चिराग- मांझी और कुशवाहा के लिए क्या है BJP-JDU का प्लान, ऐसा होगा सीट शेयरिंग का फार्मूला!

Bihar Elections 2025: बिहार में इस साल होने वाले चुनाव से पहले दोनों गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर घमासान मचा हुआ है. महागठबंधन और एनडीए के बड़े दल छोटे दलों को कम सीट पर चुनाव लड़ने के लिए मनाने के प्रयास में जुटे हैं.

By Paritosh Shahi | July 25, 2025 7:12 PM

Bihar Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच तैयारियों का दौर शुरू हो चुका है. दोनों ही खेमों में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत तेज है. एनडीए में अंदरूनी खींचतान चल रही है और सभी दल ज्यादा सीटों के लिए जोर लगा रहे हैं. एनडीए की बड़ी पार्टियां जैसे बीजेपी और जेडीयू के बीच मुख्य बातचीत हो रही है.

चिराग पासवान की एलजेपी (रा), जीतनराम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम जैसी छोटी पार्टियां बीजेपी से संपर्क में हैं.बीजेपी इनकी बातों को जेडीयू के साथ मिलकर सुलझाने की कोशिश कर रही है. कई सीटों पर जब दो से ज्यादा दलों का दावा है ऐसे स्थिति में जातीय समीकरणों और पुराने प्रदर्शन को आधार बनाकर बातचीत चल रही है.

क्या फार्मूला हो सकता है

सूत्रों के मुताबिक, एनडीए की योजना है कि 243 सीटों में से 201 से 205 सीटें बीजेपी और जेडीयू मिलकर लड़ें और बाकी 38 से 42 सीटें छोटी पार्टियों को दे. 2020 में जेडीयू ने 115 और बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था. अब मांझी पहले से मजबूत माने जा रहे हैं और एनडीए के काफी करीब हैं. चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को कम से कम 25–30 सीटें देने की जरूरत होगी.

चिराग की शर्तें और बीजेपी की मंशा

चिराग पासवान 30 सीटों के साथ राज्यसभा की एक सीट और एक बड़ा पद चाहते हैं. ऐसी चर्चा है कि वे अपनी मां रीना पासवान को राज्यसभा भेजना चाहते हैं. बीजेपी उन्हें 18 से 22 सीटें देने के मूड में है और राज्यसभा सीट देने पर कुछ कम सीटों के लिए राजी करने की कोशिश कर रही है. डिप्टी सीएम पद की मांग भी चिराग के एजेंडे में है, जिसके लिए वे अरुण भारती का नाम आगे कर सकते हैं. चिराग खुद को सीएम पद से नीचे किसी पद पर मानने को तैयार नहीं हैं.

मांझी और कुशवाहा की रणनीति

मांझी इन दिनों चिराग के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं और अपनी मुसहर जाति के वोट ट्रांसफर की ताकत को मुद्दा बना रहे हैं और एनडीए को याद दिला रहे हैं कि उनका जनाधार ज्यादा भरोसेमंद है. 2020 में चिराग के अकेले चुनाव लड़ने से जेडीयू को नुकसान हुआ था. हालांकि इस बार उनके अकेले लड़ने की संभावना कम है. लेकिन उनकी प्रशांत किशोर से नजदीकियां एनडीए को चिंतित कर रही है.

मांझी भी इस बार 2020 से ज्यादा सीटें मांग रहे हैं, लेकिन बीजेपी उन्हें 7 से 9 सीटों का ऑफर दे रही है. जीतन मांझी खुद कम सीट के बावजूद केंद्रीय मंत्री हैं. पीएम मोदी और अमित शाह से लगातार मिलते रहते हैं. ऐसे में बेटे संतोष सुमन को फिर से मंत्री बनाने की बात से उन्हें मनाया जा सकता है.

उपेंद्र कुशवाहा को भी बीजेपी 7 से 9 सीटों का प्रस्ताव दे रही है. चुनाव से पहले उन्हें केंद्र में मंत्री बनाए जाने की चर्चा है, जिससे वे कोई मुश्किल खड़ी न करें. बीजेपी की कोशिश है कि शाहाबाद क्षेत्र को खासतौर पर मजबूत किया जाए, जहां पिछली बार प्रदर्शन कमजोर रहा था.

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मुकेश सहनी पर नजर

वहीं मुकेश सहनी पर भी सबकी नजरें टिकी है. 2020 में वह विपक्ष से एनडीए में ऐन मौके पर आ गए थे. इस बार भी अगर महागठबंधन से सीटें नहीं मिलीं तो उनके फिर से एनडीए की तरफ लौटने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसलिए बीजेपी-जेडीयू अब तक अंतिम सीट बंटवारे को टाल रहे हैं. अगर सहनी फिर से एनडीए में आते हैं तो बीजेपी-जेडीयू को बाकी दलों की सीटों में और कटौती करनी पड़ सकती है.

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