बिहार की सियासत में ‘भूमिहार’ समीकरण, अरुण कुमार JDU में शामिल, तेजस्वी की ‘A to Z’ चुनौती का मुकाबला
Bihar Election 2025: जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार ने आखिरकार JDU का हाथ थाम लिया है. आज पटना में वह समर्थकों संग पार्टी में शामिल हो गए. यह वापसी तेजस्वी यादव की 'A to Z' रणनीति के जवाब में नीतीश कुमार का बड़ा कदम है, जिसका सीधा असर मगध क्षेत्र के चुनावी समीकरणों पर पड़ेगा.
Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति में आज एक बड़ी और अहम खबर आई है. जहानाबाद के बड़े नेता और पूर्व सांसद अरुण कुमार ने आखिरकार जनता दल यूनाइटेड (JDU) में वापसी कर ली है. लंबे इंतजार के बाद, उन्होंने आज पटना में एक समारोह के दौरान अपने कई समर्थकों के साथ औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है. दरअसल, अरुण कुमार के JDU में शामिल होने का कार्यक्रम पहले सितंबर में ही बन गया था, लेकिन BJP के ‘बिहार बंद’ की वजह से उस समय यह कार्यक्रम टाल दिया गया था.
ललन सिंह की मौजूदगी में हुई एंट्री
अरुण कुमार की वापसी इसलिए भी खास है क्योंकि पहले पार्टी के भीतर उनकी एंट्री को लेकर थोड़ी खींचतान की खबरें थीं. मगर, आज पार्टी के सीनीयर नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह की मौजूदगी में अरुण कुमार का शामिल होना यह साफ करता है कि अब सारे मतभेद दूर हो गए हैं और JDU ने आगामी चुनावों को देखते हुए एक बड़ी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. पूर्व सांसद अरुण कुमार के साथ उनके पुत्र ऋतुराज कुमार भी जदयू की सदस्यता लिए हैं. ऋतुराज सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हैं और पूर्व में पटना स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके हैं.
यह फैसला जहानाबाद के एक और पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा के RJD में शामिल होने के बाद लिया गया है. RJD की ओर से मिली इस राजनीतिक चुनौती का सामना करने के लिए, JDU ने तुरंत अरुण कुमार को पार्टी में लिया. भूमिहार समाज से आने वाले अरुण कुमार की मगध क्षेत्र में काफी अच्छी राजनीतिक पकड़ है.
मगध में JDU को मिली मजबूती
अरुण कुमार अपने राजनीतिक करियर में दो बार सांसद रह चुके हैं. पहली बार 1999 में उन्होंने JDU के टिकट पर ही जहानाबाद से जीत दर्ज की थी. उनकी राजनीतिक पकड़ और अनुभव को देखते हुए, उनकी JDU में वापसी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक सोची-समझी रणनीति वाला कदम माना जा रहा है. यह इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि तेजस्वी यादव RJD को ‘ए टू जेड’ यानी हर जाति की पार्टी बनाने की कोशिश में लगे हैं. ऐसे में, अरुण कुमार की एंट्री से JDU को RJD की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए मगध क्षेत्र में एक मजबूत आधार मिल गया है.
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