सीट बंटवारे को लेकर RJD ने बदला पैटर्न, इस आधार पर चुने जा रहे उम्मीदवार
RJD Seat-Sharing: राजद ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार चयन में नया तरीका अपनाया है. चले आ रहे संगठन आधारित पैटर्न से हटकर पार्टी ने दो चरणों में बड़े पैमाने पर सर्वे कराया. इसमें जातीय समीकरण और संभावित उम्मीदवारों की कितनी पैठ है इस पर ध्यान दिया जा रहा है.
RJD Seat-Sharing: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजद में उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया इस बार कुछ अलग है. पार्टी ने पारंपरिक पैटर्न से हटकर एक नया तरीका अपनाया है. इस बार उम्मीदवार तय करने के लिए बड़े पैमाने पर सर्वे कराया गया है. इसकी जिम्मेदारी पार्टी ने एक निजी एजेंसी को सौंपी है.
दो चरणों में सर्वे प्रक्रिया
इस सर्वे को दो चरणों में बांटा गया है. पहले चरण में विधानसभा वार जातीय स्थिति को समझने पर फोकस किया गया. इस दौरान यह देखा गया कि किस जाति के उम्मीदवार को दूसरी जाति के मतदाता स्वीकार करेंगे या नहीं. साथ ही, किसी विशेष जाति की संबंधित सीट पर कितनी स्वीकार्यता है, इसका भी आकलन किया गया है.
दूसरे चरण में सीट-वार संभावित उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्ट तैयार की गयी है. प्रत्येक सीट के लिए तीन नाम चिन्हित किये गये, जिनकी विभिन्न जातीय समूहों में सबसे अधिक स्वीकार्यता हो. इस तरह पार्टी का फोकस केवल जातीय समीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देखना है कि कौन सा चेहरा व्यापक समर्थन जुटा सकता है.
पुराना पैटर्न था संगठन आधारित
अब तक राजद में उम्मीदवार चयन का जिम्मा पार्टी संगठन और उसका थिंक टैंक संभालता था. इच्छुक उम्मीदवार अपने-अपने बायोडेटा पार्टी संगठन के विभिन्न मंचों पर सौंपते थे. इसके बाद थिंक टैंक उन पर विचार करता और अंतिम नाम तय करता था.
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बायोडेटा परंपरा अब भी कायम
इस बार सर्वे आधारित चयन को अहमियत दी जा रही है, लेकिन बायोडेटा जमा करने की पुरानी परंपरा अब भी जारी है. पार्टी नेतृत्व का कहना है कि इस प्रक्रिया से संगठन को स्थानीय समीकरण और उम्मीदवार की सक्रियता दोनों का अंदाजा मिलता है.
नया पैटर्न, नई रणनीति
राजद का यह कदम इस बार के चुनावी मुकाबले में उसकी रणनीतिक तैयारी को दिखाता है. पार्टी नेतृत्व का मानना है कि यह मॉडल उम्मीदवार चयन को अधिक पारदर्शी बनायेगा और ऐसा चेहरा सामने लायेगा, जो केवल जातीय आधार पर नहीं, बल्कि व्यापक जनसमर्थन के आधार पर चुनाव जीतने में सक्षम हो.
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