Prashant Kishor: पीके की पार्टी जन सुराज क्यों रही शून्य पर? पार्टी अध्यक्ष ने बताई हार की असली वजह
Prashant Kishor: बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज एक भी सीट नहीं जीत सकी. उन्होंने दावा किया था कि इस बार जन सुराज को बिहार की जनता आशीर्वाद देगी और सरकार बनते ही शराबबंदी कानून को खत्म कर देंगे. अब पार्टी को शून्य सीट मिलने पर पार्टी के मुखिया उदय सिंह ने सफाई दी है.
Prashant Kishor: बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी. एनडीए भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौटा. पार्टी को उम्मीद थी कि उसे लगभग 15 प्रतिशत वोट मिलेगा, लेकिन उसके हिस्से सिर्फ 4 प्रतिशत वोट आए. इस करारी हार के कारणों पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि पार्टी चुनावी परिणामों की समीक्षा कर रही है और जन सुराज अपने मुद्दों को लेकर लगातार आगे बढ़ता रहेगा.
अंत में वोट NDA के पक्ष में चले गए
पटना में उदय सिंह ने स्पष्ट किया कि जन सुराज चुनावी नतीजों से निराश नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों से किए जा रहे जनसंवाद और जमीनी मेहनत के बावजूद एक भी सीट न मिलना कई सवाल खड़े करता है. उदय सिंह ने दावा किया कि जनता ने पार्टी के एजेंडे को स्वीकार किया, लेकिन अंत में वोट एनडीए के पक्ष में चले गए.
उन्होंने कहा कि लोगों में यह भय था कि कहीं राजद सत्ता में वापसी न कर ले. इसी आशंका में जन सुराज को मिलने वाले काफी वोट अंतिम समय पर एनडीए की ओर शिफ्ट हो गए. उनका कहना था कि कांग्रेस से लोगों को उतनी चिंता नहीं थी, लेकिन लालू यादव और राजद की वापसी को लेकर मतदाताओं में गहरी आशंका थी. इसलिए एनडीए के पक्ष में मतदान हुआ.
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क्या बोले उदय सिंह
उदय सिंह ने कहा, “हम चुनाव परिणाम देख रहे हैं और यह हमारे लिए एक सबक है कि हम अपने मतदाताओं को इतना आश्वस्त नहीं कर पाए कि वे हमें एक विकल्प के रूप में देखें, अंत में जब वे RJD से डर गए तो वे NDA की ओर चले गए. NDA को इतना बड़ा बहुमत मिलने के पीछे का कारण यह है कि सरकार ने जिस तरह का पैसा बांटा है वह अप्रत्याशित है और इससे बिहार पर बहुत अधिक बोझ पड़ने वाला है.”
उन्होंने कहा, “हम बिल्कुल निराश नहीं हैं, हम इसी दृढ़ संकल्प के साथ काम करते रहेंगे. न हम JDU के कहने पर राजनीति में आए थे और न ही उनके कहने पर हम राजनीति छोड़ेंगे, जब तक बिहार को नहीं बदलेंगे हम ऐसे ही चलते रहेंगे.”
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