78 साल पुराना आखिर कैसा कर्ज? नॉर्वे हर साल ब्रिटेन को भेजता है एक पेड़, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
Norway Sends Christmas Tree Britain: लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर में हर साल लगने वाला नॉर्वे का क्रिसमस ट्री द्वितीय विश्व युद्ध की दोस्ती की निशानी है. 1947 से नॉर्वे ब्रिटेन को शुक्रिया कहने के तौर पर यह खास स्प्रूस ट्री भेजता है. इसकी चुने जाने से लेकर रोशनी तक पूरी कहानी बेहद दिलचस्प है.
Norway Sends Christmas Tree Britain: हर साल दिसंबर की शुरुआत में जब लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर में क्रिसमस ट्री चमकता है, तो यह सिर्फ रोशनी नहीं होती यह नॉर्वे और ब्रिटेन की पुरानी दोस्ती की निशानी होती है. यह परंपरा 1947 से चल रही है. नॉर्वे यह ट्री ब्रिटेन को द्वितीय विश्व युद्ध के समय मिले समर्थन के लिए धन्यवाद के रूप में भेजता है. इस एक ट्री में बीते समय की यादें, जंग के दिन और दो देशों की सच्ची दोस्ती की कहानी छिपी होती है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी जर्मनी ने 1940 में नॉर्वे पर हमला किया. हालात बिगड़ते गए तो नॉर्वे के किंग हॉकन VII और उनकी निर्वासित सरकार लंदन आ गई.
यहीं से नॉर्वे के प्रतिरोध की शुरुआत हुई. उस समय बीबीसी और नॉर्वे के रेडियो NRK ने लंदन से नॉर्वेजियन भाषा में खबरें प्रसारित कीं. नाजियों ने रेडियो सुनने पर रोक लगा रखी थी, इसलिए लोग चोरी-छिपे यह प्रसारण सुनते थे. इन खबरों ने लाखों नॉर्वेजियनों को सहारा दिया वह भी ऐसे समय में जब डर हर जगह था. युद्ध खत्म होने के दो साल बाद, 1947 में ओस्लो सिटी सरकार ने हर साल ब्रिटेन को एक क्रिसमस ट्री भेजने की परंपरा शुरू की. यह नॉर्वे का तरीका था यह कहने का कि धन्यवाद, आपने कठिन समय में हमारा साथ दिया. (Norway Sends Christmas Tree Britain For 78 Years in Hindi)
Norway Sends Christmas Tree Britain in Hindi: जंगल से चुनकर लाया जाता है यह खास ट्री
हर साल भेजा जाने वाला ट्री नॉर्वेजियन स्प्रूस (Picea abies) होता है. यह ओस्लो के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगता है. ट्री को चुनने का काम बहुत पहले शुरू हो जाता है 5 से 10 साल पहले. कई पेड़ों को दावेदार बनाया जाता है और उनकी खास देखरेख की जाती है. इस साल के ट्री का नाम है एवर ओस्लो. ऊंचाई करीब 20 मीटर (22 गज) उम्र लगभग 60 साल. इसने दो अन्य पेड़ों को नॉर्डिक स्टार और फजॉर्ड फर को पछाड़कर यह सम्मान हासिल किया. 21 नवंबर को इसे औपचारिक तरीके से काटा गया.
🇳🇴🇬🇧 Since 1947, Norway sends a Christmas tree to London every year as a token of appreciation for Britain’s support in WW2. pic.twitter.com/6QlEUs84Wf
— World of Statistics (@stats_feed) December 9, 2025
जंगल से लंदन तक का सफर
ट्री को काटने के बाद एक खास क्रेडल में रखकर 180 किलोमीटर दूर एक पोर्ट तक ले जाया गया. रास्ते की धूल और नमक हटाने के लिए इसे अच्छी तरह धोया गया. इसके बाद यह 26 घंटे की जहाज यात्रा करके इमिंगहैम पोर्ट पहुँचा, जो ट्राफलगर स्क्वायर से लगभग 239 किलोमीटर उत्तर में है. वहां से इसे ट्रक में रखकर लंदन लाया गया. ट्री की जगह एक नया पौधा ओस्लो के जंगल में लगा दिया जाएगा, ताकि संतुलन बना रहे. (Norway Sends Christmas Tree Britain For 78 Years World War II History)
क्रिसमस की बारहवीं रात तक ट्राफलगर स्क्वायर में लगा रहेगा
सोशल मीडिया पर इसे मजाकिया अंदाज में Britain’s national tree-sure कहा गया. ट्री को रोशन करने का बड़ा कार्यक्रम हर साल दिसंबर के पहले गुरुवार को होता है. खास बात यह है कि लाइट्स को सीधे नीचे की ओर लंबवत टांगा जाता है, जैसा नॉर्वे में परंपरा है. ट्री 5 जनवरी तक यानी क्रिसमस की बारहवीं रात तक ट्राफलगर स्क्वायर में लगा रहेगा. इसके बाद इसे उतारकर चिप किया जाएगा और कम्पोस्ट बनाकर शहर में इस्तेमाल किया जाएगा.
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