पुतिन के जहाज पर लिखे РОССИЯ का क्या मतलब, देश का नाम RUSSIA क्यों पड़ा और Vladimir कैसे फेमस हो गया? जानें
Meaning of РОССИЯ Vladimir Putin Plane: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के जहाज पर РОССИЯ लिखा हुआ दिखता है. इसका क्या अर्थ है? शुरुआत में देश का नाम RUSSIA था, लेकिन फिर दूसरा नाम आगे बढ़ा और Vladmir जैसा नाम काफी फेमस हैं. जानें इन सभी का इतिहास.
Meaning of РОССИЯ Vladimir Putin Plane: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय स्टेट विजिट पर नई दिल्ली पहुंचे. शाम लगभग 6.35 बजे उनका विमान राजधानी दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर उतरा. भारत में उनका ‘फ्लाइंग क्रेमलिन’ लैंड होकर टेक्निकल एरिया में पहुंचा. इसी दौरान रूसी राष्ट्रपति के विमान पर लिखे बड़े अक्षरों पर लोगों की नजर अटक गई. दूर से यह शब्द ‘РОССИЯ’ दिखता है. लोगों में इस बात की दिलचस्पी होने लगी कि आखिर रशियन राष्ट्रपति विमान आखिर रूसी भाषा में लिखा क्या है? अगर आप भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं, तो हम बताते हैं कि यह क्या है…
दरअसल ‘POCCNR’ जैसा दिखाई देने वाला शब्द वास्तव में यह रूस का आधिकारिक नाम है. इसे साइरिलिक लिपि में लिखा गया है. पहली बार देखने वाले लोग अक्सर इसे अंग्रेजी अक्षरों से मिलाकर गलत पढ़ लेते हैं. गूगल ट्रांसलेट पर जब आप RUSSIA लिखते हैं और उसे आप रूसी भाषा में ट्रांसलेट करने को कहें, तो यह РОССИЯ लिखकर देता है. वहीं अंग्रेजी में इसे आधिकारिक रूप से RUSSIA लिखते हैं, जबकि रूसी भाषा में इसे ROSSIYA कहा जाता है.
पुतिन के विमान पर क्या लिखा है?
राष्ट्रपति पुतिन जिस विमान से अंतरराष्ट्रीय दौरों पर जाते हैं, वह स्पेशल फ्लाइट डिटैचमेंट Rossiya का हिस्सा है. इस राज्य-स्वामित्व वाले विमान के दोनों ओर बड़े अक्षरों में ‘РОССИЯ’ (रॉस्सिया) अंकित होता है.
इसके पीछे ये वजहें हैं यह दर्शाने के लिए कि विमान रूसी संघ का आधिकारिक सरकारी विमान है. कई देशों की तरह रूस भी अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के तहत अपने राष्ट्र प्रमुख के विमान पर देश का नाम प्रदर्शित करता है. जैसे भारतीय प्रधानमंत्री के विमान पर देवनागरी लिपि में भारत लिखा रहता है. उसी तरह रूस के राष्ट्रपति के आधिकारिक विमान पर साइरिलिक भाषा में लिखा जाता है. साइरिलिक रूस की मानक लिपि है.
यह शब्द ‘POCCNR’ जैसा क्यों दिखता है?
साइरिलिक लिपि के कई अक्षर लैटिन (अंग्रेजी) अक्षरों से मिलते-जुलते नजर आते हैं. उदाहरण के तौर पर
Р = R …. О = O …. С = S …. И = I …. Я = YA (जो उल्टा R जैसा लगता है)
इसी समानता के कारण ‘РОССИЯ’ दूर से देखने पर ‘POCCNR’ जैसा प्रतीत हो सकता है. वास्तविक अर्थ ROSSIA या RUSSIA ही है.
रूस शब्द का उद्भव कैसे हुआ? एक संक्षिप्त व्याख्या
11वीं शताब्दी में पश्चिमी (कैथोलिक) देशों को पहली बार कीवियन रुस’ के बारे में पता चला, जिसे उस समय पुरानी स्लाव भाषा में Роусь (Rous) या Роусьскаѧ землѧ (Russian lands) कहा जाता था. क्योंकि पश्चिमी विद्वान लैटिन भाषा में लिखते थे, इसलिए उन्होंने इस राज्य के लिए लैटिन नाम Ruscia बना लिया. अगले सौ साल में “Ruscia” से दो अलग नाम निकल आए पहला Russia और दूसरा Ruthenia. रोमांस भाषाएँ बोलने वाले देशों (फ्रेंच, इटैलियन आदि) में Russia ज्यादा लोकप्रिय हुआ और वहीं से यह अंग्रेजी में भी पहुँच गया. मंगोल आक्रमणों के बाद यह नाम कुछ समय के लिए कम इस्तेमाल होने लगा क्योंकि रुस’ अलग-अलग छोटे राज्यों में बंट गया था.
