17 सालों में 3,00,00,00,000 डॉलर किए दान, अमेरिका में इन पर मेहरबान इंडियन
Indian Americans donations for USA Universities: भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने पिछले 17 सालों में जमकर दान किया है. 2008 से अब तक उन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालयों और शिक्षा संस्थानों में तीन अरब डॉलर से अधिक का दान दिया है.
Indian Americans donations for USA Universities: भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक परमार्थ कार्यों में काफी आगे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2008 से इंडियन अमेरिकनों ने 2008 से अब तक अमेरिकी विश्वविद्यालयों को तीन अरब डॉलर से अधिक का दान किया है. यह अध्ययन अमेरिका में अनुसंधान, नवाचार और उच्च शिक्षा तक पहुंच को मजबूत करने की दिशा में प्रवासी समुदाय के योगदान के प्रभावों को रेखांकित करता है.
एक नये अध्ययन में अग्रणी गैर-लाभकारी संगठन इंडियास्पोरा ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय-अमेरिकी, जिनमें से कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अपने स्नातक और स्नातकोत्तर अनुभवों को अपनी व्यावसायिक सफलता का आधार मानते हैं, परिवर्तनकारी तरीकों से योगदान दे रहे हैं. इंडियास्पोरा ने कहा, ‘‘ देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों को ऐतिहासिक दान देकर, भारतीय-अमेरिकी समुदाय न केवल उन संस्थानों का सम्मान कर रहा है जिन्होंने उनके जीवन को आकार दिया, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि भावी पीढ़ियों को सीखने, नवाचार और नेतृत्व विकास के समान अवसर प्राप्त हों.’’
भारतीयों के पास है उच्च शिक्षा की डिग्रियां
भारतीय-अमेरिकियों के दान ने अमेरिका की शैक्षिक व्यवस्था को और मजबूत किया है और भारत-अमेरिका के बीच पेशेवर व सांस्कृतिक संबंधों को भी गहरा किया है. रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 78% भारतीय-अमेरिकियों के पास स्नातक या उससे उच्च डिग्री है, जो अमेरिकी राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है. भारतीय छात्र हर साल अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 10 अरब डॉलर का योगदान करते हैं और करीब 93,000 अमेरिकी नौकरियों का सहारा बनते हैं. वर्तमान में लगभग 2.7 लाख भारतीय छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं.
सर्वोच्च दानकर्ताओं में हैं बड़े-बडे़ नाम
प्रमुख विश्वविद्यालयों से आगे बढ़कर भारतीय-अमेरिकी समुदाय कॉलेजों, राज्य स्तरीय स्कूलों और शहर के विश्वविद्यालयों को भी चुपचाप समर्थन दे रहे हैं. यह शिक्षा तक पहुंच को पूरे अमेरिका में व्यापक बनाने की उनकी गहरी प्रतिबद्धता दिखाता है. इनमें से हाल के दिनों में सबसे अधिक दान चंद्रिका और रंजना टंडन ने दिया. उन्होंने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग को 10 करोड़ डॉलर दिया. पेप्सिको की पूर्व सीईओ इंद्रा नुई ने येल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट को 5 करोड़ डॉलर दान किया था.
इंडियास्पोरा के संस्थापक और चेयरमैन एम.आर. रंगस्वामी ने कहा कि विश्वविद्यालयों में निवेश करके भारतीय-अमेरिकी दानदाता, जो शिक्षा को महत्व देते हैं, वास्तव में अपने शब्दों को कर्म में बदल रहे हैं. वे अमेरिका के प्रति अपनी बड़ी प्रतिबद्धता भी दिखा रहे हैं, जिससे हर नस्ल, जातीयता और पृष्ठभूमि के लोग तरक्की कर सकें.
अपनी संस्कृति के लिए भी जमकर किया दान
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर सार्वजनिक रूप से ज्ञात दान मेडिकल और हेल्थ साइंसेज, इंजीनियरिंग और बिजनेस एजुकेशन के लिए दिए गए हैं. इसके अलावा 140 मिलियन डॉलर सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर खर्च किए गए हैं. दक्षिण एशियाई, हिंदू और भारतीय अध्ययन के लिए की गई निधियां इस समुदाय की अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और अमेरिकी शैक्षिक परिदृश्य को समृद्ध करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं. वहीं इंडियास्पोरा संगठन ने कहा कि जैसे-जैसे भारतीय-अमेरिकी शिक्षा, उद्योग और परोपकार के क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहे हैं, उनका सामूहिक प्रभाव अमेरिकी उच्च शिक्षा पर आने वाली पीढ़ियों तक बना रहेगा.
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