लॉकडाउन में 70 लाख महिलाएं हो सकती हैं प्रेग्नेंट, जानिए संयुक्त राष्ट्र ने क्यों जताई चिंता

Lockdown, pandemic, coronavirus outbreak, covid 19 Impact, UN Report: निम्न और मध्यम आय वाले देशों में करीब पांच करोड़ महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं जिनसे आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं.

By Amitabh Kumar | April 29, 2020 4:16 PM

Lockdown के कारण अनचाहे गर्भधारण (प्रेग्नेंट) के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं. यह बात संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन से सामने आयी है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने कहा है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू बंद के कारण प्रमुख स्वास्थ्य सेवाओं के बाधित हो जाने से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में करीब पांच करोड़ महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं जिनसे आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं. यूएनएफपीए और सहयोगियों ने ये आंकड़े जारी किये हैं.

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एजेंसियों का कहना है कि संकट के कारण बड़ी संख्या में महिलाएं परिवार नियोजन के साधनों तक पहुंच नहीं पा रही हैं अथवा उनके अनचाहे गर्भधारण का खतरा है. इसके अलावा उनके खिलाफ हिंसा और अन्य प्रकार के शोषण के मामलों के भी तेजी से बढ़ने का खतरा है.

यूएनएफपीए की कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम ने मंगलवार को कहा कि ये नये आंकडे़ उस भयावह प्रभाव को दिखाते हैं जो पूरी दुनिया में महिलाओं और लड़कियों पर पड़ सकते हैं. कानेम कहती हैं कि यह महामारी भेदभाव को गहरा कर रही है तथा लाखों और महिलाएं- लड़कियां परिवार नियोजन की अपनी योजनाओं को पूरा कर पाने और अपनी देह तथा स्वास्थ्य की रक्षा कर पाने में नाकाम हो सकती हैं.

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यह अध्ययन बताता है कि 114 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 45 करोड़ महिलाएं गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करती हैं. इसमें कहा गया है कि छह माह से अधिक समय में लॉकडाउन से संबंधित बाधाओं के चलते निम्न और मध्यम आय वाले देशों में चार करोड़ 70 लाख महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं. इनसे आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख अतिरिक्त मामले सामने आ सकते हैं. छह माह का लॉकडाउन लैंगिक भेदभाव के तीन करोड़ 10 लाख अतिरिक्त मामले सामने ला सकता है.

इसके मुताबिक महामारी के इस वक्त में महिलाओं के खतने (एफजीएम) और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने की दिशा में चल रहे कार्यक्रमों की गति भी प्रभावित हो सकती है. इससे एक दशक में एफजीएम के अनुमानित 20 लाख और मामले सामने आएंगे. इसके अलावा अगले 10 साल में बाल विवाह के एक करोड़ 30 लाख मामले सामने आ सकते हैं. ये आंकड़े अमेरिका के जॉन हॉप्किन्स विश्वविद्यालय के एवेनिर हेल्थ और ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया विश्वविद्यालय के सहयोग से तैयार किये गये हैं.

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