कहां गया पैसा? कंगाल पाकिस्तान पर IMF की बड़ी कारवाई, अरबों डॉलर के कर्ज की जांच शुरू
IMF Action Billion Dollar Loan Audit: पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था पर IMF का दबाव, नए कर्ज की किस्तें, राजस्व की कमी और अटकी नीतियां. राहत भी, सिरदर्द भी. जानिए कैसे पाकिस्तान का आर्थिक रिपोर्ट कार्ड “थोड़ा संभला, थोड़ा बिगड़ा” वाली हालत में फंसा हुआ है.
IMF Action Billion Dollar Loan Audit: पाकिस्तान की माली हालत ऐसी है जैसे किसी घर का बजट बिगड़ जाए कमाई कम, खर्चा ज्यादा और ऊपर से कर्ज का बोझ. महीने के आखिर में वही हाल कि साहूकार के दरवाजे पर कटोरी लेकर खड़ा होना पड़ जाए. यही हाल पाकिस्तान का है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर हाल ही में अमेरिका गए थे. वजह? यूनाइटेड नेशंस की मीटिंग तो बहाना थी, असल मकसद IMF और वर्ल्ड बैंक से हाथ जोड़ना. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार इस वक्त IMF की एक टीम पाकिस्तान में है. उनका काम साफ है कि देखना कि जो अरबों डॉलर पाकिस्तान को दिए गए, उनका सही इस्तेमाल हुआ भी या नहीं और आगे की योजना कैसी है.
दो तरह की मदद
पाकिस्तान को IMF से दो बड़े पैकेज मिले हैं पहला है, Extended Financing Facility (EFF) इसके तहत 7 बिलियन डॉलर मिले. इसका मकसद है बजट घाटे को काबू करना, विदेशी कर्ज चुकाना और अर्थव्यवस्था को स्थिर करना और दूसरा है Resilience and Sustainability Facility (RSF) इसके जरिए 1.1 बिलियन डॉलर मिले. ये पैसा जलवायु परिवर्तन, हरित ऊर्जा और टिकाऊ सुधारों पर खर्च होना है. यानी एक तरफ अर्थव्यवस्था को सहारा, दूसरी तरफ भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी.
मंगलवार को IMF मिशन और पाकिस्तान की आर्थिक टीम की औपचारिक मीटिंग तय है. IMF की कमान ईवा पेट्रोवा के पास होगी. पाकिस्तान की ओर से वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब मोर्चा संभालेंगे. साथ में स्टेट बैंक के गवर्नर, वित्त सचिव और FBR चेयरमैन भी मौजूद रहेंगे.
IMF Action Billion Dollar Loan Audit: जून 2025 तक का रिपोर्ट कार्ड
जून 2025 तक पाकिस्तान का प्रदर्शन मिला-जुला रहा. बिजली सेक्टर के बेंचमार्क तो पूरे हो गए, लेकिन राजस्व संग्रह में बड़ा झटका लगा है जिसमें करीब 1.2 ट्रिलियन रुपये यानी GDP का 1% कम रह गया. नए वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीनों में भी यही समस्या बनी रही. अब दोनों टीमों को अगले छह महीनों के लिए नए सुधारों पर सहमति बनानी होगी.
एक और पेंच है ब्राउनफील्ड पेट्रोलियम रिफाइनरी नीति का. यह लंबे समय से अटकी हुई है और इसकी वजह से 6 बिलियन डॉलर का निवेश फंसा पड़ा है. पाकिस्तान का कहना है कि यह नीति RSF के लक्ष्यों से मेल खाती है क्योंकि इससे यूरोपीय मानकों के मुताबिक साफ-सुथरे ईंधन तैयार होंगे और प्रदूषण घटेगा.
नया लोन और किस्त
IMF के बोर्ड ने हाल ही में क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत 1.4 बिलियन डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपये) मंजूर किया. साथ ही 7 बिलियन डॉलर वाले EFF प्रोग्राम की पहली समीक्षा को भी हरी झंडी दी. इससे पाकिस्तान को अब 1 बिलियन डॉलर (करीब 8,542 करोड़ रुपये) की नई किस्त मिलेगी. अब तक इस प्रोग्राम के तहत कुल 2 बिलियन डॉलर पाकिस्तान के खाते में पहुंच चुके हैं. हालांकि, क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन का पैसा तुरंत हाथ में नहीं आएगा. IMF की किस्तें पाकिस्तान के लिए राहत तो है, लेकिन राजस्व संग्रह की कमी और सुधारों की धीमी रफ्तार उसका असली सिरदर्द बनी हुई है. नतीजा वही है कि “थोड़ा-सा संभला, थोड़ा-सा बिगड़ा.”
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