Bihar Politics: रोहिणी के वार से हिला संजय यादव का किला? तेजस्वी की सीट पर अब दलित नेताओं की एंट्री

Bihar Politics: आरजेडी में अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है. लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या के फेसबुक पोस्ट ने संजय यादव पर नए सिरे से सवाल खड़े कर दिए हैं. तेजस्वी की सीट पर संजय के बैठने से शुरू हुआ विवाद अब दलित नेताओं की तस्वीरों के जरिए नया संदेश देने तक पहुंच गया है.

By Abhinandan Pandey | September 19, 2025 9:12 AM

Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में आंतरिक खींचतान एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. लालू यादव की बेटी और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्या ने एक फेसबुक पोस्ट शेयर कर पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकार और सांसद संजय यादव को अप्रत्यक्ष तौर पर घेर लिया. दरअसल, हाल ही में बिहार अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव की बस में जिस सीट पर आमतौर पर तेजस्वी बैठते हैं, उस पर संजय यादव को बैठे देखा गया. इसे लेकर सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा हुई.

रोहिणी ने शेयर किया आलोक कुमार का फेसबुक पोस्ट

पटना के आलोक कुमार नामक शख्स ने इस पर सवाल उठाते हुए लिखा कि बिहार की जनता उस सीट पर लालू या तेजस्वी को देखने की आदी है, लेकिन अब कोई खुद को नेतृत्व से भी ऊपर मान रहा है. इस पोस्ट को रोहिणी ने बिना किसी टिप्पणी के शेयर कर दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई.

रोहिणी ने शाम को किया एक और पोस्ट

इसके बाद रोहिणी ने शाम को एक और पोस्ट कर माहौल और गरमा दिया. उन्होंने पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम और विधायक रेखा पासवान की तस्वीर साझा की, जो उसी सीट पर बैठे थे. इसके साथ उन्होंने लिखा, “वंचितों और समाज के आखिरी पायदान पर खड़े वर्ग को आगे लाना ही लालू यादव के सामाजिक-आर्थिक न्याय अभियान का मकसद रहा है. इन्हें आगे बैठे देखना सुखद अनुभव है.”

तेज प्रताप भी कई बार संजय यादव पर कर चुके हैं हमला

रोहिणी की इस पोस्ट को सीधा संदेश माना जा रहा है कि आरजेडी की राजनीति में वंचित वर्ग को प्राथमिकता मिले, न कि सलाहकारों को. गौरतलब है कि तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी कई बार संजय यादव पर हमला कर चुके हैं. वह सीधे नाम नहीं लेते, लेकिन ‘जयचंद’ कहकर इशारा करते रहे हैं.

पार्टी और परिवार के भीतर बढ़ रहा विरोध

संजय यादव, जो दिल्ली में तेजस्वी के मित्र रहे हैं, अब उनके सबसे भरोसेमंद सलाहकार और रणनीतिकार हैं. माना जाता है कि वे तेजस्वी की राजनीति को लालू-राबड़ी के दौर की छवि से अलग करने की कोशिश में जुटे हैं. हालांकि, इसी वजह से पार्टी और परिवार के भीतर उनका विरोध लगातार बढ़ रहा है.

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