$100,000 H-1B वीजा शुल्क का धमाका! ट्रंप सरकार ने किया साफ- नए आवेदकों को फीस देनी होगी सिर्फ एक बार

H1B Visa Fee: अमेरिका में H-1B वीजा फीस पर ट्रंप सरकार का बड़ा फैसला, $100,000 की वन-टाइम फीस ने भारतीय इंजीनियरों और कंपनियों की चिंता बढ़ाई. वाइट हाउस ने दी सफाई, भारत ने जताई आपत्ति.

By Govind Jee | September 21, 2025 7:44 AM

H1B Visa Fee: आप अमेरिका की किसी टॉप टेक कंपनी में इंजीनियर हैं. घर जाने का टिकट ले लिया है. एयरपोर्ट पहुंचे, तभी खबर आई कि अब H-1B वीजा के लिए $100,000 चुकाना होगा. वो भी हर साल. बस, यहीं से अफरा-तफरी मच गई. किसी ने फ्लाइट कैंसिल की, कोई विमान से उतर गया, कंपनियों ने अपने विदेशी कर्मचारियों को मेल भेजकर कहा,“कहीं मत जाइए.” लेकिन फिर अगले ही दिन वाइट हाउस ने आकर कहा कि “गलतफहमी हुई है, फीस वन-टाइम है, हर साल नहीं.”

ट्रंप का ऐलान और टेक सेक्टर में घबराहट

शुक्रवार को वॉशिंगटन से बड़ी खबर आई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पॉलिसी में बड़ा बदलाव करते हुए $100,000 फीस लगाने का ऐलान कर दिया. अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ये फीस एनुअल यानी हर साल देनी होगी. बस, इसी लाइन से टेक कंपनियों और विदेशी कर्मचारियों की नींद उड़ गई.

कंपनियां और कर्मचारी परेशान

JPMorgan जैसी दिग्गज कंपनियों ने तुरंत अपने H-1B वीजा वाले कर्मचारियों को मेल भेजा. साफ कहा–“देश से बाहर मत जाइए.” कई कर्मचारी जो फ्लाइट में बैठ चुके थे, डर के मारे उतर गए. San Francisco Chronicle ने रिपोर्ट किया कि शुक्रवार को एयरपोर्ट से कई लोग वापस लौटे क्योंकि उन्हें डर था कि दोबारा अमेरिका में एंट्री नहीं मिलेगी. वाइट हाउस की सफाई आई कि “वन-टाइम फीस है”. शनिवार को वाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लीविट ने सोशल मीडिया पर साफ किया कि ये एनुअल फीस नहीं है. सिर्फ एक बार लगेगी. ये सिर्फ नए वीजा अप्लिकेंट्स पर लागू होगी. रिन्यूअल्स और मौजूदा वीजा होल्डर्स पर नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग पहले से H-1B पर हैं, वो देश से बाहर जाकर वापस आ सकते हैं, उन पर कोई नया चार्ज नहीं लगेगा.

H-1B वीजा क्या है?

H-1B वीजा अमेरिकी कंपनियों को मौका देता है कि वो बाहर से स्पेशल स्किल वाले लोग जैसे वैज्ञानिक, इंजीनियर, कंप्यूटर प्रोग्रामर को नौकरी पर रखें. शुरुआत में वीजा 3 साल का होता है. इसे 6 साल तक बढ़ाया जा सकता है. 2024 में करीब 4 लाख H-1B वीजा मंजूर हुए, जिनमें से दो-तिहाई रिन्यूअल्स थे. हर साल इस वीजा का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय नागरिकों को मिलता है जो करीब 75% है.

H1B Visa Fee: ट्रंप की दलील

ट्रंप ने कहा कि H-1B प्रोग्राम का गलत इस्तेमाल हुआ है. विदेशी वर्कर्स को सस्ते में लाकर अमेरिकी वर्कर्स को रिप्लेस किया गया. अब ऐसा नहीं चलेगा. इसी मौके पर उन्होंने $1 मिलियन का ‘गोल्ड कार्ड’ रेजिडेंसी प्रोग्राम भी लॉन्च किया. कॉमर्स सेक्रेटरी लुटनिक ने कंपनियों को सीधी चुनौती दी है कि कंपनी को तय करना होगा कि क्या कोई इंजीनियर इतना जरूरी है कि हर साल $100,000 चुकाएं, या फिर उसे घर भेजकर अमेरिकी को नौकरी दें. हालांकि, बाद में वाइट हाउस ने उनकी बात पर रोक लगाई और कहा–ये फीस सिर्फ वन-टाइम है.

JPMorgan जैसी कंपनियां अभी भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. एलन मस्क ने ट्रंप को चेताया कि अमेरिका के पास पर्याप्त लोकल टैलेंट नहीं है. अगर H-1B पर रोक लगाई गई, तो इनोवेशन और टेक ग्रोथ दोनों को झटका लगेगा.

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भारत की चिंता

भारत के विदेश मंत्रालय ने तुरंत बयान जारी किया. मंत्रालय ने कहा कि  भारत और अमेरिका की ग्रोथ स्टोरी में स्किल्ड टैलेंट का बड़ा योगदान रहा है. इस फैसले से परिवारों की जिंदगी प्रभावित होगी. अमेरिका को मानवीय असर को ध्यान में रखना चाहिए. अब भी सवाल बाकी हैं जैसे कानूनी चुनौती, कंपनियों की दिक्कतें और परिवारों की चिंता. साफ है कि H-1B सिर्फ इमिग्रेशन पॉलिसी का मसला नहीं है, बल्कि आने वाले समय में ये इकोनॉमिक्स, डिप्लोमेसी और ह्यूमैनिटी तीनों का टेस्ट बनने वाला है.

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