जेपी एसोसिएट्स को सुप्रीम कोर्ट से दोहरा झटका, मांगा हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का ब्योरा

नयी दिल्ली : रीयल एस्टेट क्षेत्र की कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से दोहरा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी से एक तो देशभर में चल रही आवासीय परियोजनाआें का पूरा ब्योरा देने को कहा है. वहीं, उसने कंपनी के निदेशकों को उनकी व्यक्तिगत संपत्तियों की बिक्री नहीं करने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 10, 2018 4:35 PM

नयी दिल्ली : रीयल एस्टेट क्षेत्र की कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से दोहरा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी से एक तो देशभर में चल रही आवासीय परियोजनाआें का पूरा ब्योरा देने को कहा है. वहीं, उसने कंपनी के निदेशकों को उनकी व्यक्तिगत संपत्तियों की बिक्री नहीं करने के अपने पुराने आदेश को बरकरार रखा है. बुधवार को मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने न्याय मित्र पवन श्री अग्रवाल को भी निर्देश दिया है कि वह जेएएल कंपनी से घर खरीदने वाले ग्राहकों की शिकायतों को दर्ज करने के लिए एक पोर्टल स्थापित करें. पीठ में न्यायमूर्ति एएम खनविल्कर और डीवाई चंद्रचूड भी शामिल हैं.

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पीठ ने रिजर्व बैंक की याचिका पर भी कहा कि इस पर वह बाद में फैसला करेगी. रिजर्व बैंक ने जेएएल के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी है. पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार के आग्रह पर भी गौर किया. उन्होंने कहा कि जेएएल के स्वतंत्र निदेशकों को उनकी बड़ी उम्र के मद्देनजर मामले में रोजाना होने वाली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति से छूट दी जानी चाहिए. रंजीत कुमार कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों के वकील हैं.

पीठ ने स्वतंत्र निदेशकों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति से छूट देते हुए अपने पहले के आदेश को दोहराया. शीर्ष अदालत ने कहा कि उसकी पूर्वानुमति के बिना कोई भी निदेशक देश से बाहर नहीं जायेगा और न ही वह अपनी संपत्ति को बचेंगे अथवा उसमें किसी भी तीसरे पक्ष को शामिल करेंगे. न्यायालय ने कहा कि उसके लिये घर खरीदने वालों का हित सर्वोपरि है और जेएएल को पहले के आदेश के अनुरुप धन जमा कराना होगा. जेएएल की तरफ से पैरवी करने के लिए न्यायालय पहुंचे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अनुपम लाल दास ने कहा कि कंपनी ने अपनी कई संपत्तियों को बेचा है और वह कर्ज पुनर्गठन के काम में लगी है.

रोहतगी ने कहा कि जेएएल न्यायालय के आदेश के मुताबिक 25 जनवरी तक 125 करोड़ रुपये जमा करायेगी. शीर्ष अदालत ने पिछले साल कंपनी की विभिन्न परियोजनाओं में घर खरीदने वालों के हित की सुरक्षा के लिए पिछले साल 15 दिसंबर को यह आदेश दिया था. जेएएल ने अब तक शीर्ष अदालत की रजिस्टरी में 425 करोड़ रुपये जमा करा दिये हैं.

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