वेंकटरमण और ज्ञानी जैल सिंह भी आ चुके हैं गयाजी, राष्ट्रपति रहते द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार किया ये काम

Draupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शनिवार को गया पहुंचीं और विष्णुपद मंदिर में पिंडदान कर इतिहास रच दिया. राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पिंडदान करने वाली वह पहली राष्ट्रपति बन गईं. चांदी के पात्र और कलश के साथ पूरे विधान का पालन करते हुए उन्होंने बही-खातों में अपने नाम और हस्ताक्षर दर्ज किए.

By Abhinandan Pandey | September 21, 2025 10:34 AM

Draupadi Murmu: देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का गया दौरा शनिवार को ऐतिहासिक बन गया. राष्ट्रपति ने विष्णुपद मंदिर में पिंडदान कर इतिहास रच दिया. राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पिंडदान करने वाली द्रौपदी मुर्मु पहली राष्ट्रपति बन गईं. इससे पहले गया जी में पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण और ज्ञानी जैल सिंह आए थे, लेकिन उन्होंने पिंडदान नहीं किया था.

विष्णुपद में पिंडदान का विशेष विधान

राष्ट्रपति ने विष्णुपद मंदिर के हरि मंडप में विशेष केबिन में पिंडदान किया. इस दौरान उन्होंने चांदी के पांच कलश पर नारियल रखकर स्थापना की और चांदी के पात्रों से तर्पण किया. गयापाल मंगल झंगर ने बताया कि राष्ट्रपति ने सभी विधानों का पालन करते हुए पिंडदान किया और बही-खातों में अपना नाम, पता और हस्ताक्षर दर्ज किए. यह दिन गया और विशेषकर विष्णुपद मंदिर के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ.

सुरक्षा व्यवस्था और स्वागत

राष्ट्रपति के आगमन को लेकर विष्णुपद क्षेत्र में सुरक्षा कड़ी रखी गई थी. विशेष तौर पर विष्णुपद मंदिर के पिछले दरवाजे और आसपास के इलाके को सील किया गया. सुरक्षा व्यवस्था में डीएम शशांक शुभंकर, एसएसपी आनंद कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.

राष्ट्रपति शनिवार सुबह 9:15 बजे विशेष विमान से गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचीं. उनका स्वागत राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने बुके देकर किया. मौके पर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, डीजीपी विनय कुमार, प्रमंडलीय आयुक्त डॉ. सफीना एएन, आईजी क्षत्रनील सिंह सहित कई अधिकारी मौजूद रहे.

ऐतिहासिक दिन के रूप में दर्ज

शंभू लाल विट्ठल, अध्यक्ष, श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति ने बताया कि यह पहला मौका है जब भारत के किसी राष्ट्रपति ने पिंडदान किया. शनिवार का दिन गयापाल के बही-खातों में दर्ज होकर इतिहास के पन्नों में अमर हो गया.

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