‘एक ही खुराक में कोरोना वायरस का काम तमाम कर देगा फाइजर की वैक्सीन’

Coronavirus vaccine news : इजराइल में बार-इलान विश्वविद्यालय और जिव मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि कोविड-19 टीके के संबंध में दुनिया में वास्तविक साक्ष्य अभी भी काफी कम हैं, भले ही क्लीनिकल परीक्षण डाटा उत्साहजनक हैं. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमित लोगों में कोविड-19 टीके का असर अभी भी पूरी तरह से समझ में नहीं आया है.

By Prabhat Khabar Print Desk | February 16, 2021 8:13 PM
  • इजराइल में बार-इलान विश्वविद्यालय और जिव मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं का दावा

  • कोरोना वायरस से पहले से प्रभावित लोगों पर काफी असरदार दिखाई देता है टीका

  • जर्नल यूरोसर्विलांस में प्रकाशित की गई है नई शोध रिपोर्ट

Coronavirus vaccine news : भारत में स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना के टीके की दूसरी खुराक दी जाने लगी है. इस बीच एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि फाइजर-बायोएनटेक कोविड-19 टीके की केवल एक खुराक से ही उन लोगों में प्रभावी असर दिखाई देता है, जो पहले इस महामारी से संक्रमित हुए थे. एक अध्ययन के अनुसार, इस एक खुराक से ही लोगों में इस महामारी का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कब संक्रमित हुए थे या निवारक उपाय करने से पहले वायरस के खिलाफ उनमें एंटीबॉडी बने थे या नहीं.

इजराइल में बार-इलान विश्वविद्यालय और जिव मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि कोविड-19 टीके के संबंध में दुनिया में वास्तविक साक्ष्य अभी भी काफी कम हैं, भले ही क्लीनिकल परीक्षण डाटा उत्साहजनक हैं. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमित लोगों में कोविड-19 टीके का असर अभी भी पूरी तरह से समझ में नहीं आया है.

‘जर्नल यूरोसर्विलांस’ में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन में जिव मेडिकल सेंटर में 514 कर्मियों के एक समूह को शामिल किया गया था. टीके की पहली खुराक लेने से पहले 17 प्रतिभागी एक और 10 महीने के बीच किसी समय कोविड-19 से संक्रमित हुए थे.

पूरे समूह के एंटीबॉडी स्तर को टीकाकरण से पहले मापा गया था और उसके बाद अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मनी की उसकी सहयोगी बायोएनटेक द्वारा विकसित बीएनटी162बी2 एमआरएनए टीके के असर को देखा गया. शोधकर्ताओं ने कहा कि टीके का असर उन लोगों में काफी प्रभावशाली था, जो पहले इस महामारी से संक्रमित हुए थे. इससे इस संबंध में चर्चा शुरू हो गई कि क्या टीके की एक खुराक पर्याप्त हो सकती है.

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले बार-इलान विश्वविद्यालय से प्रोफेसर माइकल एडेलस्टीन ने कहा कि इस अध्ययन से देशों को टीका नीति के बारे में निर्णय लेने में मदद मिल सकती है. उदाहरण के लिए क्या पहले से संक्रमित लोगों को प्राथमिकता में टीका लगाया जाना चाहिए और यदि हां, तो उन्हें कितनी खुराक देनी चाहिए. शोधकर्ताओं ने कहा कि संक्रमित होने और टीकाकरण के बीच अवधि की परवाह किये बगैर संक्रमित लोगों में टीके की एक खुराक का ही प्रभावी असर दिखना एक अच्छी खबर है.

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Posted By : Vishwat Sen

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