पाकिस्तान पर चीनी के साथ मिलकर जैविक हथियार बनाने का आरोप, पाक ने दिया यह जवाब

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में आई उन खबरों को खंडन किया है जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान और चीन ने जैव हथियार (Biological Weapons) क्षमता में वृद्धि करने और एंथ्रेक्स जैसे प्राणघातक जीवाणु पर शोध के लिए गोपनीय समझौता किया है. पाकिस्तान के विदेश विभाग ने इसे राजनीति से प्रेरित और फर्जी खबर करार दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2020 10:00 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में आई उन खबरों को खंडन किया है जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान और चीन ने जैव हथियार (Biological Weapons) क्षमता में वृद्धि करने और एंथ्रेक्स जैसे प्राणघातक जीवाणु पर शोध के लिए गोपनीय समझौता किया है. पाकिस्तान के विदेश विभाग ने इसे राजनीति से प्रेरित और फर्जी खबर करार दिया है.

उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया के खोजी अखबार क्लेक्सन में 23 जुलाई को प्रकाशित खबर में कहा गया था कि वुहान स्थित विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला ने पाकिस्तान के सैन्य रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संगठन (डीईएसटीओ) के साथ तीन साल के लिए करार किया है, जिसके तहत सामने आने वाले संक्रामक रोगों पर मिलकर शोध किया जायेगा.

वुहान स्थिति विषाणु विज्ञान संस्थान हाल के महीनों में कोरोना वायरस की वजह से दुनिया की नजर में आया क्योंकि माना जा रहा है कि इस वायरस की उत्पत्ति इसी प्रयोगशाला में हुई. हालांकि, कई वैज्ञानिक ऐसा नहीं मानते हैं. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने रविवार को एक बयान जारी कर अखबार में प्रकाशित लेख को ‘राजनीति से प्रेरित और फर्जी’ करार दिया.

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विदेश विभाग ने कहा कि इस लेख को तथ्यों को तोड़-मरोड़कर, मनगढ़ंत तरीके से अज्ञात स्रोतों के आधार पर लिखा गया है. पाकिस्तान ने कहा, ‘यह छिपी हुई बात नहीं है कि खबर में पाकिस्तान की जैव सुरक्षा श्रेणी-3 (बीएसएल-3) प्रयोगशाला का संदर्भ दिया गया है. पाकिस्तान यहां कि सुविधाओं के बारे में जैविक एवं रासायनिक हथियार करार (बीटीडब्ल्यूसी) के सदस्य देशों के साथ सूचना विश्वास बहाली के लिए साझा करता है.’

पाकिस्तान ने कहा कि यह संस्थान शोध और विकास के जरिए स्वास्थ्य खतरों का इलाज और बचने के उपाय करने, निगरानी करने और बीमारी की जांच करने के लिए है. विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान बीटीडब्ल्यूसी की प्रतिबद्धताओं से बंधा हुआ है सत्यापन प्रक्रिया का मुखर समर्थक रहा है ताकि समझौते में शामिल देशों और पक्षकारों द्वारा पूरी तरह से इसका अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके.

उल्लेखनीय है कि बीटीडब्ल्यूसी वर्ष 1975 में हुआ बहुपक्षीय निशस्त्रीकरण समझौता है जिसमें जैविक और रासायनिक हथियारों के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया गया है.

Posted By: Amlesh Nandan Sinha.

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