‘ऑपरेशन सिंदूर’ में जिस इजरायली हथियार ने पाकिस्तान पर ढाया कहर, भारत ने उसकी खरीद के लिए किया करार

India to purchase Heron MK-2 drones from Israel: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इजरायली ड्रोन हेरॉन एमके-2 का सफल उपयोग किया. इसके उपयोग से भारत को शानदार बढ़त मिली. अब भारतीय सशस्त्र बलों ने इन उन्नत ड्रोन की अतिरिक्त खेप की खरीद के लिए इजराइल के साथ आपातकालीन प्रावधानों के तहत नया करार किया है.

By Anant Narayan Shukla | December 3, 2025 7:25 AM

India to purchase Heron MK-2 drones from Israel: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ‘हेरॉन एमके-2’ ड्रोन के प्रभावशाली प्रदर्शन ने भारत की निगरानी और खुफिया क्षमताओं में एक बड़ा बदलाव दिखाया. वास्तविक परिचालन स्थितियों में इसकी सफलता के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने इन उन्नत ड्रोन की अतिरिक्त खेप की खरीद के लिए इजराइल के साथ आपातकालीन प्रावधानों के तहत नया करार किया है. यह कदम न केवल भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूत करेगा, बल्कि भविष्य में स्वदेशी उत्पादन की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा. इजराइली रक्षा उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है.

इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) के अधिकारी के अनुसार, हेरॉन एमके-2 मानवरहित हवाई वाहन पहले से भारतीय सेना और वायुसेना के बेड़े का हिस्सा हैं. अब इन्हें भारतीय नौसेना में भी शामिल किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिससे तीनों सेनाओं की निगरानी क्षमताओं में व्यापक संतुलन और समन्वय बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि सितंबर में रक्षा मंत्रालय द्वारा 87 एमएएलई (मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस) ड्रोन की खरीद के लिए जारी RFP में ‘मेक इन इंडिया’ को प्राथमिकता दी गई थी, जिसमें विदेशी साझेदारी को भी जगह मिली.

2021 में भारत ने की थी पहली खरीद

अधिकारी ने बताया कि भारत तीन दशकों से IAI का प्रमुख ग्राहक रहा है और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग अनेक पीढ़ियों तक फैला हुआ है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद तीनों सेनाओं द्वारा हेरॉन एमके-2 को आपातकालीन खरीद के लिए चुना जाना इस भरोसे को और मजबूत करता है. हालांकि, उन्होंने खरीदे जाने वाले ड्रोन की सटीक संख्या बताने से परहेज किया. भारत ने 2021 में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बढ़ने के बाद आपातकालीन शक्तियों के तहत हेरॉन MK-II ड्रोन की खरीद शुरू की थी. शुरुआती चरण में चार ड्रोन- दो सेना के लिए और दो वायुसेना के लिए आर्डर किए गए थे, तब भी खरीदा जा रहा मॉडल हेरॉन MK-II था, न कि हेरॉन TP.

कितना घातक है हेरॉन एमके-2?

हेरॉन एमके-2 दुनिया के सबसे उन्नत एमएएलई ड्रोन में से एक है, जो 35,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने और लगातार 45 घंटे तक हवा में बने रहने की क्षमता रखता है. यह 150 नॉट की शीर्ष गति प्रदान करता है. इजराइल के अलावा 20 से अधिक देशों की सैन्य इकाइयां इसका इस्तेमाल करती हैं. हेरॉन ड्रोन मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर लंबी दूरी की निगरानी के लिए तैनात किए जाते हैं और अपनी भूमिका में अत्यधिक प्रभावी साबित हुए हैं. इसी के साथ, भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय वर्तमान हेरॉन बेड़े की निगरानी और मारक क्षमता बढ़ाने के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ पर काम कर रहे हैं. भारत हाल के वर्षों में उन्नत हेरॉन MK-II सिस्टम भी शामिल कर रहा है, जो सैटेलाइट कम्युनिकेशन (SATCOM) से लैस होते हैं, जिससे लंबी दूरी के अभियानों और विस्तारित मिशनों को अंजाम दिया जा सकता है.

मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाने पर भी जोर

IAI अधिकारी ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल को लेकर कहा कि कंपनी इस कार्यक्रम की आवश्यकताओं से पूरी तरह परिचित है और भारत में स्थानीय साझेदारों के साथ मिलकर इन्हें पूरा करने के लिए काम कर रही है. इस परियोजना में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और एलकॉम प्रमुख सहयोगी हैं. IAI का उद्देश्य केवल उन्नत प्रणालियों की आपूर्ति तक सीमित नहीं, बल्कि भारत में ही इनका निर्माण करना है, ताकि भविष्य में हेरॉन का भारतीय संस्करण तैयार हो सके.

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, स्थानीय उत्पादन व्यवस्था का विस्तार और 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग महत्वपूर्ण तत्व होंगे. इससे भारत न केवल इन प्रणालियों का उपयोग करेगा, बल्कि इनके निर्माता देशों की श्रेणी में भी मजबूती से कदम रखेगा.

प्रभात खबर पॉडकास्ट में रवि शास्त्री 7 दिसंबर को.

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