भारत ने मेरी मां की जान बचाई, लेकिन उसकी चिंता दूसरी है… शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर क्या-क्या बोले बेटे सजीब वाजेद?
Sajeeb Wazed on Sheikh Hasina extradition request: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को छात्र आंदोलन में नरसंहार का आरोप लगाकर मृत्युदंड की सजा सुनाई. इसके बाद बांग्लादेश सरकार ने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है. इस पर हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने प्रतिक्रिया दी है.
Sajeeb Wazed on Sheikh Hasina extradition request: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) ने 17 नवंबर को 78 वर्षीय शेख हसीना और उनकी करीबी सहयोगी, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को दोनों की अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई. यह किसी बांग्लादेशी राजनीतिक नेता के खिलाफ अब तक का सबसे कठोर फैसला है. उन पर पिछले साल जुलाई आंदोलन के दौरान लगभग 1400 छात्रों की मौत का आरोप लगाया गया है. इसके बाद बांग्लादेश में जश्न और विरोध दोनों देखे गए. वहीं इस फैसले के बाद ढाका-नई दिल्ली संबंधों में भी तनाव बढ़ा है क्योंकि बांग्लादेश ने औपचारिक रूप से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है. वहीं शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने भारत को भेजे गए बांग्लादेश सरकार के प्रत्यर्पण अनुरोध की आलोचना की है. उन्होंने इसे गैरकानूनी करार दिया और भरोसा जताया कि नई दिल्ली इस पर कोई कदम नहीं उठाएगी.
एएनआई से बात करते हुए वाजेद ने कहा, “मुझे लगता है कि वे (भारतीय सरकार) इस प्रत्यर्पण अनुरोध को कैसे संभालना है, अच्छी तरह जानते हैं. मुझे नहीं लगता कि भारतीय सरकार ऐसे गैरकानूनी अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया देगी. मुझे भारतीय लोकतंत्र और उसके कानून के शासन में विश्वास है.” वाजेद ने यह भी चेतावनी दी कि बांग्लादेश में नई व्यवस्था के तहत हो रही घटनाओं को लेकर भारत को सतर्क रहना चाहिए. उन्होंने कहा, “भारत को वास्तव में चिंता इस बात की होनी चाहिए कि यूनुस शासन को कैसे सहारा दिया जा रहा है. यह जमात-ए-इस्लाम है, जो सबसे बड़ा इस्लामिक दल है. उन्होंने हमारे शासन द्वारा दोषी ठहराए गए और जेल भेजे गए दसियों हजार आतंकवादियों को रिहा कर दिया है. उन्हें छोड़ दिया गया है.”
दिल्ली हमले में भी बांग्लादेशी लिंक मिले
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि चरमपंथी समूह पहले की तुलना में अधिक स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “लश्कर-ए-तैयबा अब खुले तौर पर काम कर रही है.” उन्होंने यह भी दावा किया कि यह समूह बांग्लादेश से परे भी हिंसा में शामिल रहा है. उन्होंने कहा, “दिल्ली में हालिया आतंकी हमलों में उनकी बांग्लादेशी शाखा के लिंक पाए गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी फिलहाल बांग्लादेश से आ रहे आतंकवाद को लेकर बेहद चिंतित होंगे.”
अब्दुल्ला अल-मामून को सरकारी गवाह बनने पर 5 साल की जेल
हसीना और असदुज्जमान के अलावा तीसरे आरोपी, पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को पाँच साल की सजा दी गई. उन्होंने 2024 के जुलाई-अगस्त विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों में राज्य का गवाह बनने का निर्णय लिया था. हसीना ने अपने खिलाफ आए फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह निर्णय एक धांधली वाले न्यायाधिकरण द्वारा दिया गया है, जिसे एक बिना चुनी गई सरकार ने स्थापित और संचालित किया है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनमत का आधार नहीं है.
अंतरिम सरकार कानूनों में कर रही हेर-फेर
सजीब वाजेद ने दावा किया है कि पिछले साल के राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान उनकी मां की हत्या की साजिश को नाकाम करने में भारत ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने ढाका की अंतरिम सरकार और उस न्यायिक प्रक्रिया की भी कड़ी आलोचना की जिसके तहत हसीना को मौत की सजा सुनाई गई. अमेरिका के वर्जीनिया में समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए वाजेद ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश के मौजूदा शासक कानूनों में हेरफेर कर रहे हैं, न्यायाधीशों को हटाया गया और हसीना को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया गया.
भारत ने बचाई मेरी मां की जान- सजीब
उन्होंने कहा, “भारत हमेशा हमारा अच्छा मित्र रहा है. संकट के दौरान भारत ने मूलतः मेरी मां की जान बचाई. अगर वह बांग्लादेश में रहतीं, तो उग्रवादियों ने उन्हें मारने की योजना बना रखी थी. मैं प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का आभारी हूं.” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि अगस्त 2024 में भारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच हसीना भारत आई थीं.
वाजेद ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह राजनीतिक ड्रामा करार दिया और आरोप लगाया कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हर स्तर पर विधिक प्रक्रिया को ध्वस्त कर दिया. उन्होंने कहा, “किसी भी प्रत्यर्पण के लिए विधिक प्रक्रिया का पालन आवश्यक है. लेकिन बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार है जो अनिर्वाचित, असंवैधानिक और अवैध है. मेरी मां को दोषी ठहराने के लिए उन्होंने कानूनों में संशोधन किया और ट्रायल को तेज गति से आगे बढ़ाया, ये संशोधन ही अवैध थे.”
उन्होंने आगे कहा, “मेरी मां को अपने वकील रखने की अनुमति नहीं दी गई. उनके वकीलों को अदालत में घुसने तक नहीं दिया गया.” वाजेद के अनुसार, ट्रिब्यूनल की संरचना ही इस तरह बदली गई कि फैसला पहले से तय रहे. उन्होंने कहा, “ट्रायल से पहले 17 जजों को बर्खास्त किया गया, नए जज नियुक्त हुए जिनमें से कुछ को न्यायिक अनुभव तक नहीं था और वे राजनीतिक रूप से जुड़े हुए थे. प्रक्रिया का कोई अस्तित्व ही नहीं था. किसी भी प्रत्यर्पण के लिए उचित विधिक प्रक्रिया अनिवार्य है.”
हसीना ने फैसले को बताया धांधली से भरा
हसीना ने भी इस ट्रिब्यूनल को धांधली वाला और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया है. वहीं अंतरिम सरकार इस मुकदमे को पारदर्शी और कानूनी बताती है और कहती है कि फैसला पूर्व प्रधानमंत्री पर लगाए गए गंभीर आरोपों के अनुरूप है. वह पिछले साल जुलाई से अगस्त के बीच हुई गंभीर अशांति के दौरान 5 अगस्त को भारत आ गई थीं. 1971 में स्वतंत्रता के बाद से यह बांग्लादेश का सबसे घातक राजनीतिक संकट था.
भारत ने बांग्लादेश के हित के प्रति जताई प्रतिबद्धता
वहीं भारत सरकार ने फिलहाल इस पर ध्यान देने की बात कही है और वह शांति, लोकतंत्र और स्थिरता का पक्षधर है. भारत ने यह भी कहा कि वह बांग्लादेश के सर्वोत्तम हित के लिए प्रतिबद्ध है और वह इस लक्ष्य के लिए सभी हितधारकों के साथ सकारात्मक तरीके से जुड़ता रहेगा.
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