मंगल पर मिली ‘गंगा जैसी’ विशाल नदियां! पहली बार सामने आया Red Planet का सबसे बड़ा नदी नक्शा, वैज्ञानिक भी रह गए हैरान

Ancient River Systems Discovered On Mars: नई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने मंगल पर गंगा जैसी विशाल प्राचीन नदियों की खोज की है. पहली बार 16 बड़े ड्रेनेज बेसिन का पूरा नक्शा तैयार हुआ, जो बताता है कि मंगल कभी गर्म, नम और जीवन योग्य था. यह खोज भविष्य के जीवन-खोज मिशनों के लिए अहम साबित होगी.

By Govind Jee | December 8, 2025 4:09 PM

Ancient River Systems Discovered On Mars: हम मंगल को अब तक एक सूखा, ठंडा और बंजर ग्रह मानते आए हैं. लेकिन वैज्ञानिकों की नई खोज कहती है कि कभी यह ग्रह भी पानी से भरपूर था. इतना कि यहां गंगा जैसी बड़ी नदियां बहती थीं और धरती के अमेजन जैसी विशाल नदी घाटियां थीं. पहली बार वैज्ञानिकों ने मंगल के इन पुराने नदी तंत्रों का बड़ा, साफ और पूरा नक्शा तैयार किया है. यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास ऐट ऑस्टिन के वैज्ञानिकों ने किया है और इसे प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (PNAS) में छापा गया है.

Ancient River Systems Discovered On Mars in Hindi: मंगल पर 16 विशाल नदी घाटियां मिलीं

नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने मंगल पर 16 बड़े नदी ड्रेनेज बेसिन पहचाने हैं. यह पहली बार है जब पूरे ग्रह के स्तर पर नदियों के इतने व्यवस्थित और बड़े नेटवर्क को इस तरह मैप किया गया है. शोध कहता है कि बहुत पहले मंगल गर्म, नम और जीवन के अनुकूल था. यहां बारिश होती थी, नदियां बहती थीं, घाटियां गहरी होती थीं और पानी झीलों से लेकर बड़े समुद्र तक जाता था. अध्ययन के सह-लेखक डॉ टिमोथी ए गौड्ज, UT जैक्सन स्कूल ऑफ जियोसाइंसेज, बताते हैं कि धरती पर ऐसे माहौल में जीवन खूब फलता-फूलता है. अगर मंगल पर भी यही हालात रहे होंगे, तो वहां सूक्ष्म जीवन (microbial life) हो सकता था. (Ganga like Ancient River Systems Discovered On Mars in Hindi)

Ancient River Systems Discovered On Mars: पहली बार बना मंगल का ग्लोबल नदी नक्शा

वैज्ञानिकों ने मंगल का यह नक्शा नासा के मिशनों की मदद से बनाया. उन्होंने इस्तेमाल किया Mars Orbiter Laser Altimeter (MOLA) का डाटा, CTX कैमरा, Mars Reconnaissance Orbiter और फिर ArcGIS Pro सॉफ्टवेयर में नदियों, घाटियों, झीलों और तलछट के निशान ट्रेस किए. कुल 19 समूह मिले, जिनमें से 16 को बड़े ड्रेनेज बेसिन माना गया. हर बेसिन 1 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा फैला था. डॉ गौड्ज कहते हैं कि हमें पता था कि मंगल पर नदियां थीं, लेकिन वे कितनी बड़ी और कितनी संगठित थीं, ये पहली बार साफ दिखा.

पांच प्रतिशत जमीन पर बने बेसिन 

अध्ययन के अनुसार, ये 16 बेसिन मंगल की प्राचीन सतह के सिर्फ 5% हिस्से में फैले थे. लेकिन इन्होंने कुल नदी-जनित क्षरण (erosion) का लगभग 42% हिस्सा किया और करीब 28,000 क्यूबिक किलोमीटर तलछट (sediment) बहाकर ले गए. तलछट में जीवन के पोषक तत्व सबसे अच्छे से बचते हैं. इसलिए इन जगहों को वैज्ञानिक जीवन की खोज के लिए अहम जगह मान रहे हैं. धरती पर बड़ी नदियां इसलिए बनती हैं क्योंकि यहां टेक्टोनिक प्लेट्स पहाड़ और घाटियां बनाती रहती हैं. लेकिन मंगल पर ऐसी प्लेट्स नहीं हैं. इसी वजह से मंगल पर केवल 16 बड़े नदी बेसिन मिले, जबकि धरती पर 91 से ज्यादा हैं. जैसे 62 लाख वर्ग किमी वाला अमेजन बेसिन.

मंगल पर कब आया पानी, कब गया पानी?

पुराने अध्ययनों के अनुसार, मंगल लगभग 4.5 अरब साल पहले बना. सतह पर पानी करीब 2 अरब साल तक रहा. बाद में ग्रह का वातावरण और चुंबकीय ढाल कमजोर पड़ गई और सूर्य की किरणों ने धीरे-धीरे इसका पानी छीन लिया. आज जो सूखा मंगल दिखता है, वह कभी पानी और नदियों से भरा ग्रह था. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये 16 बड़े नदी बेसिन अब उन जगहों में शामिल होंगे, जहां भावी मंगल मिशन जीवन के संकेत ढूंढेंगे. डॉ गौड्ज कहते हैं कि अगर कभी मंगल पर जीवन रहा होगा, तो उसके निशान इन बेसिनों में मिलने की संभावना सबसे ज्यादा है. यह खोज मंगल के मौसम और उसके पिछले इतिहास के बारे में हमारी समझ बदल देती है. अब यह साफ हो रहा है कि मंगल पर कभी धरती जैसा पानी का बड़ा चक्र चलता था.

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