क्रिटिकल मिनरल्स रिसाइक्लिंग प्रोत्साहन योजना मंजूर, 1500 करोड़ से उद्योग को मिलेगा बड़ा सहारा

Cabinet Decision: भारत सरकार ने महत्वपूर्ण खनिजों के रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है. इस योजना के तहत ई-कचरे, लिथियम-आयन बैटरी और पुराने वाहनों से तांबा, लिथियम, निकेल, कोबाल्ट व दुर्लभ पृथ्वी तत्व जैसे खनिज निकाले जाएंगे. यह योजना राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य आयात निर्भरता कम करना, घरेलू क्षमता बढ़ाना और हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में आत्मनिर्भर भारत को मजबूत करना है.

By KumarVishwat Sen | September 3, 2025 8:50 PM

Cabinet Decision: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को महत्वपूर्ण खनिजों के रिसाइक्लिंग के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गई. इस कदम का उद्देश्य भारत को खनिज संसाधनों के मामले में आत्मनिर्भर बनाना और बढ़ती वैश्विक मांग के बीच सप्लाई चेन को मजबूत करना है.

ई-कचरे और बैटरियों से निकलेगा खनिज

इस योजना के तहत देश में ई-कचरे, पुरानी लिथियम-आयन बैटरियों और पुराने वाहनों के कैटेलिटिक कन्वर्टर्स से तांबा, लिथियम, निकेल, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी तत्व जैसे महत्वपूर्ण खनिजों को अलग किया जाएगा. इससे स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी.

राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन का हिस्सा

खान मंत्रालय के अनुसार, यह योजना राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) का हिस्सा है. सरकार पहले ही इस मिशन के लिए 16,300 करोड़ रुपये की मंजूरी दे चुकी है. सात साल की अवधि में इस पर कुल 34,300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का योगदान 18,000 करोड़ रुपये का होगा.

आयात निर्भरता घटाने पर जोर

भारत फिलहाल कई महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भर है. इस मिशन का लक्ष्य न केवल खनिजों के घरेलू अन्वेषण और उत्पादन को बढ़ाना है, बल्कि विदेशों में खनिज ब्लॉक का अधिग्रहण करना, खनिज प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियां विकसित करना और रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देना भी शामिल है.

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हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में कदम

तांबा, लिथियम और दुर्लभ पृथ्वी तत्व जैसे खनिज ग्रीन एनर्जी सेक्टर के लिए अहम हैं. इनके बिना सोलर पैनल, विंड टरबाइन और इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन संभव नहीं है. कैबिनेट का यह फैसला भारत को हरित अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से ले जाने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को मजबूत करने वाला साबित होगा.

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