Vice Presidential Elections: क्रॉस वोटिंग पर तेजस्वी यादव ने दी सफाई, अशोक चौधरी ने INDIA गठबंधन पर कसा तंज 

Vice Presidential Elections: उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन की जीत पर बिहार में सियासत गरमा गई है. मंत्री अशोक चौधरी ने इसे पीएम मोदी के नेतृत्व की स्वीकार्यता बताया और INDIA गठबंधन पर तंज कसा. वहीं, तेजस्वी यादव ने जीत की बधाई देते हुए निष्पक्षता की उम्मीद जताई और क्रॉस वोटिंग से इनकार किया. विपक्षी एकजुटता पर सवाल उठे हैं.

By Nishant Kumar | September 10, 2025 6:29 PM

Vice Presidential Elections: उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन की जीत के बाद बिहार की सियासत में बयानबाजी तेज हो गई है. बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने परिणाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की स्वीकार्यता बताया. उन्होंने कहा कि एनडीए उम्मीदवार को सिर्फ सहयोगियों का ही नहीं बल्कि विपक्ष के नेताओं का भी वोट मिला है. 

अशोक चौधरी ने INDIA गठबंधन पर कसा तंज 

अशोक चौधरी ने तंज कसते हुए कहा कि INDIA गठबंधन को आत्ममंथन करना चाहिए कि उनके साथ खड़े लोग भी अंदर ही अंदर मोदी के नेतृत्व को मान्यता देते हैं और NDA उम्मीदवारों के पक्ष में वोट डालते हैं. उनके मुताबिक यह नतीजा बताता है कि विपक्ष की एकजुटता केवल दिखावे तक सीमित है.

तेजस्वी यादव ने क्या कहा ? 

वहीं, राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस जीत पर अलग प्रतिक्रिया दी. उन्होंने राधाकृष्णन को जीत की बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि वे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को साथ लेकर चलेंगे. तेजस्वी ने कहा कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर है और उपराष्ट्रपति को पूरी निष्पक्षता से सदन का संचालन करना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्ष की भूमिका जनता की आवाज उठाने और सरकार की खामियां बताने की होती है, इसलिए यह जरूरी है कि सदन में किसी प्रकार का पक्षपात न हो.

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क्रॉस वोटिंग पर तेजस्वी यादव ने क्या कहा ? 

क्रॉस वोटिंग की अटकलों पर भी तेजस्वी ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि राजद के सभी 9 सांसद एकजुट रहे और मजबूती से एक पक्ष में मतदान किया. हमारी तरफ से कोई क्रॉस वोटिंग नहीं हुई. उपराष्ट्रपति चुनाव के इस नतीजे ने जहां एनडीए खेमे का उत्साह बढ़ा दिया है, वहीं विपक्ष अपनी एकजुटता और रणनीति पर फिर से सवालों के घेरे में आ गया है. अब सबकी निगाहें संसद के आगामी सत्रों पर टिकी हैं, जहां नई भूमिका में उपराष्ट्रपति विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संतुलन कैसे साधते हैं, यह देखने वाली बात होगी.