जापान में ‘साइलेंट इमरजेंसी’ की घंटी, 100 साल से ऊपर लोगों की संख्या ने तोड़ा रिकॉर्ड, 88% शामिल महिलाएं
Japan Record Centenarians Women Aging Population: जापान में 100 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग पहुंच गए रिकॉर्ड 99,763, 88% महिलाएं. बढ़ती आबादी, घटती जन्म दर और “साइलेंट इमरजेंसी” के बीच देश की आर्थिक और सामाजिक चुनौती. जानिए शिगेको कागावा जैसी लंबी उम्र की कहानी और सरकार की प्रतिक्रिया.
Japan Record Centenarians Women Aging Population: दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान इन दिनों एक अदृश्य, लेकिन गंभीर संकट से गुजर रही है. बात सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि जनसंख्या और समाज के भविष्य की है. जापान में उम्रदराज आबादी तेजी से बढ़ रही है और जन्म दर लगातार घट रही है. हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो आंकड़े जारी किए हैं, वे इस संकट को पूरी तरह उजागर करते हैं.
1 सितंबर तक, जापान में 99,763 लोग 100 साल या उससे ज्यादा उम्र के हो गए हैं. ये आंकड़ा पिछले साल से 4,644 ज्यादा है. और इनमें 88 प्रतिशत महिलाएं हैं. ये सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि समाज की संरचना में बदलाव का संकेत है. बुजुर्ग आबादी का इतना बड़ा हिस्सा महिलाओं का होना, स्वास्थ्य, आर्थिक सुरक्षा और परिवार के ढांचे पर भी असर डालता है.
शिगेको कागावा- 114 साल की सक्रिय जीवनशैली
देश की सबसे उम्रदराज व्यक्ति शिगेको कागावा, 114 साल की हैं और नारा क्षेत्र में रहती हैं. उन्होंने 80 की उम्र के बाद भी ऑब्स्टेट्रिक्स-गायनाकोलॉजिस्ट और सामान्य डॉक्टर के तौर पर काम किया. उनका कहना है, “घर-घर जाते हुए लंबी दूरी तक चलना मेरी ताकत का स्रोत है.” आज भी उनका दिन टीवी देखने, अखबार पढ़ने और कलीग्राफी में व्यतीत होता है.
दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला
विश्व की सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति अब ब्रिटेन की एथल कैटरहैम हैं, जिन्होंने अगस्त में 116 साल की उम्र पूरी की. उनके पहले यह खिताब ब्राजील की नन इनाह कनाबारो लुकास के पास था. जापान की लंबी उम्र की कहानी विश्व स्तर पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है.
क्यों चिंता का विषय
लेकिन ये आंकड़े सिर्फ उत्सव का विषय नहीं हैं. जापान की आबादी धीरे-धीरे घट रही है. 2024 में जापानी नागरिकों की संख्या 9 लाख से ज्यादा घट गई. बूढ़ी होती आबादी का बोझ बढ़ता जा रहा है कि स्वास्थ्य और कल्याण खर्च बढ़ रहे हैं, जबकि कामकाजी लोगों की संख्या घट रही है. प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा इसे “साइलेंट इमरजेंसी” कह चुके हैं. उन्होंने परिवार-केंद्रित उपायों का वादा किया, जैसे लचीले काम के घंटे और फ्री डे-केयर लेकिन अभी तक इन प्रयासों का काफी असर नहीं दिखा. सवाल यही है कि क्या जापान इस बढ़ती उम्रदराज आबादी और घटती जनसंख्या की चुनौती को संभाल पाएगा.
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