SCO Summit 2025: ट्रंप, पाकिस्तान, इजरायल और आतंकवाद पर SCO का 10 पॉइंट का चेतावनी संदेश, भारत की कूटनीतिक जीत

SCO Summit 2025: तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र में अमेरिका की नीतियों की आलोचना, ईरान-गाजा पर सख्त रुख और पहलगाम हमले पर भारत का स्टैंड शामिल.

By Govind Jee | September 2, 2025 7:43 AM

SCO Summit 2025: चीन के तियानजिन में संपन्न शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 ने वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में नई हलचल मचा दी है. सम्मेलन के बाद जारी साझा घोषणापत्र ने अमेरिका की आर्थिक और रणनीतिक नीतियों पर अप्रत्यक्ष प्रहार किया, वहीं भारत के आतंकवाद विरोधी एजेंडे को मजबूती से समर्थन दिया. विशेषज्ञ इसे उभरती वैश्विक व्यवस्था की दिशा में एक बड़ा कदम मान रहे हैं. आइए, समझते हैं इस घोषणापत्र की 10 बड़ी बातें जानते हैं-

  1. अमेरिका की टैरिफ नीति पर परोक्ष प्रहार

घोषणापत्र में साफ कहा गया कि सदस्य देश किसी भी तरह के एकतरफा आर्थिक प्रतिबंध या जबरदस्ती थोपे गए उपायों का विरोध करते हैं. इन कदमों से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा में बाधा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग कमजोर होता है.

  1. भारत की कूटनीतिक जीत – पहलगाम हमले का जिक्र

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा उठाया था. साझा घोषणापत्र में इस हमले की निंदा करते हुए कहा गया कि दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए. यह भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है.

  1. ईरान पर हमलों की निंदा

घोषणापत्र में जून 2025 में अमेरिका और इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए सैन्य हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया गया. इसे ईरान की संप्रभुता पर हमला करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की गई.

  1. गाजा संकट पर चिंता

सदस्य देशों ने गाजा पट्टी में मानवीय संकट पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने तुरंत, पूर्ण और स्थायी युद्धविराम की मांग की और नागरिकों तक मानवीय सहायता पहुंचाने पर जोर दिया.

  1. आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता

घोषणापत्र में आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा की गई. सदस्य देशों ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी भी तरह के दोहरे मानक स्वीकार्य नहीं होंगे. सीमापार आतंकवाद पर विशेष जोर दिया गया, जो भारत की लंबे समय से चली आ रही चिंता है.

  1. अफगानिस्तान में शांति की जरूरत

सदस्य देशों ने अफगानिस्तान को आतंकवाद और ड्रग्स से मुक्त, स्वतंत्र और शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग का आह्वान किया गया.

  1. परमाणु हथियारों पर संतुलित दृष्टिकोण

घोषणापत्र में परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (NPT) के प्रावधानों का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया गया. साथ ही शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग को अंतरराष्ट्रीय अधिकार बताया गया. एकतरफा प्रतिबंधों को अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत कहा गया.

  1. आर्थिक सहयोग और नई व्यवस्था

सदस्य देशों ने डॉलर पर निर्भरता कम करने और आपसी मुद्रा में कारोबार बढ़ाने की रणनीति पर सहमति जताई. SCO विकास बैंक की स्थापना और इंटरबैंक एसोसिएशन को मजबूत करने पर भी जोर दिया गया.

  1. मानवाधिकारों पर स्पष्ट रुख

घोषणापत्र में मानवाधिकारों के सार्वभौमिक सम्मान की बात कही गई, लेकिन यह भी जोड़ा गया कि मानवाधिकारों के नाम पर किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप अस्वीकार्य है.

  1. SCO का विस्तार और वैश्विक भूमिका

सदस्य देशों ने SCO को विस्तार देने और नए देशों व संगठनों को जोड़ने की वकालत की. इससे संगठन की वैश्विक भूमिका और प्रभाव बढ़ेगा.

तियानजिन शिखर सम्मेलन का घोषणापत्र केवल औपचारिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह अमेरिका और पश्चिमी नीतियों को कड़ा संदेश है. भारत को इसमें अपनी सुरक्षा चिंताओं को वैश्विक मंच पर स्वीकार कराने में सफलता मिली है. साथ ही SCO ने एक वैकल्पिक आर्थिक और रणनीतिक व्यवस्था की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं.

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