13वीं शताब्दी में मॉस्को का ग्रैंड डची उभरा, जो धीरे-धीरे आसपास के दूसरे रुस’ राज्यों को जोड़कर एक बड़े रूस की नींव रखता गया. लैटिन में इसे मॉस्कोविया (Moscovia) और अंग्रेजी में मॉस्कोवी (Muscovy) कहा जाता था, लेकिन वे खुद को हमेशा Rous ही कहते रहे, जो आगे चलकर ग्रीक रूप Россия (Rossiya) बन गया. 16वीं शताब्दी में यह राज्य त्जार्डम ऑफ रूस बन गया, लेकिन अंग्रेजी- देश को आदत के अनुसार Muscovy ही बुलाती रही. अंततः 17वीं शताब्दी में पश्चिमी देशों ने आधिकारिक तौर पर Russia नाम का ही उपयोग शुरू कर दिया. ऐसा होना सामान्य था, क्योंकि अंग्रेजी कई देशों के लिए लैटिन नाम ही अपनाती है. जैसे जर्मनी (Germany) जिसे लैटिन में Germania और ब्रिटेन (Britain) को लैटिन में Britannia कहा जाता है.
Russia शब्द के बारे में एक और धारणा है. रूस एक बड़ा देश है, जो 80 से ज्यादा क्षेत्रों (फेडरल सब्जेक्ट्स) में बंटा हुआ है. इसे Russia या Rossiya कहा जाता है, क्योंकि यह नाम पुराने शब्द Rus से निकला है. Rus वह नाम था, जिससे बहुत पुराने समय में वहाँ के पहले राजकुमारों और उनकी जनजाति को बुलाया जाता था. बाद में जब रूस ने बाइजेंटाइन साम्राज्य से ईसाई धर्म अपनाया, तो ग्रीक भाषा वहाँ बहुत प्रतिष्ठित या कूल मानी जाने लगी. इसलिए Rus का ग्रीक रूप Rossiya चल पड़ा और धीरे-धीरे यही देश का नाम बन गया.
अगर राजधानी मॉस्को है, तो देश का नाम क्यों नहीं?
दरअसल, Rus नाम मॉस्को के मशहूर होने से कई सदियों पहले से इस्तेमाल हो रहा था. मॉस्को 14वीं सदी के बाद जाकर बड़ा और ताकतवर शहर बना. उससे पहले व्लादिमिर (Vladimir) शहर राजनीतिक रूप से ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता था. हालांकि बाद में मंगोल हमलों में व्लादिमिर तबाह हो गया और दोबारा उतना मजबूत नहीं हो पाया, इसी बीच मॉस्को आगे निकल गया. फिर भी, क्योंकि शासक रूरिक वंश (Rurikid dynasty) की व्लादिमिर शाखा से आते थे, इसलिए 17वीं सदी तक शासकों के आधिकारिक शीर्षक में व्लादिमिर का नाम पहले आता था. शहर के साथ ही व्लादिमिर अन्य कारणों से भी प्रसिद्ध है.
रूस के लिए व्लादिमिर नाम का इतिहास
व्लादिमिर दो शब्दों से मिलकर बना है. व्लाद और मीर. व्लाद का अर्थ है शासन या शक्ति वहीं मीर का अर्थ है विश्व या शांति, ऐसे में व्लादिमिर का अर्थ हुआ विश्व का राजा या शक्ति या शांति का स्वामी. व्लादिमिर रूस में बहुत आम है, क्योंकि इसकी लोकप्रियता की नींव 11वीं शताब्दी के शासक व्लादिमीर द ग्रेट ने रखी थी. उन्होंने कीव Rus में ईसाई धर्म को अपनाया और फैलाया, इसलिए रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च में आज भी उन्हें संत के रूप में सम्मान मिलता है. इसी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण व्लादिमीर नाम रूसियों की पहचान का एक अहम हिस्सा बन गया. वैसे रूसी राष्ट्रपति का नाम भी व्लादिमिर है. जबकि इससे पहले रूसी क्रांति के नेता व्लादिमीर लेनिन, महान लेखक व्लादिमीर नाबोकोव भी काफी फेमस रहे. इन प्रभावशाली व्यक्तियों की वजह से व्लादिमीर नाम को नेतृत्व, शक्ति और समझदारी से जोड़कर देखा जाने लगा. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भी यही नाम शेयर करते हैं, लेकिन उनकी स्थिति थोड़ी अलग है.
भारत-रूस संबंधों की पृष्ठभूमि
पिछले सात दशकों में दोनों देशों ने रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा और विज्ञान-तकनीक जैसे क्षेत्रों में गहरे रिश्ते विकसित किए हैं. अंतरराष्ट्रीय दबाव और बदलते वैश्विक गठबंधनों के बीच भी भारत और रूस का सहयोग स्थिर रहा है. ऐसे में व्लादिमिर पुतिन की दिल्ली की यह यात्रा इन संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
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