ईरान की ड्रोन-साजिश का खुलासा! अमेरिका ने भारत समेत 7 देशों की 32 कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध, मचा हड़कंप
Iran Drone Conspiracy US Sanctions Indian Company: अमेरिकी ट्रेजरी ने ईरान के मिसाइल व ड्रोन कार्यक्रमों को समर्थन देने के आरोप में भारत की फार्मलेन सहित वैश्विक नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाए; OFAC ने रॉकेट ईंधन के रसायन आपूर्ति संबंधी आपूर्ति श्रृंखला और उसके प्रमुख संचालकों को निशाना बनाया, जिससे वित्तीय निर्बंध और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ेगा.
Iran Drone Conspiracy US Sanctions Indian Company: अमेरिका ने ईरान के मिसाइल और ड्रोन कार्यक्रमों पर शिकंजा कसते हुए 31 वैश्विक कंपनियों और व्यक्तियों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें भारत की एक कंपनी भी शामिल है. अमेरिकी वित्त विभाग का कहना है कि ये कंपनियां ईरान को ऐसे रासायनिक पदार्थ मुहैया करा रही थीं, जिनका इस्तेमाल बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन बनाने में होता है.
अमेरिका की बड़ी कार्रवाई- ईरान के नेटवर्क पर निशाना
अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने बुधवार को कहा कि ईरान की “खरीद नेटवर्क” (Procurement Networks) को निशाना बनाया गया है. ये नेटवर्क ठोस रॉकेट ईंधन तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल प्रीकर्सर्स हासिल करने में जुटे थे. ट्रेजरी के Office of Foreign Assets Control (OFAC) ने जो कार्रवाई की है, वह 32 व्यक्तियों और कंपनियों पर केंद्रित है. ये ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), तुर्किये, चीन, हांगकांग, भारत, जर्मनी और यूक्रेन जैसे देशों में फैली हुई हैं.
भारतीय कंपनी फार्मलेन प्राइवेट लिमिटेड पर आरोप
इस कार्रवाई में भारत की फार्मलेन प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी शामिल है. OFAC के अनुसार, यह कंपनी यूएई स्थित एमवीएम एमिसी ट्रेडिंग एलएलसी के निर्देशन में काम कर रही थी और जर्मनी के नागरिक मार्को क्लिंगे (Marco Klinge) के नियंत्रण में थी.
मार्को क्लिंगे भारत की फार्मलेन कंपनी के डायरेक्टर हैं और साथ ही जर्मनी स्थित EVA Handelsgesellschaft UG के सीईओ भी हैं. अमेरिकी ट्रेजरी का कहना है कि क्लिंगे भारत और चीन से रसायनों की खरीद करता था और इस दौरान उसने चाइना क्लोरेट टेक कंपनी लिमिटेड (CCT) जैसी पहले से प्रतिबंधित कंपनी से भी सौदे किए.
ट्रेजरी के मुताबिक, क्लिंगे और उसका नेटवर्क ईरान की परचिन केमिकल इंडस्ट्रीज (PCI) के लिए सोडियम क्लोरेट, सोडियम पर्क्लोरेट और सेबासिक एसिड जैसे रसायनों की आपूर्ति कर रहे थे. ये रसायन मिसाइल के ठोस ईंधन यानी अमोनियम पर्क्लोरेट बनाने में उपयोग किए जाते हैं.
‘ईरान वित्तीय तंत्र का गलत इस्तेमाल कर रहा है’- अमेरिकी अधिकारी
अमेरिकी वित्त विभाग के आतंकवाद और वित्तीय खुफिया मामलों के अंडर सेक्रेटरी जॉन के. हर्ले ने कहा कि ईरान वैश्विक वित्तीय तंत्र का दुरुपयोग करता है, ताकि धन शोधन कर सके और अपने परमाणु व पारंपरिक हथियार कार्यक्रमों के लिए जरूरी सामान जुटा सके. साथ ही वह अपने आतंकी सहयोगियों को भी फंडिंग देता है. हर्ले ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका ईरान पर “मैक्सिमम प्रेशर” की नीति जारी रखे हुए है ताकि वह अपना परमाणु कार्यक्रम रोक दे. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की कि वे संयुक्त राष्ट्र (UN) के प्रतिबंधों को पूरी तरह लागू करें ताकि ईरान की फाइनेंशियल पहुंच रोकी जा सके.
Iran Drone Conspiracy US Sanctions Indian Company: मिसाइल ईंधन नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश
अमेरिकी ट्रेजरी के मुताबिक, भारतीय कंपनी फार्मलेन, एमवीएम साझेदारी नाम के एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा थी. यह नेटवर्क 2023 से चीन से मिसाइल ईंधन तैयार करने वाले रसायनों की बड़ी मात्रा में खरीद कर रहा था. इन रसायनों में सोडियम क्लोरेट, सोडियम पर्क्लोरेट और सेबासिक एसिड शामिल हैं, जिनका उपयोग ठोस रॉकेट मोटर में किया जाता है. OFAC का कहना है कि इस कदम का मकसद इन नेटवर्क की सप्लाई चेन को तोड़ना और इन्हें अमेरिकी वित्तीय प्रणाली से काट देना है.
किन कानूनों के तहत लगे हैं प्रतिबंध
ये प्रतिबंध दो कार्यकारी आदेशों के तहत लगाए गए हैं. कार्यकारी आदेश 13382: यह आदेश उन लोगों और संस्थाओं पर लागू होता है जो विनाशकारी हथियारों (सामूहिक विनाश के हथियार) के प्रसार में शामिल हैं. कार्यकारी आदेश 13224: यह आदेश आतंकी संगठनों और उन्हें सहायता देने वालों पर केंद्रित है. इन आदेशों के तहत जिन संस्थाओं पर कार्रवाई की गई है, उनकी अमेरिका में मौजूद संपत्तियां फ्रीज कर दी गई हैं और अमेरिकी नागरिकों या कंपनियों को उनसे किसी भी तरह का लेनदेन करने से मना किया गया है.
‘ये नेटवर्क क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं’
ट्रेजरी विभाग ने कहा कि यह नेटवर्क मध्य पूर्व में अमेरिकी और सहयोगी सेनाओं के लिए खतरा पैदा कर रहा है. बयान में कहा गया है कि जैसे ही ईरान 12-दिन के युद्ध में नष्ट हुई अपनी मिसाइल क्षमताओं को फिर से बनाने की कोशिश कर रहा है, OFAC उन कोशिशों को रोकने के लिए सक्रिय है.”
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान अपने मिसाइल कार्यक्रम को तेजी से बढ़ा रहा है. उसका लक्ष्य है कि वह भविष्य में किसी भी संघर्ष की स्थिति में एक साथ 2,000 मिसाइलें दाग सके, खासकर इजरायल के साथ टकराव की स्थिति में. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जून 2025 में अमेरिका और इजरायल ने ईरान के कुछ परमाणु ठिकानों पर बमबारी की थी.
‘तीसरे देशों पर भी कार्रवाई जारी रहेगी’
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 12 नवंबर की अपनी प्रेस रिलीज में कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ईरान के मिसाइल और UAV कार्यक्रमों से जुड़े किसी भी नेटवर्क को रोकने के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करेगा. इसमें तीसरे देशों की कंपनियों पर भी कार्रवाई शामिल है. विभाग ने कहा कि ईरान के ये हथियार कार्यक्रम क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा हैं और इन पर लगाम लगाना जरूरी है.
ये भी पढ़ें:
