अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया ने फेसबुक पर बनाया एन्क्रिप्ट के संदेशों तक पहुंच देने का दबाव

सैन फ्रांसिस्को : अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने फेसबुक से एन्क्रिप्ट (कूट रूप में) उपलब्ध उसकी संदेशों को जरूरत पड़ने पर सरकारी अधिकारियों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने को कहा है. फेसबुक इसके खिलाफ है. फेसबुक निजता उल्लंघन के मामलों का सीधे जवाब देने से बचती रही है और सरकारों को बराबर यह आश्वासन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 4, 2019 9:12 PM

सैन फ्रांसिस्को : अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने फेसबुक से एन्क्रिप्ट (कूट रूप में) उपलब्ध उसकी संदेशों को जरूरत पड़ने पर सरकारी अधिकारियों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने को कहा है. फेसबुक इसके खिलाफ है. फेसबुक निजता उल्लंघन के मामलों का सीधे जवाब देने से बचती रही है और सरकारों को बराबर यह आश्वासन देती रही है कि वह अपने उपभोक्ताओं की निजी जानकारियों की सुरक्षा को पुख्ता करने के प्रबंध कर रही है.

इसके लिए उसने अपने सभी सोशल मीडिया मंचों पर ‘एंड टू एंड इंस्क्रिप्शन’ (संदेशों को एक छोर से दूसरे छोर तक कूट रूप में रखने) की व्यवस्था अपनाने की बात की है. अभी कंपनी के व्हाट्सएप पर यह सुविधा मौजूद है. एंड टू एंड इंस्क्रिप्शन व्यवस्था में संदेश को केवल भेजने और पाने वाले के बीच ही पढ़ा जा सकता है. कोई कंपनी, बाहरी निकाय, सरकार या निगरानी समूह यहां तक कि खुद फेसबुक भी उन संदेशों को नहीं पढ़ सकती है. इसके लिए संदेश को कूटभाषा में भेजा जाता है.

अमेरिका के अटॉर्नी जनरल विलियम बर, ब्रिटेन की गृह सचिव प्रीति पटेल और ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री पीटर ड्यूटन ने एक संयुक्त पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं. पत्र के अनुसार, एंड टू एंड इंस्क्रिप्शन की योजना में कानून लागू करने वाली एजेंसियों की क्षमता को कम करने का जोखिम है. इससे एजेंसियों को आंतकवाद और बच्चों की अश्लील तस्वीरें/वीडियो जैसी अपराधिक गतिविधियों को पकड़ने में समस्या आयेगी.

कंपनी के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को संबोधित यह पत्र गुरुवार को भेजा गया. इसमें कहा गया है कि फेसबुक ने उसके प्रस्तावों के प्रभाव पर हमारी गंभीर चिंताओं के समाधान को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखायी है. क्या उसके प्रस्ताव हमारी जनता के हितों की सुरक्षा कर सकेंगे? फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा कि हम सरकार के पीछे से घुसपैठ बनाने के इन प्रयासों का कड़ा विरोध करते हैं, क्योंकि यह दुनियाभर में लोगों की निजता और सुरक्षा को कम करेगा.

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