्यटन क्षेत्र उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. लेह, नुब्रा, पैंगोंग और कारगिल में हजारों स्थानीय परिवार होमस्टे और छोटे होटल चलाते हैं. 7,500 रुपये तक के होटल किराए पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने से आवास अब पहले से कहीं अधिक किफायती हो गया है. इससे 25,000 से अधिक लोगों की आजीविका को स्थिरता मिलेगी और इको-टूरिज्म को नई गति मिलेगी. सरकार का मानना है कि इस नीति से स्थानीय यात्रियों और विदेशी पर्यटकों दोनों के लिए लद्दाख एक आकर्षक और सुलभ गंतव्य बनेगा.

जीएसटी स्लैब में बड़ा सुधार

जीएसटी परिषद ने अपनी 56वीं बैठक में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए टैक्स स्लैब्स को घटाया है. अब चार दरों (5%, 12%, 18%, 28%) को घटाकर दो मुख्य दरें कर दी गई हैं. इनमें अब केवल 5% की मेरिट रेट और 18% की स्टैंडर्ड रेट शामिल हैं. वहीं, लग्जरी वस्तुओं पर 40% विशेष दर लागू रहेगी. ये परिवर्तन 22 सितंबर 2025 से प्रभावी हो चुके हैं. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर घोषित “अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार” का हिस्सा बताया गया है, जिसका उद्देश्य कर का बोझ घटाकर आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना है.

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लद्दाख के लिए आर्थिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण

जीएसटी सुधारों ने लद्दाख की पारंपरिक और आधुनिक अर्थव्यवस्था को एक साथ जोड़ने का अवसर दिया है. पश्मीना बुनकरों, खुबानी किसानों, थंगका कलाकारों और होमस्टे संचालकों को कम टैक्स दरों से राहत मिली है. सरकार की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है, “जीएसटी सुधार लद्दाख की अर्थव्यवस्था के लिए एक परिवर्तनकारी कदम हैं. ये न केवल आजीविका के अवसर बढ़ाएंगे बल्कि सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और सतत विकास को भी बल देंगे.”

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