Bihar Politics: लालू परिवार में संजय यादव पर घमासान! मीसा-तेजप्रताप के बाद अब रोहिणी भी नाराज…

Bihar Politics: राजद सांसद और तेजस्वी यादव के सबसे करीबी माने जाने वाले संजय यादव पर अब लालू परिवार में विरोध तेज हो गया है. मीसा भारती और तेज प्रताप पहले ही नाराज़ थे, अब रोहिणी आचार्या ने फेसबुक पर पोस्ट शेयर कर संजय के खिलाफ नाराजगी जताकर परिवार के भीतर के मतभेद को और उजागर कर दिया.

By Abhinandan Pandey | September 18, 2025 11:11 AM

Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और तेजस्वी यादव की राजनीति में संजय यादव की बढ़ती पकड़ अब लालू परिवार के भीतर विरोध का कारण बनती जा रही है. पार्टी सांसद और तेजस्वी के सबसे करीबी माने जाने वाले संजय यादव के खिलाफ लंबे समय से मीसा भारती और तेज प्रताप यादव का रुख कड़ा रहा है. अब रोहिणी आचार्या ने भी फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर कर संकेत दिया है कि वे भी संजय से नाराज हैं.

रोहिणी ने शेयर की विवादित पोस्ट

पटना निवासी आलोक कुमार ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ की बस में संजय यादव को उस फ्रंट सीट पर बैठे दिखाया गया है, जो तेजस्वी की मानी जाती है. आलोक ने सवाल उठाया- “तेजस्वी की अनुपस्थिति में उनकी कुर्सी पर कोई और कैसे बैठ सकता है?” इसी पोस्ट को रोहिणी आचार्या ने बिना किसी टिप्पणी के अपने पेज पर शेयर कर दिया. राजनीतिक हलकों में इसे संजय यादव के खिलाफ लालू परिवार में बढ़ते असंतोष का संकेत माना जा रहा है.

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तेज प्रताप का पुराना इशारा

तेज प्रताप यादव अक्सर पार्टी और परिवार में मौजूद ‘‘जयचंदों’’ का जिक्र करते रहे हैं. माना जाता है कि उनका इशारा सीधे संजय यादव की ओर होता है, जिन्हें वे पार्टी में तेजस्वी का ‘‘आंख-कान’’ मानते हैं. रोहिणी के ताजा कदम ने इस नाराजगी को और सार्वजनिक कर दिया है.

कौन हैं संजय यादव?

हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही गांव के निवासी संजय यादव कहने को तो राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन राजद में उनकी भूमिका रणनीतिकार और तेजस्वी के सबसे विश्वसनीय सलाहकार की है. तेजस्वी से उनकी दोस्ती क्रिकेट के दिनों से शुरू हुई थी. बाद में लालू यादव के जेल जाने के बाद पटना लौटे तेजस्वी ने उन्हें राजनीति में भी साथ ले लिया.

बदला RJD का चेहरा

संजय यादव ने पार्टी की रणनीति और छवि को इस तरह गढ़ा कि आज राजद का नाम लेने पर लालू से ज्यादा तेजस्वी की तस्वीर उभरती है. फैसलों पर उनका असर इतना है कि कई नेता और परिवार के सदस्य उन्हें ‘अनौपचारिक केंद्र’ मानते हैं. यही कारण है कि उनकी बढ़ती ताकत को लेकर परिवार के भीतर असंतोष गहराता जा रहा है.

रोहिणी की नाराजगी क्यों अहम?

रोहिणी आचार्या हाल ही में सारण लोकसभा सीट से बेहद कम अंतर से चुनाव हारी थीं और अब उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है. ऐसे में संजय यादव के खिलाफ उनकी नाराजगी का सार्वजनिक होना न केवल पारिवारिक मतभेदों को उजागर करता है, बल्कि पार्टी की चुनावी रणनीति पर भी असर डाल सकता है.

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